सोनभद्र में आदिवासियों के जनसंहार के खिलाफ रांची में ‘नागरिक प्रतिवाद’
सोनभद्र में आदिवासियों के जनसंहार के खिलाफ आज रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के आह्वान पर विभिन्न सामाजिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने नागरिक प्रतिवाद किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने सोनभद्र आदिवासी जनसंहार कांड को देश के संविधान और लोकतन्त्र पर हमला बताते हुए कहा कि वर्तमान सत्ताधारी दल के शासन में आदिवासियों के साथ साथ उनके जल-जंगल-ज़मीन के अधिकारों पर सबसे अधिक हमले बढ़े हैं।
वर्तमान सरकार व उसके नेता एक ओर, आदिवासी प्रेम का ढोंग रचते हैं तो दूसरी ओर, सरकार खुद इनके अधिकारों पर हमले करते हुए इनके जंगल-ज़मीन की लूट को बेलगाम बना दिया है। सोनभद्र कांड और इस पर देश के गृह मंत्री तथा आदिवासी मामलों के मंत्री की चुप्पी खुला उदाहरण है।
कार्यक्रम के माध्यम से सोनभद्र जनसंहार के ज़िम्मेवार सभी दोषियों को सज़ा देने, आदिवासियों को उनके परंपरागत ज़मीनों का कानूनी पट्टे दिये जाने, आदिवासियों के अधिकारों पर हमले बंद किए जाने व विकास के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ना बंद करने तथा वनाधिकार दिये जाने की मांगें की गईं।
नागरिक प्रतिवाद का नेतृत्व फोरम राष्ट्रीय सलाहकार समिति सदस्य वरिष्ठ अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़, फोरम से जुड़े आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के प्रेमचंद मुर्मू व क्लेमेन टोप्पो, वरिष्ठ एक्टिविस्ट लेखक विनोद कुमार, कवियत्री जशिंता केरकेटटा , भाकपा माले नेता भुवनेश्वर केवट, झारखंड जन संस्कृति मंच के संयोजक ज़ेवियर कुजू , विस्थापन विरोधी जन आंदोलन के दामोदर तुरी, एआईपीएफ से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्त्ता आलोका , ऐपवा नेता एति तिरकी व सिनगी खलखो, झामस के सुदामा खलखो, एडवा की वीणा लिंडा, आदिवासी अधिकार मंच के सुखनाथ लोहरा, सुषमा बिरुली, फोरम के अधिवक्ता सीमा संगम व एडवोकेट राजदेव राजू तथा बहुजन समाज पार्टी के विद्याधर महतो व राज्य सचिव जितेंद्र बहादुर, जगमोहन महतो तथा अन्य लोगों ने भाग लिया। संचालन अनिल अंशुमन ने किया।