अपनी बात

नमन छंदोश्री, संजय, तीर्थनाथ, विशाल, आनन्द, सन्नी, गौरव जैसे पत्रकारों को, जिन्होंने सेवा के नये कीर्तिमान स्थापित कर दिये

नमन हैं रांची के इन कर्मवीर पत्रकारों को, जो बिना किसी मदद व प्रचार के, कोरोना के खिलाफ तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए निकल पड़े हैं। ये कर्मवीर पत्रकार हैं – छंदोश्री ठाकुर, संजय रंजन, तीर्थनाथ आकाश, कुमार विशाल, आनन्द दत्त, सन्नी शारद और गौरव कुमार। इन कर्मवीर पत्रकारों ने एक ऐसी टीम बना रखी हैं, जिनके पास कहीं से भी मदद की गुहार की सूचना मिलती हैं, ये सभी इतने सुंदर ढंग से उन समस्याओं को हैंडल करते हैं, कि देखते-देखते ही समस्या छू-मंतर हो जा रही हैं।

छंदोश्री ठाकुर

इधर कोरोना के कारण समस्याओं से जूझ रहे गरीब-मजलूमों की समस्या खत्म और उधर इन कर्मवीरों के चेहरे पर फैली मुस्कान की चमक, सारे सरकारी, निजी व अन्य सामाजिक/धार्मिक संगठनों पर भारी पड़ रही हैं। आप आश्चर्य करेंगे कि जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन का फैसला किया, इन कर्मवीर पत्रकारों ने उसी समय फैसला कर लिया कि संकट की घड़ी हैं, और ऐसे में बाल का खाल निकालना नहीं हैं, क्योंकि बाल का खाल निकालने के लिए बहुत लोग हैं, हमें तो उन गरीबों की समस्याएं दूर करनी हैं, जो लॉकडाउन के बाद होने वाली समस्याओं के शिकार होंगे।

आनन्द दत्ता

और लीजिये देखते ही देखते टीम बन गई और सभी ने एक दूसरे का सहयोग करते हुए वो काम कर दिया कि जो काम मंत्री और IAS/IPS भी नहीं कर सकते। यही नहीं, इन लोगों ने सोशल साइट के माध्यम से कुम्भकर्णी निद्रा में सोये और अपनी सामाजिक जिम्मेवारी से भाग रहे ECL को भी नंगा किया और उसे बताया कि कोरोना के इस भीषण संकट में उसे क्या करना चाहिए?

संजय रंजन

खुशी इस बात की है कि ECL जगा और अपना मैरेज हॉल आम जनता के लिए खोल दिया, लेकिन इसने अभी भी विस्थापितों और जनता को भोजन मिले, इसके लिए चवन्नी तक खर्च नहीं की हैं, जबकि महागामा ललमटिया इलाके में लाखों लोगों के सामने भोजन का संकट हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि इन कर्मवीर पत्रकारों ने ECL के खिलाफ सामाजिक कैंपेन चला रखी हैं, ताकि इनके बेशर्म अधिकारियों को शर्म हो और वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकें।

सन्नी शारद

आप आश्चर्य करेंगे कि रांची के बरियातू में एक बुर्जूर्ग दंपत्ति जो दवा और राशन की समस्याओं से जूझ रहे थे, उन तक जब किसी की ध्यान नहीं गई, तो इन कर्मवीर पत्रकारों ने कुछ ही पल में उन तक दवा और राशन दोनों पहुंचा दिया, वह भी बिना किसी सेवा शुल्क के। जब तेलंगाना के सिकंदराबाद से गिरिडीह के रहनेवाले एक मजदूर ने जब टीम के एक सदस्य सन्नी शारद को फोन कर यह बताया कि वह दो दिनों से बिस्किट खाकर रह रहा हैं, और उसने राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को मदद के लिए कॉल किया तो उनके पीए ने आपका नंबर दे दिया, प्लीज मदद करें।

अब आप स्थिति की गंभीरता को समझिये कि मंत्री का पीए तक ऐसी स्थिति में लाचार हैं और उसे भरोसा हैं तो इन कर्मवीर पत्रकारों पर, और लीजिये उक्त मजदूर की भी समस्या समाप्त। कमाल हैं, खुद लाखों-करोड़ों में खेलनेवाला आजसू का बड़ा नेता, गिरिडीह का सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी भी इस हालात में दिखाई नहीं पड़ रहा हैं और इधर तेलंगाना में फंसे दस मजदूरों को बीस दिनों का खाना और राशन पहुंचवा दिया गया, साथ ही स्थानीय प्रशासन से संपर्क भी करवा दिया। मुंबई में फंसे मजदूरों को भी इन्होंने आर्थिक सहायता पहुंचाई। अनाथ और मजदूरों के बच्चों के शेल्टर होम में बीस दिनों का राशन पहुंचवाया गया।

रांची का सेल सिटी जानते हैं न, जो एक जदयू नेता का हैं, एक चैनल के मालिक का हैं, वहां के मजदूरों की सुध लेनेवाला भी कोई नहीं, बल्कि ये कर्मवीर पत्रकार ही हैं। समझने की कोशिश कीजिये। जल्दी ही सेल सिटी में मजदूर के घर तक  राशन और पैसे पहुंचाये गये। बोकारो और गुमला के मरीज को रांची से दवा भिजवाया गया।

अब इसी टीम के छंदोश्री ठाकुर से मिलिये, जिन्होंने अपने रांची कांके रोड स्थित सोसाइटी में पचास मजदूरों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था कर दी, जब उन्होंने देखा कि पैदल चल रहे मजदूरों की हालत कोरोना के बाद लॉकडाउन से पस्त हो रही हैं, इन्होंने स्थानीय प्रशासन से इन मजदूरों को रखने की अनुमति मांगी और स्थानीय प्रशासन ने अनुमति भी दे दी। अब सवाल उठता है कि दिल्ली-मुबई-चेन्नई-कोलकाता जैसे महानगरों में ऐसे कितने पत्रकार हैं, जिनका दिल इतना बड़ा है।

मुजफ्फरपुर में जहां हाल ही में जानलेवा बीमारी से सैकड़ों बच्चे मौत के मुंह में जा रहे थे, मालूम है न वहां किस पत्रकार ने गर्दा मचा दिया था, नाम है- आनन्द दत्ता। आनन्द दत्ता यहां भी गर्दा मचा रहे हैं। तीर्थ नाथ आकाश मालूम है न, जिसे जेल में डालने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके लोगों ने क्या नहीं किया, आज वो वह काम कर रहा हैं, जो किसी जिंदगी में भाजपाई नहीं कर सकते।

हम आपको बता दें कि इनकी टीम के इस कार्य को देख, कई लोग इनसे जुटते जा रहे हैं, टीम बहुत लंबी बनेगी, लोग सेवा के लिए आयेंगे। हम तो कहेंगे बधाई दीजिये, नमन करिये, ऐसे युवा पत्रकारों को, जिन्होंने अपने कर्म के साथ-साथ, देश-सेवा का भी व्रत लिया और उसे पूरा करने में जुट गये। जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के सेवा को ही अपना आधार स्तंभ बना लिया। जहां ऐसे कर्मवीर पत्रकार होंगे, भला उस स्थान या उस देश में कोरोना महामारी कितने दिन टिकेगी। बधाई कर्मवीर पत्रकारों, आपके इस संकल्प व सेवा के आगे, ये कोरोना जरुर हारेगी, भारत जीतेगा, हम जल्दी ही एक नये वातावरण में काम करेंगे। नमन।