एक प्रतिशत का भारत नहीं, हमें 99 प्रतिशत का भारत चाहिए – ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम द्वारा 2019 चुनाव के लिए झारखण्ड समेत देश की व्यापक जनता के ज्वलंत जन मुद्दों को चुनाव का मुद्दा बनाने के लिए, भारत की जनता का घोषणा पत्र तैयार कर दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों की राजधानी में आज इसे जारी किया गया। फोरम की झारखण्ड इकाई द्वारा आज रांची के फादर कामिल बुल्के सभागार में झारखण्ड व भारत की जनता का घोषणा पत्र जारी करते हुए मोदी सरकार द्वारा देश की जनता की जनता के समक्ष परोसे जा रहे 10 बड़े झूठ को सामने लाते हुए घोषणापत्र के जरिये मांग की गयी कि…
रफाल – सौदा घोटाला, कर्मचारी चयन आयोग घोटाला, स्टार्ट अप इंडिया में हुए घोटालों व व्यापम – सृजन घोटालों के सभी दोषियों को सज़ा दी जाय। मजबूत लोकपाल की स्थापना, भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को कमजोर करने के प्रावधानों को वापस, प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट बंद, अमीरों व कॉर्पोरेटों द्वारा हड़पे गए बैंक लोन की वापसी की गारंटी दी जाय।
चुनावी चंदे की पारदर्शिता लागू की जाय, चुनावी भ्रष्टाचार के लिए लायी गयी ‘चुनावी बांड‘ योजना वापस ली जाय तथा बैलेट चुनाव कराई जाय, समानुपातिक प्रतिनिधित्व लागू की जाय। जनता पर टैक्स लादना बंद की जाय, देश के एक अमीर व कॉर्पोरेट कंपनियों को क़र्ज़ बंद की जाय। सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम घटाइ जाय, सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू कर उसे आधार से जोड़ना बंद की जाय, गरीबों के खाता में पैसा भेजने की बजाय सीधे राशन की गारंटी की जाय।
मनरेगा को खेती से जोड़कर साल में 250 दिनों की गारंटी की जाय, खेत मजदूरों – ग्रामीण कामगारों को 500 /- न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की जाय। सभी बेरोज़गारों को सुरक्षित –सम्मानजनक रोज़गार की गारंटी की जाय, तमाम रिक्त सरकारी अविलम्ब बहाली की जाय। कॉमन स्कूल व्यवस्था लागू की जाय, निजी शिक्षण संस्थानों – कोचिंग की मनमानी पर लगाम लगाई जाय, कैम्पस में लोकतंत्र की गारंटी की जाय, आरक्षण व्यवस्था लागू की जाय, उच्च शिक्षा में कटौती बंद की जाय तथा छात्राओं के लिये सम्मानजनक शैक्षिक व्यवस्था – वातावरण बहाल की जाय।
साम्प्रदायिक हिंसा – घृणा और दलितों पर बढ़ते अत्याचार पर रोक लगाई जाय तथा इसे रोकने में राज्य सरकारों को जबावदेह बनाने का कानून बनाई जाय। महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू की जाय। कश्मीर व बस्तर समेत अन्य इलाकों में सैन्य हस्तक्षेप बंद कर वार्ता से समाधान की जाय। UPA, NSA, AFSPA, MCOCA व राजद्रोह जैसे दमनकारी कानूनों को समाप्त किया जाय , सभी आंदोलनकारियों पर थोपे गए इन कानूनों को फ़ौरन हटाकर रिहा किया जाय। सहज़–सस्ती–सुरक्षित जनस्वास्थ्य नीति बनाई जाय।
अल्पसंख्यकों के समुचित कल्याण के लिए जस्टिस राजेंद्र सच्चर एव जस्टिस रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट को लागू की जाय, कई अन्य मांगें, जैसे झारखण्ड के लिए — वन अधिकार, CNT/SPT और PESA कानूनों पर हमले बंद कर इन्हें कड़ाई से लागू किया जाय।
सुप्रीम कोर्ट की आड़ में आदिवासी–मूलवासियों के जंगल – ज़मीन से बेदखली की साज़िश बंद की जाय। स्टे नहीं अध्यादेश लाकर फैसला निरस्त की जाय। टाइगर प्रोजेक्ट – मंगल डैम एवं अडानी पावर प्रोजेक्ट इत्यादि परियोजनाओं के नाम पर उजाड़ना बंद किया जाय, राज्य में मॉब लीचिंग पर रोक लगाई जाय तथा इसके शिकार लोगों के परिजनों को इन्साफ व दोषियों को सज़ा दी जाय।
घोषणा पत्र जारी करते हुए फोरम राष्ट्रीय अभियान समिति सदस्य पूर्व विधायक विनोद सिंह,राष्ट्रीय अभियान समिति के सदस्य नदीम खान, सलाहकार समिति सदस्य वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर स्टेन स्वामी, राष्ट्रिय कमेटी सदस्य प्रेमचंद मुर्मू, सामाजिक कार्यकर्त्ता बशीर अहमद, अफ़ज़ल अनीस, गौतम सिंह मुंडा तथा अनिल अंशुमन ने बताया कि इस घोषणा पत्र को पूरे राज्य की जनता में ले जाने के लिए जनअभियान चलाया जाएगा । साथ ही भाजपा को छोड़ अन्य सभी विपक्षी दलों को भी ये मांग–पत्र सौंपी जाएंगी।घोषणा पत्र के मुद्दों पर सभी ज़िलों में नागरिक कन्वेंशन किये जाएंगे।