अपनी बात

भाजपा लाख कूथ ले, कितना भी कार्यशाला आयोजित कर ले, झारखण्ड में सफलता मिल ही जायेगी, लोग PM मोदी की सभा में पहुंच ही जायेंगे, इसकी संभावना अब दूर-दूर तक नहीं दिखती

अब भाजपा लाख कूथ ले। कितना भी लाभार्थियों के नाम पर कार्यशाला आयोजित कर ले। लेकिन झारखण्ड में उसे इस बार सफलता मिल ही जायेगी। लोग पीएम मोदी की सभा में पहुंच ही जायेंगे। इसकी गारंटी खुद भाजपा के ही बड़े नेता अब नहीं दे सकते, क्योंकि इनके प्रदेश स्तर के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, महामंत्री प्रदीप वर्मा जैसे कुछ नेताओं ने भाजपा को ऐसी स्थिति में लाकर पटक दिया है कि जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं ने खुद पार्टी से ही दूरियां बनानी शुरु कर दी है।

भाजपा के इन समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी से बढ़ती दूरियों को शायद भाजपा के समर्पित नेताओं ने भी समझ लिया है, तभी तो कल भाजपा की ओर से झारखण्ड की 14 लोकसभाओं में लाभार्थी संपर्क अभियान सह लोकसभा कार्यशाला आयोजित किये जाने के बावजूद, इन कार्यशालाओं में संबंधित लोकसभाओं के बड़े-बड़े समर्पित कार्यकर्ताओं, यहां तक की विधायकों ने भी दूरियां बना ली। मतलब कुल मिलाकर, देखा जाय तो यह कार्यशाला चूं-चूं का मुरब्बा बनकर रह गया। राजधानी रांची में आयोजित लाभार्थी कार्यशाला को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने संभाला तो अन्य जगहों पर दूसरे भाजपा नेताओं को जिम्मेदारी दी गई।

सबसे पहले ये जानिये कि ये कार्यशाला क्यों आयोजित की गई थी। ये कार्यशाला उन मंडल कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित था, जो अपने मंडल के लाभार्थियों से संपर्क कर अपने-अपने क्षेत्रों के लाभुकों को यह बताते कि वे जिन-जिन केन्द्रीय योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, वे सब पीएम मोदी जी की कृपा से ही संभव हुआ है। इसलिए लोकसभा के चुनाव में वोट पीएम मोदी जी को ही देना है, मतलब हर हाल में अंगूली कमलवाली बटन पर ही दबाना है।

इस कार्यशाला में मंडल कार्यकर्ताओं को विशेष रुप से भाग लेना था। लेकिन उपस्थिति तो उन सभी की होनी थी, जो वहां रहते हैं। रांची में खुद जहां बाबूलाल मरांडी कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे, वहां मंडल कार्यकर्ता थोड़े-बहुत दिखे तो वे भी दिखे, जिन्हें बुलाया नहीं गया था। हालांकि इस रांची में भी आयोजित कार्यशाला में विधायक सीपी सिंह, विधायक नवीन जायसवाल, विधायक समरी लाल नहीं दिखे।

उधर धनबाद में तो गजब दिखा। लोकसभा के पालक संजीव अग्रवाल नहीं दिखे। पूर्व महापौर शेखर अग्रवाल नहीं दिखे। जिला परिषद् अध्यक्ष शारदा सिंह नहीं दिखी। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रागिनी सिंह, रमेश राही, धरमजीत सिंह व प्रियंका पाल नहीं दिखी। उधर धनबाद के एकमात्र विधायक राज सिन्हा तो दिखे। लेकिन ढुलू महतो व निरसा विधायक अपर्णा सेन गुप्ता नहीं दिखी।

दिल्ली में ज्यादातर रहनेवाले व दिल्ली के भाजपा नेताओं की परिक्रमा करनेवाले हवा-हवाई नेता व कर्मवीर की कृपा से अचानक प्रदेश प्रवक्ता बन चुके विनय सिंह नहीं दिखे। शायद इसे कही जाने की भी क्या जरुरत ये तो दिल्ली-रांची के कई भाजपा नेताओं को अपनी मुट्ठी में रखता हैं, तो इसे कौन बोलेगा। वहीं दूसरी ओर प्रदेश मंत्री गणेश मिश्र ने भी दूरियां दिखा दी। लेकिन जिसे नहीं होना था, वो अपनी उपस्थिति पूरी दम-खम से दिखा दिया। नाम – सरोज सिंह।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह लाभुकों के नाम पर आयोजित कार्यशाला भाजपा की बढ़ती अलोकप्रियता का ट्रेलर हैं। अगर इस ट्रेलर को भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने समझ लिया तो बेड़ा पार है, नहीं तो 2019 के विधानसभा चुनाव का पूरा फिल्म देखने के लिए फिर से भाजपा के दिल्लीपीठाधीश्वर तैयार रहे। 2019 याद है न। रांची व दिल्ली के सारे अखबार, चैनल और पोर्टल, धनलोलुपता में आकर हर-हर रघुवर, घर-घर रघुवर का मंत्र जाप कर रहे थे। इनके इस रघुवर भक्ति में आकर भाजपा के शीर्षस्थ नेता बौरा गये थे कि हम तो फिर से झारखण्ड में आ रहे हैं।

लेकिन विद्रोही24 डंके की चोट पर कह रहा था कि भाजपा नहीं आ रही। हेमन्त की टीम आ रही है और वहीं हुआ भी, क्योंकि विद्रोही24 झारखण्ड की जनता का नब्ज पकड़ चुका था। आज भी विद्रोही24 डंके की चोट पर कह रहा है। जिन मंडलों में दो-दो कथित भाजपा कार्यकर्ताओं को लाभुकों को समझाने या उन्हें भाजपा की ओर आकर्षित करने के लिए प्रभारी व सह प्रभारी बनाया गया है।

सच्चाई यह है कि उन मंडल कार्यकर्ताओं की उसी मंडल में पहचान तक नहीं हैं। लोग उन्हें जानते ही नहीं। खुद उनकी अपनी पहचान की संकट है। लोग उनकी सक्रियता से वाकिफ नहीं हैं। ऐसे में इस प्रकार के आयोजनों से किसे फायदा मिलेगा। रांची से दिल्ली तक बैठनेवाले भाजपा के पीठाधीश्वर जितना जल्दी हो समझ लें। उतना ही अच्छा है।

अंत में, कल की ही बात है। एक कट्टर भाजपा कार्यकर्ता विद्रोही24 से मिला। उसने बताया कि एक बार जब वो प्रदेश संगठन मंत्री से मिला और कुछ बातें कहनी चाही तो प्रदेश संगठन मंत्री का कहना था कि ज्यादा बक-बक मत करो। जो काम दिया जा रहा हैं, करो। नहीं तो यहां कार्यकर्ताओं की कमी नहीं हैं। जिससे चाहेंगे, उससे काम करा लेंगे। ऐसे में तो भैया झारखण्ड में भाजपा डूब जायेगी। ये बात दिल्ली में बैठा भाजपा का बड़का नेता सब समझ ही नहीं रहा कि यहां भाजपा के नाव में कितना बड़ा छेद ये लोग कर चुका है, जिसका रिपेयरिंग जरुरी है, नहीं तो यहां भाजपा का नाव डूबना तय है।