झारखण्ड आदिवासी महोत्सव में आदिवासी साहित्य व इतिहास पर दो दिनों तक चलेगा राष्ट्रीय सेमिनार, भाग लेंगे देश-विदेश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार व इतिहासकार
रांची में कल से शुरु होनेवाले “झारखण्ड आदिवासी महोत्सव-2023” में आदिवासी साहित्य, आदिवासियों के इतिहास व उनके सांस्कृतिक चेतनाओं व धरोहरों को लेकर एक वृहत स्तर पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया जा रहा है। इस सेमिनार में देश-विदेश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार व इतिहासकार शामिल हो रहे हैं।
अगर आपको आदिवासी साहित्य, इतिहास व उनकी सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि हैं तो आपको इसका लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के मौके बार-बार नहीं मिलते। राज्य सरकार ने इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर सही में झारखण्ड के लोगों के लिए एक सुंदर अवसर प्रदान किया है। इस राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में जनजातीय अर्थव्यवस्था, जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान के अतीत और भविष्य आदि विषयों पर भी चर्चा की जाएगी।
जनजातीय अर्थव्यवस्था
एक राष्ट्र के आर्थिक विकास में जितना महत्वपूर्ण योगदान शहरी अर्थव्यवस्था का होता है, उतना ही जनजातीय अर्थव्यवस्था का भी होता है। इस सेमिनार में आर्थिक व्यवस्था के दोहरे उद्देश्यों पर विशेष चर्चा में शामिल होनेवाले वक्ताओं के नाम इस प्रकार हैं – डॉ. सी पी चंद्रशेखर, डॉ. जयति घोष, डॉ. अमित भादुरी, डॉ. प्रवीण झा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. जीन ड्रेज़, डॉ. बेला भाटिया, डॉ. रमेश शरण, डॉ. जया मेहता एवं पी. साईनाथ।
जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य
आदिवासी जीवन और उसके मूल्यों को समझने के लिए मानवविज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य जानना आवश्यक है। इससे जुड़े मुख्य कारकों पर प्रकाश डालने के लिए आमंत्रित हैं – प्रो. टी. कट्टीमनी, प्रो. एस एम पटनायक, प्रो. सत्यनारायण मुंडा, प्रो. विजय एस सहाय, प्रो. एम.सी. बेहरा, प्रो. पुष्पा मोतियानी, प्रो. सुमहन बंदोपाध्याय, डॉ. नरेश चन्द्र साहू, डॉ. पिनाक तरफदार एवं डॉ. डैली नेली।
आदिवासी साहित्य
आदिवासी साहित्य सेमिनार में आदिवासी जीवन, रहन-सहन, परम्पराओं एवं सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर आधारित साहित्य के विषय पर चर्चा की जाएगी। जनजातीय समूह के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के सकारात्मक परिणामों पर भी विचार विमर्श किया जायेगा। जिसमें शामिल होंगे – सुश्री ममांग दाई, प्रो (सेवानिवृत्त) मृदुला मुखर्जी, प्रो. (सेवानिवृत्त) आदित्य मुखर्जी, डॉ. राकेश बताब्याल, प्रो. महालक्ष्मी रामाकृष्णन, प्रो. वी. सेल्वाकुमार, डॉ स्नेहा गांगुली, डॉ. किशोर लाल चंदेल, डॉ देव कुमार झाजं एवं प्रो. रोमा चटर्जी।