धर्म

नवरात्र शुरु है, इसका जितना हो सकें फायदा उठाइये, इस मौके को ऐसे ही जाया होने मत दीजिये, मां की आराधना में जुट जाइये और बोलिये – या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण …

साल में एक बार मौका आता है शारदीय नवरात्र का। इस मौके को ऐसे ही जाया होने मत दीजिये। आज पहला दिन बीत गया। अब बस आपके पास आठ दिन और शेष बचे हैं। इस बचे हुए दिनों में अपने सुंदर भावों से मां को रिझाने की कोशिश कीजिये। उनसे कुछ प्राप्त करने की सोचिये, क्योंकि ये मौका बार-बार नहीं मिलता। एक बात और मां जगदम्बा से भय मत खाइये, वो सदैव करुणामयी हैं, वो अपने बच्चों पर हमेशा प्रेम लूटाती हैं। इसलिए उनसे प्रेम करना सीखिये। सपरिवार जुट-जाइये, मां की आराधना में। निश्चय ही आप भाग्यशाली सिद्ध होंगे, आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जायेंगीं।

अगर आपको ईश्वर ने आर्थिक रुप से मजबूत बनाया है। तो आप उस धन को अच्छे कार्यों में लगाइये। मां की सेवा में उक्त धन को खर्च कीजिये। कंजूसी मत करिये। हमेशा यह ध्यान रखिये कि आपके धन द्वारा जो पूजन की सामग्रियां आ रही हैं, वो कही मां को धोखा तो नहीं दे रही हैं। क्या वो पूजन सामग्रियां पूर्ण रुपेण शुद्ध हैं। ज्यादातर देखा जाता है कि पूजा के नाम पर ज्यादातर पूजा में उपयोग होनेवाली सामग्रियां अशुद्ध व बेकार होती है, जिससे पूजा करने के बाद फल हमेशा उलटे ही प्राप्त होते हैं।

अगर आप आर्थिक रुप से कमजोर हैं तो चिन्ता करने की कोई जरुरत नहीं। आप केवल मां का ध्यान करिये। किसी भी जगदम्बा मंदिर में चले जाइये। वहां फर्श पर एक आसन बिछाइये और ध्यानस्थ हो जाइये। अगर आपके आस-पास मंदिर नहीं हैं तो बस घर में ही किसी एक कोने में शुद्ध आसन पर बैठकर मां का ध्यान लगाइये। आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी, क्योंकि मां कभी भी किसी भक्त से किसी भी वस्तु की कामना नहीं करती। वो सिर्फ भाव देखती हैं कि उसके साधक या भक्त ने जो भी उनके समक्ष अर्पण किया, वो किस भाव से किया।

कोशिश कीजिये कि नौ दिनों तक आप सात्विक जीवन बितायें। आपका भोजन शुद्ध हो। आपके भोजन में हिंसा से प्राप्त किया गया वस्तु का प्रयोग न हुआ हो। आप अपनी इच्छा व शक्ति के अनुसार भोजन का चयन कर सकते हैं। अगर आप फल पर नौ दिन रहकर मां जगदम्बा का ध्यान कर सकते हैं तो भी ठीक है। अगर आप भोजन का सहारा लेकर मां जगदम्बा का ध्यान करते हैं तो वो भी ठीक है। ये बिल्कुल आपके उपर निर्भर है कि आप कैसे व्रत करते हैं।

मां जगदम्बा की पूजा दो प्रकार से होती है। एक सकाम और दूसरा निष्काम। अगर आप किसी कामना को लेकर पूजा या ध्यान करते हैं तो वो पूजा सकाम मानी जाती है और अगर आप बिना किसी कामना के पूजा करते हैं तो वो निष्काम हो जाती हैं। लेकिन अगर आप दूसरों या विश्व के कल्याण के लिए मां की पूजा व ध्यान करते हैं तो यह पूजा सर्वश्रेष्ठ पूजा की श्रेणी में आ जाती है। कोशिश कीजिये कि आप मां की आराधना स्वयं करें, इसमें किसी का सहारा नहीं लेना पड़ें। बाल, वृद्ध व रोगियों के लिए केवल नाम स्मरण ही उद्धार का कारण बन जाता हैं, जबकि अन्य के लिए ऐसा नहीं हैं। उनकी परीक्षा नाना प्रकार से मां जगदम्बा लेती रहती हैं। जब साधक उन परीक्षाओं में उतीर्ण होता हैं तब जाकर सफल होता हैं। इसलिए इस मौके का फायदा उठाइये, जाया होने मत दीजिये।