निशिकांत का सवाल – “ED के केस में CM हेमन्त के MLA प्रतिनिधि पंकज जेल में है, उसी केस में मंत्री आलमगीर का भी नाम, फिर इनका नंबर कब?”
आप माने या न माने, झारखण्ड में एकमात्र सांसद कहिये, राजनीतिज्ञ कहिये, धुरंधर कहिये, विकास को लेकर सजग व्यक्ति कहिये या झामुमो-कांग्रेस के नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों का नींद उड़ाकर रख देनेवाला अकेला शख्स कहिये, वो हैं – गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे। वे हमेशा चर्चा में रहते हैं। चर्चा में वे ऐसे ही नहीं रहते।
वे रह-रहकर, समय-समय पर ऐसा-ऐसा ट्विट कर देते हैं कि जिनके खिलाफ वे ट्विट करते हैं, उस पार्टी और उस शख्स का नींद उड़ जाता हैं और ले-देकर वो वहां चला जाता हैं, जहां उसने परिकल्पना भी नहीं की हैं/थी। अब लीजिये ताजा मामला कांग्रेस विधायक दल के नेता व संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम का है।
डा. निशिकांत दूबे ने इनको लेकर आज एक ट्विट कर दिया, वो ट्विट पर जरा ध्यान दीजिये – “जिस प्रवर्तन निदेशालय के केस में मुख्यमंत्री हेमन्त जी के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा जेल में हैं, उसी केस में झारखण्ड सरकार में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री आलमगीर आलम जी का भी नाम है, इनका नंबर कब तक?”
ये ट्विट कोई साधारण नहीं हैं। निशिकांत दूबे ने ताल ठोककर कह दिया कि जिस प्रवर्तन निदेशालय के केस में राज्य के मुख्यमंत्री पंकज मिश्रा जेल में हैं, ठीक वहीं केस में आलमगीर आलम का नाम है, अब आश्चर्य इस बात का है कि जब आलमगीर आलम का नाम था तो ये अब तक सूत्रों के महावीरों पत्रकारों तक ये बात क्यों नहीं आई? आखिर ये इतनी सूक्ष्म तरीके से वे जांच क्यों नहीं कर पायें, क्या ईडी वाले ने अखबारों को बताया नहीं, या अखबार/चैनलवाले खा गये।
इन्हीं बातों को लेकर हमने एक समाचार 27 मई 2022 को छापा था, जिसका हेडिंग था – रांची के अखबारों-चैनलों के पास कुछ भी नहीं हैं, सही जानकारी के लिए सीधे निशिकांत और सरयू के ट्विट से जुड़िये, “एक-एक कर सबका नाम सामने आयेगा, विधानसभा में सत्तापक्ष के सारे कुर्सी खाली होंगे”। यह खबर आज भी विद्रोही24 पर लगी हुई हैं, आप इस समाचार को वहां जाकर पढ़ सकते हैं।
डा. निशिकांत दूबे के आज के ट्विट से एक बार फिर ये बात सिद्ध हो गया, कि यहां के सारे अखबार/चैनल/पोर्टल सिर्फ नाम के हैं, असली पत्रकारिता तो डा. निशिकांत दूबे ही कर रहे हैं। अब विद्रोही24 के दिमाग में एक बात और उधम मचा रखी हैं कि जब प्रवर्तन निदेशालय को मालूम हैं कि आलमगीर आलम भी पंकज मिश्रा की श्रेणी में हैं, तो ईडी उन पर इतनी उदारता क्यों बरत रही हैं? उन्हें अपना काम तो ईमानदारी से कर ही देना चाहिए, क्योंकि जनता तो उन्हें अपना असली नायक मान रही हैं और उन्हें अपने माथे पर रखी हुई हैं, आम जनता की मानें तो सीबीआई से भी धाकड़, वर्तमान में तो आईडी ही है।