कोयला तस्करों के आतंक के आगे धनबाद पुलिस ही नहीं बल्कि धनबाद प्रेस क्लब तक नतमस्तक, यूटयूबर के अपहरणकर्ताओं को पकड़ने में पुलिस अब तक नाकाम, कल कतरास के पत्रकार निकालेंगे त्राहिमाम पदयात्रा
घटना 22 जनवरी की है। एक कोयला तस्कर का ग्रुप धनबाद में दिन दहाड़े एक यूट्यूबर का अपहरण करने की कोशिश करता है। उसके वाहन को क्षतिग्रस्त करता है। उस पर जानलेवा हमला करता है। जब वो यूट्यूबर अपनी जान बचाने के लिए चिल्लाता है, तो लोग उसे बचाने के लिए दौड़ते हैं। यूट्यूबर का साथी रिपोर्टर उसे बचाने की कोशिश करता है। लेकिन उस इलाके का प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अखबार आंख मूंद लेता हैं। अपनी अखबारों में उसे स्थान नहीं देता। पूरा अखबार इस समाचार को ऐसा पचा डालता है कि जैसे लगता हो कि धनबाद में कोई घटना ही नहीं घटी।
मतलब विडम्बना देखिये कि एक पत्रकार ही अपने पत्रकार पर हुए हमले का विरोध करने के लिए आगे नहीं आता, जबकि इनसे अच्छे तो कौवों का समूह होता है, जो अपने साथी कौवे को विपदा में देखता है, तो उसकी बचाव में कांव-कांव कर भीड़ इकट्ठी कर लेता है। भले ही वो उसकी मदद कर पाये या नहीं। मतलब आज का पत्रकार समाज को आप कौवे से भी तुलना नहीं कर सकते, ये इतने गिरे हुए है।
आश्चर्य देखिये कि आज भारतीय समाचार पत्र दिवस है। यह दिन भारतीय पत्रकारिता के योगदान को सम्मानित करने का दिन है और इस दिन भी इन अखबारों ने अपने दायित्वों का निर्वहण करना उचित नहीं समझा। आश्चर्य देखिये यहां पत्रकारों का एक बड़ा समूह है। जिसका एक अपना क्लब है। नाम है – धनबाद प्रेस क्लब। जिस क्लब में इस घटना की चर्चा तक नहीं होती और न ही वहां का अध्यक्ष इस पर आज तक एक शब्द बोलने की कोशिश की। इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है।
उधर जिस दिन घटना घटती है। वो यूट्यूबर पत्रकार निकेश पांडेय अपने साथ हुई घटना को लेकर कतरास थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाता है और वहां का थाना प्रभारी असित कुमार सिंह अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए दो दिन का समय मांगता है और आज सात दिन हो गये, आज तक अपराधी उसके गिरफ्त से बाहर हैं। आखिर वो कोयला तस्कर अपराधी गिरफ्त से बाहर क्यों नहीं होगा, जब थाना प्रभारी और उसकी टीम उसे गिरफ्तार करना चाहेगी तब न। लेकिन यहां हो क्या रहा है। जब भुक्तभोगी मंगलवार को थाना प्रभारी से बात करता है तो वहीं थाना प्रभारी जो दो दिन की मांग कर रहा था, सीधे कहता है कि इस तरह अगर आप लोग दबाव डालियेगा तो वो काम कर नहीं पायेगा। मतलब उधर धनबाद प्रेस क्लब मौन और इधर थाना प्रभारी सुस्त और उधर कोयला तस्कर के हौसले बुलंद।
अब आगे देखिये। इधर कोयला तस्कर जिसने अपराधिक घटना को अंजाम दिया। उसका पूरा परिवार 27 जनवरी को सोनू रजगढिया के घर पहुंचता है और उसे धमकाता है कि वो निकेश पर दबाव डाले कि वो कतरास थाने में उसके द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को वापस ले लें और जो उसके वाहन क्षतिग्रस्त हुए या और जो खर्चा-पानी है। वो उसे दे देगा। नहीं तो वो जेल तो चला जायेगा. लेकिन फिर उसके बाद क्या होगा? उसे नहीं पता। इधर कोयला तस्कर के परिवार के डायरेक्ट उसके घर पहुंचने और धमकाने पर उसका पूरा परिवार अलग से डरा हुआ है। लेकिन धनबाद पुलिस और धनबाद प्रेस क्लब के पत्रकारों को इससे क्या मतलब? शायद ये दोनों कुछ अलग प्रकार की घटना का इंतजार कर रहे हैं?
इधर कतरास प्रेस क्लब जो 23 जनवरी को बैठक कर घोषणा की थी कि इस घटना के विरोध में वो धनबाद के एसएसपी से मिलेगा और अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर दबाव बनायेगा। लेकिन आज छह दिन बीत गये कतरास प्रेस क्लब के किसी सदस्य ने धनबाद के एसएसपी से मिलने की कोशिश नहीं की। बताया जाता है कि 26 जनवरी को अखबारों में होनेवाले विज्ञापनोत्सव के दबाव में ये ऐसे दब गये कि उन्हें यह याद ही नहीं रहा कि उन्हें एक गंभीर मसले पर धनबाद एसएसपी से मिलने का संकल्प किया था।
अब आगे देखिये। कल एक बार फिर ये त्राहिमाम पदयात्रा निकाल रहे हैं। यह पदयात्रा कतरास प्रेस क्लब से निकलकर कतरास थाना चौक तक जायेगी। जिसमें विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संस्थाएं भी भाग लेंगी। लेकिन इसके बाद भी धनबाद प्रेस क्लब, धनबाद की पुलिस अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहण करेंगी। इस पर विद्रोही24 को संदेह हैं। क्योंकि सच्चाई यही है कि धनबाद पुलिस से लेकर धनबाद प्रेस क्लब के सारे पत्रकार डरे हुए हैं कि पता नहीं ये कोयला तस्कर किसके साथ क्या कर डाले?