न पानी, न बिजली, प्रदूषण में अव्वल, दो साल रेल सेवा भी ठप, फिर भी धनबाद की जनता को भाजपा पसन्द
धनबाद में करीब दो सालों तक धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन बंद रहा, पूरी 26 जोड़ी ट्रेनें बंद कर दी गई, रेललाइन के बंद होने से लाखों बेरोजगार हो गये, दो सालों तक लोगों की जिंदगी ठहर गई, दो सालों तक कई लोग धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन को चालू कराने के लिए संघर्ष करते रहे, धनबाद का ही एक गांधीवादी डा. विनोद गोस्वामी निरन्तर बिना किसी गैप के, कतरास स्टेशन पर गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करता रहा, फिर भी किसी की आंखे नहीं खूली, पर जैसे ही 2019 की लोकसभा चुनाव की आहट हुई, भाजपा को लगा कि धनबाद और गिरिडीह सीटें उसके हाथ से निकल जायेगी, वह इसी साल आनन–फानन में 24 फरवरी को धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन पर रेल–सेवा बहाल कर दी।
आज भी धनबाद के लोग एक दिल्ली के लिए पिछले कई वर्षों से ट्रेन की मांग कर रहे हैं, पर उनकी ये मांग आज तक पूरी नहीं हुई। मुंबई के लिए जो धनबाद होते एक ट्रेन हावड़ा से होकर मुंबई तक जाती थी, जिसका नाम था मुंबई मेल, उसे भी सप्ताह में कुछ दिनों के लिए पटना से कर दिया गया। धनबाद जैसे शहर में एयरपोर्ट तक नहीं। ले–देकर इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स के बाद एक भी उच्चतर शिक्षण संस्थान धनबाद में देखने को नहीं मिला।
कोयला खनन के कारण अपने प्रदूषण के लिए विख्यात धनबाद की जिंदगी नरकमय बन चुकी, जबकि पूरा देश जानता है कि प्रदूषण के मामले में धनबाद पूरे देश में एक नंबर पर है। बिजली और पानी के लिए यहां तो हमेशा से हाहाकार रहा है, इधर कुछ सालों में तो स्थिति और भयावह हो गई, उसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह के जीत की संभावना प्रबल हो तो इसे क्या कहा जाये?
जनता की मूर्खता या भाजपा प्रत्याशी की विद्वता–लोकप्रियता। अभी हाल ही में भाजपा के घोषित प्रत्याशी पीएन सिंह ने दावा किया कि वे इस बार पांच लाख से भी अधिक वोटों से जीतेंगे। उनके इस दावे में कोई किन्तु–परन्तु भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि जो धनबाद की स्थितियां हैं, कमोबेश यहीं बता रही है।
हद हो गई और हद है धनबाद की जनता, इतने बड़े–बड़े कष्टों को झेलने के बाद भी, समस्याओं से प्रतिदिन जूझने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह के पक्ष में ज्यादा दिखाई पड़ रही है, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं बतौर सांसद कई बार धनबाद का प्रतिनिधित्व कर चुकी रीता वर्मा भी पीएन सिंह को एक बेहतर सांसद नहीं मानती, उसके बावजूद भाजपा प्रत्याशी ताल ठोक दें, तथा विपक्ष के भी, उनके घुर विरोधी लोग यहीं कहे कि पीएन सिंह की जीतने की संभावना अधिक हैं तो फिर कोई नेता काहे को काम करें, वो ऐसे ही क्यों न जीत जाये।
ऐसी स्थितियों के बाद, अब क्या समझा जाये कि जनता अपनी सारे दुख को भूल गई, उसे पीएन सिंह में भगवान नजर आने लगे, जनता को लगता है कि पीएन सिंह ही उन्हें उद्धार कर सकते हैं, दूसरा कोई हो ही नहीं सकता, ऐसा है नहीं। चूंकि जनता के पास विकल्प ही नहीं, ऐसे में अल्लाह मेहरबान तो …. पहलवान की लोकोक्ति धनबाद में फिट हो जाती है।
चूंकि पूर्व में मासस इस सीट से बराबर जीता करती थी, जिसके नेता हुआ करते थे, ए के राय। आज भी उनके जैसा ईमानदार नेता न भारत में हुआ और न होगा। आज भी वे तीन–तीन बार सांसद रहने के बावजूद पेंशन नहीं लेते, क्योंकि उनका मानना है कि जनप्रतिनिधि और लोकसेवक में अंतर होता है, जो लोकसेवक होते है, उन्हें उनकी सेवा के बदले वेतन व पेंशन का भुगतान जायज है, पर जनप्रतिनिधियों के लिए ऐसा करना गलत।
इतनी ऊंची सोच, क्या कोई बता सकता है कि भाजपा में किस नेता के पास है, उत्तर होगा – एकदम नहीं। जब से मासस के नेता ए के राय चुनाव हारे, तब से लेकर आज तक ज्यादातर इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा और अभी स्थिति ऐसी है कि यहां भाजपा किसी को भी खड़ा कर दें, वह चुनाव आराम से जीत जायेगा, चाहे वह महामूर्ख ही क्यों न हो। केवल 2004 में सिर्फ एक बार कांग्रेस के टिकट पर चंद्रशेखर दूबे धनबाद से सांसद बने, उसके बाद से पीएन सिंह सांसद बनते रहे।
इस बार भी बन जायेंगे, क्योंकि महागठबंधन की ओर से धनबाद कांग्रेस को लड़ने के लिए दिया गया है, और कांग्रेस ने अभी तक उसका उम्मीदवार कौन होगा, अभी तक तय नहीं किया है। ले–देकर कांग्रेस की ओर से धनबाद की हवाओं में चंद्रशेखर दूबे तथा कीर्ति आजाद का नाम तैर रहा है, पर जिस प्रकार से देरी की जा रही हैं, यहीं देरी कांग्रेस के लिए भस्मासुर का काम कर रही है, यानी जैसे भस्मासुर खुद ही नाचते–नाचते अपने हाथों को अपने सर पर रख, खुद को भस्म कर लिया था, कांग्रेस भी उम्मीदवार अब तक घोषित नहीं कर पाने के कारण इसी स्थिति में आ गई है।
हालांकि कुछ लोग बताते है कि चंद्रशेखर दूबे की प्रवृत्ति लड़ाकू की रही है, उनकी इमेज अन्य प्रत्याशियों की अपेक्षा जनता की ओर से, जनता के लिए लड़ने की रही है, अगर कांग्रेस चंद्रशेखर दूबे को टिकट देती है, तो कुछ संघर्ष दीखेगा, हो सकता है कि परिणाम आश्चर्यजनक हो जाये, पर कीर्ति आजाद को टिकट मिलने के बाद तो परिणाम लगता है कि शत् प्रतिशत घोषित हो जायेगा कि धनबाद का अगला सांसद कौन होगा?