अपनी बात

स्वतंत्रता दिवस के 75वें दिवस पर पुलिस मुख्यालय में DGP के सामने हुआ राष्ट्रीय ध्वज का अपमान

15 अगस्त को ठीक 15.27 पर सोशल साइट फेसबुक पर झारखण्ड पुलिस की ओर से एक मैसेज तीन फोटो सहित डाला गया जिसमें लिखा था – “75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा ने झारखण्ड पुलिस मुख्यालय में झंडोत्तोलन कर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी तथा इस अवसर पर सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी”। अब सवाल राज्य के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा से, वे स्वयं अपने फोटों पर नजर डाले और बताएं कि क्या राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रीय सैल्यूट ऐसे ही दिया जाता है, जैसा उन्होंने दो दिन पहले 15 अगस्त को दिया।

पहली गलती – जो वरीय पुलिस अधिकारी उनके बगल में खड़ा होकर सलामी दे रहा है, क्या उसकी सभी अंगूलियां आपस में मिली हुई है? क्या ये सलामी का तरीका सही है? अगर ऐसा उसने नहीं किया, इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि राष्ट्रीय सलामी देना का बुनियादी प्रशिक्षण तक इन्हें नहीं दिया गया हैं, या इन्हें मालूम नहीं है, या ये बुनियादी प्रशिक्षण को गंभीरता से नहीं लिये, या फिर भूल गये, क्या भूल गये, ये बुनियादी प्रशिक्षण ही भूल गये और यदि इनके हाथ में कोई प्राब्लम हैं तो मामला कायदे से इन्हें मेडिकल केटेगरी मिलना चाहिए।

दूसरी गलती – जो अधिकारी राष्ट्रीय ध्वज को फहरवाने सहयोग कर रहा हैं, डोर पकड़ा हैं, वो सावधान की मुद्रा में नहीं हैं, आप खुद देखे, उसके दोनों पांव छितरे हुए हैं, यानी वो विश्राम की मुद्रा में राष्ट्रीय ध्वज को ठीक करने की कोशिश कर रहा हैं, वो भी राष्ट्रीय सैल्यूट के दौरान, जो शर्मनाक है। आम तौर पर ऐसे मामले में सहयोग करनेवाला, जैसे ही राष्ट्रीय ध्वजारोहण हो जाता है, राष्ट्र गान प्रारंभ होता है, उस दौरान डोर पकड़कर सावधान की मुद्रा में खड़ा रहता है, जब राष्ट्र गान समाप्त हो जाता है, तब वो डोरी को ध्वज दंड में बांधने का प्रयास करता है।

पर यहां तो सभी को हड़बड़ी हैं, क्यों भाई? कही और जाना है क्या? इससे तो स्पष्ट होता है कि इन्हें भी बुनियादी प्रशिक्षण नहीं दिया गया या इनके पास किन्ही कारणों से बुनियादी प्रशिक्षण का अभाव है। हम तो इस बात को भी मानते/जानते हैं कि कुछ देशभक्त पुलिस अधिकारियों को छोड़कर, ईमानदारी से सभी से जन-गण-मन गवा दिया जाये, तो इसमें ज्यादातर लोग पूर्णतः असफल सिद्ध होंगे, वंदे मातरम् तो दूर की बात है।

ये सभी गड़बड़ियां, वो भी भारतीय स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर बताती है कि पुलिस मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वजोत्तोलन के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ, जबकि हम आपको बता दें कि ड्यूटी के दौरान भी इस प्रकार के प्रशिक्षण बराबर दिये जाते हैं, ताकि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो। अब चूंकि राज्य के पुलिस मुख्यालय में ही, वो भी पुलिस महानिदेशक के सामने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो रहा हो।

तब हम कैसे समझ ले कि और पुलिस महकमों/थानों में ठीक से राष्ट्रीय ध्वज फहरा होगा? अरे भाई जब आप वर्दी, बेल्ट, टोपी शरीर पर धारण कर लिये, तो फिर क्या शक रह गया, क्या डाउट रह गया? ये कि आप राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करेंगे और फिर कहेंगे कि गलती हो गई, हालांकि आपने अभी तक इसके लिए अपनी गलती भी स्वीकार नहीं की और न करेंगे, क्योंकि में आपको जानता हूं।

ऐसे भी कोई अखबार या चैनल की हिम्मत नहीं कि आपकी इस गलती पर अंगूली उठा दें, क्योंकि ये सभी हेमन्त भक्त हैं, और जिनकी हेमन्त में भक्ति दिखाई दें, उन पर कोई शक कैसे कर सकता हैं, पर विद्रोही24 तो आपको आइना दिखायेगा, बतायेगा, और कहेगा पुलिस महानिदेशक जी, आपने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है, वो भी पुलिस मुख्यालय में…

एक बात और याद रखिये, चूंकि हमने आप पर अंगूली उठा दी हैं, इसलिए कल के लिए हमने तैयारी भी कर ली हैं, अपना होमवर्क पूरा कर लिया हैं, आप फिर कल कोतवाली थाने में पूर्व की तरह यानी 24 मई 2021 के दिन की तरह मुझे बुलवा सकते हैं। उसी फर्जी केस में, जिस फर्जी केस को आप जानते हुए भी, उसे जिन्दा रखने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। समझे पुलिस महानिदेशक साहब, अंग्रेजी में DGP साहेब।