न तो आप भक्ति और न ही आपको हिन्दुत्व की जानकारी है, आप सिर्फ DC DEOGHAR हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं मंजूनाथ
आप स्वयं को मंजूनाथ क्यों कहते हैं? आप तो साक्षात् वैद्यनाथ हैं, क्योंकि आपको सीधे कैलाश स्थित मानसरोवर में विद्यमान भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त है। भला आपका कोई क्या बिगाड़ लेगा, इसलिए आप जिसे भक्ति कह रहे हैं, जिसको हिन्दुत्व कह रहे हैं और स्वयं को उपायुक्त के पद का गुमान में फिट कर, जिसे आप फर्जी हिन्दू कह रहे हैं, वो आपको बोलने का हक हैं, महोदय। एकदम बोलिये।
आप जो किसी को कह रहे है कि आपको कही भी जाने का हक हैं, आप कही भी जा सकते हैं, जरुर जा सकते हैं, पर उपायुक्त के पद पर होने के कारण ही न, लेकिन जो उपायुक्त से भी ऊंचा है, जो आपके मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से भी बड़ा हैं, जो सृष्टि का संहारक हैं, उसके दरबार को लेकर, उस गर्भगृह में जलाभिषेक पर आपका दिया गया बयान बेहद ही शर्मनाक है।
शायद आप डीसी बन गये हैं, पर अपने जीवन में कबीर की वो पंक्ति नहीं पढ़ी –
लघुता ते प्रभुता मिले, प्रभुता ते प्रभू दूरि। चीटी लैं, शक्कर चली, हाथी के सिर धूलि।।
जैसे ही आप पद के गुमान में स्वयं के अस्तित्व को भूलकर स्वयं को ब्रह्मांडनायक स्थापित करने लग जाते हैं, ठीक उसी वक्त देवत्व आपसे दूरियां बना लेता हैं और जब देवत्व दूरियां बना लेता हैं तो आप कितना छोटा हो जाते हैं, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। आपको तो चाहिए था कि जिसने आपका विडियो बनाया,या वायरल किया, उस पर दया दिखाते और अपने मन के भाव को दबाकर किसी नदी या नहर में अपनी भावना के अनुसार विसर्जित कर देते।
तो आप महान भी हो जाते, लेकिन जिस प्रकार की भावनाएं आपने संबंधित व्यक्ति को दिखा दी, वो भी उपायुक्त के पद के गुमान में आकर, बताता है कि आपको न तो भक्ति, न ही हिन्दुत्व और न ही धार्मिकता की परिभाषा आती है। ऐसे जान लीजिये, वो सामान्य जनता भी जानती है कि एक उपायुक्त का पद कितना प्रभावशाली होता हैं, पर उस जनता को उपायुक्त द्वारा ये बताया जाना कि वो उपायुक्त हैं, बता देता है कि वो उपायुक्त है भी या नहीं।
आपके वक्तव्यों को लेकर भाजपा के गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने एक ट्विट किया है, जरा उसे देख लीजियेगा – “मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी, हजारों की संख्या में देवघर जिला प्रशासन डीसी देवघर के नेतृत्व में गैर कानूनी पूजा करता व कराता है, अखबार की कतरन यदि आम जनता पोस्ट करती है तो धमकी भी देते हैं। सुप्रीम कोर्ट में मेरे वकील इसके बारे में न्याय मांगेगे।” लीजिये चले थे, भक्ति दिखाने, हिन्दुत्व की परिभाषा गढ़ने और पहुंच गये सुप्रीम कोर्ट, तो फिर ऐसी भक्ति किस काम की, ऐसा हिन्दुत्व किस काम का?
पता नहीं, हेमन्त सरकार में कुछ आईएएस/आईपीएस को क्या हो गया हैं, वो खुद को भगवान से भी बड़े समझने लगे हैं, जनता को तो ये पांव की जूती भी नहीं समझते, तभी तो जनता से ही उलझ जाते हैं, जबकि इसी राज्य में रमेश घोलप जैसे आईएएस भी हैं, जो इन सभी पचड़ों से दूर होकर, सही मायनों में एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की क्या जिम्मेवारी होती हैं, उस जिम्मेवारी को बड़ी ही सहजता से निभा रहे हैं, लेकिन मंजूनाथ को कौन समझाएं।