अब झारखण्ड भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर ही बताएं कि झूठ कौन बोल रहा है? क. रघुवर, ख. बाबूलाल, ग. दीपक या घ. बीजेपी झारखण्ड का सोशल साइट
भाई, मेरा सवाल सीधे भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह से हैं। चार दिन पहले एक ओर भाजपा झारखण्ड का सोशल साइट कह रहा है कि “आज प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में पार्टी का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल महामहिम राज्यपाल महोदय से मुलाकात कर सचिवालय घेराव कार्यक्रम में राज्य सरकार द्वारा किए गए पुलिसिया दमन एवं लाठी चार्ज की न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, द्वय प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा और बालमुकुंद सहाय उपस्थित रहे।”
दीपक प्रकाश का फेसबुक साइट कह रहा है कि “आज महामहिम राज्यपाल महोदय से पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलकर 11 अप्रैल को भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित सचिवालय घेराव कार्यक्रम में हुई पुलिसिया कार्रवाई, लाठीचार्ज, नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हुए फर्जी मुकदमों की न्यायिक जांच कराकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई हेतु निर्देश देने का आग्रह किया। इस प्रतिनिधिमंडल में विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, द्वय महामंत्री प्रदीप वर्मा और बालमुकुंद भी शामिल रहे।”
बाबूलाल मरांडी का फेसबुक साइट कह रहा है कि “राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसके खिलाफ आवाज उठानेवालों के उपर केस मुकदमे किये जा रहे हैं। विगत 11 अप्रैल को लोकतांत्रिक रुप से प्रदर्शन कर रहे भाजपा झारखण्ड के कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक दुर्भावना के तहत हुई कार्रवाई को लेकर आज महामहिम राज्यपाल को न्यायिक जांच हेतु ज्ञापन सौंपा।”
अब रघुवर दास क्या कह रहे हैं, वो भी देख लिया जाये – “11 अप्रैल को रांची में भाजपा के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हुए लाठीचार्ज और जमशेदपुर में हाल में घटित घटनाओं और उस पर पुलिसिया कार्रवाई के मामले में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय राज्यपाल महोदय से मिला। घटना की न्यायिक जांच का आग्रह किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश जी के नेतृत्व में विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी जी, प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा जी और बालमुकुंद सहाय जी भी शामिल हुए।
माननीय राज्यपाल महोदय को बताया कि रांची में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पहले पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठियां चलाई और बाद में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए। वही जमशेदपुर में पुलिस ने साम्प्रदायिक मामले में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गलत कार्रवाई की। इस संबंध में भाजपा द्वारा जेबी तुबिद जी के नेतृत्व में गठित कमेटी की रिपोर्ट लेकर एक प्रतिनिधिमंडल 19 अप्रैल को माननीय राज्यपाल से मिलेगा, उन्हें सच्चाई से अवगत कराएगा।”
मतलब साफ है कि भाजपा झारखण्ड, बाबूलाल मरांडी, दीपक प्रकाश के मंतव्यों में समानता है कि ये सभी 11 अप्रैल की घटना का जिक्र कर रहे हैं। लेकिन रघुवर दास ने क्या किया, अपने मंतव्य में बेवजह जमशेदपुर घटना का जिक्र कर दिया, ताकि जमशेदपुर के जो भाजपा कार्यकर्ता रघुवर दास के कारगुजारियों के कारण इन दिनों उनसे खफा हैं। वे प्रसन्न हो जाये कि रघुवर दास भी उनके साथ उसी प्रकार से साथ हैं, जैसे अन्य भाजपा कार्यकर्ता अपने साथियों की गिरफ्तारी से खफा है।
सच्चाई यह है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की कदमा कांड में जो गिरफ्तारी हुई हैं, और उसको लेकर जो आंदोलन हुए हैं। उसमें निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय की भूमिका प्रमुख रही हैं। बाद में भाजपा नेता अर्जुन मुंडा, दीपक प्रकाश व बाबूलाल मरांडी ने सक्रियता दिखाई। जमशेदपुर के भाजपा कार्यकर्ता तो अब खुलकर कहने लगे है कि जो आंदोलन भाजपा के झंडे-बैनर तले होना था, दुर्भाग्य है कि वो हिन्दू पंचायत के बैनर तले हो रहा हैं।
आश्चर्य यह भी है कि हिन्दू पंचायत के बैनर तले आंदोलन होने पर भी अब तक रघुवर दास की भूमिका इसमें न के बराबर अब तक रही हैं। लेकिन सोशल साइट के माध्यम से दो-चार शब्द लिखकर स्वयं को बलिदानी दिखाने में रघुवर दास सक्रिय है। जमशेदपुर के भाजपा कार्यकर्ता तो विद्रोही24 से बातचीत में कहते है कि क्या भाजपा कार्यकर्ता इतने मूर्ख हैं कि वे रघुवर दास के इस कृत्य को समझ नहीं पा रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं का तो यह भी कहना है कि जब भाजपा कार्यकर्ता के लिए भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं में ही सहयोग को लेकर इस प्रकार के मनमुटाव होंगे तो इसका फायदा किसको मिलेगा, ये भाजपा के शीर्षस्थ व राष्ट्रीय नेताओं को सोचना चाहिए।
जमशेदपुर का कदमाकांड, भाजपा प्रतिनिधिमंडल का राज्यपाल से मिलने की राजनीति
इधर भाजपा प्रदेश कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। विज्ञप्ति इस प्रकार है। जमशेदपुर स्थित कदमा के शास्त्रीनगर में हुए सांप्रदायिक हिंसा को लेकर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल से मुलाक़ात की। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा, पूर्व गृह सचिव सह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जे बी तुबिद, पूर्व आईजी सह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव, महानगर उपाध्यक्ष संजीव सिन्हा, महानगर महामंत्री अनिल मोदी, राकेश सिंह, कदमा मण्डल अध्यक्ष राजेश सिंह शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाक़ात के दौरान ज्ञापन सौंपते हुए विगत नौ अप्रैल, 2023 को जमशेदपुर स्थित कदमा के शास्त्रीनगर में हुए साम्प्रदायिक हिंसा की जांच सीबीआई या माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने तथा सभी निर्दोष भाजपा एवं विहिप कार्यकर्ताओं को रिहा कराने का आग्रह किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि विगत 9 अप्रैल, 2023 को जमशेदपुर स्थित कदमा के शास्त्रीनगर में उपद्रवी तत्वों द्वारा जटाधारी शिव मंदिर पर पथराव कर साम्प्रदायिक हिंसा फैलाई गई, उन्मादी तथा उपद्रवी तत्वों के पथराव से कई पुलिसकर्मी घायल हुए। 9 अप्रैल को ही कदमा में एक संस्था द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी से लौटकर सैकड़ों युवकों ने मंदिर पर हमला किया। इससे जाहिर है कि कुछ उपद्रवी तत्वों का शहर में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की पहले से मंशा थी।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 8 अप्रैल को शास्त्रीनगर (कदमा) स्थित जटाधारी शिव मंदिर के पास महावीर झंडा लगे खम्बे पर पोलिथीन से टांगे गए मांस के टूकड़े पाये जाने पर क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हुआ । मंदिर समिति के लोगों ने प्रशासन से महावीर झंडे के खम्बे पर माँस का टुकड़ा टांगने वाले को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने, मंदिर के आसपास के इलाके में सीसीटीवी लगाने तथा मन्दिर के बगल में अवैध रुप से अतिक्रमित कर माँस बेचने वाले दुकानों के अतिक्रमण हटाने की मांग किया। प्रशासन ने तीनों मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया।
9 अप्रैल को शाम 60-70 श्रद्धालुओं के द्वारा मंदिर परिसर के प्रांगण में हनुमान चालीसा का पाठ किया जा रहा था। उसी समय कुछ उपद्रवी तेजी से आकर मंदिर में पत्थरबाजी कर भाग गये। इस घटना से मंदिर परिसर के लोग आक्रोशित हुए एवं जय बजरंगबली तथा जय श्रीराम के जयकारा करने लगे। पुलिस बल आकर मंदिर परिसर तथा आस-पास खड़े बहुसंख्यक समाज के लोगों को मजमा न लगाने तथा अपने घर वापस जाने के लिए दबाव दिया। बहुसंख्यक समाज के लोग अपने घरों में चले गए।
प्रतिनिधिमंडल के अनुसार 9 अप्रैल को ही शाम को कदमा के एक मैदान में एक संस्था के द्वारा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था जिसमें दो से तीन हजार लोग एकत्रित हुए थे। इस इफ्तार पार्टी में कांग्रेस तथा झामुमो के कई नेता शामिल थे। इफ्तार पार्टी में कुछ अफवाह फैला। वहीं से सैकड़ों युवा शास्त्रीनगर स्थित मस्जिद के पास एकत्रित होकर उत्तेजित नारे लगाने लगे तथा मंदिर पर पत्थर फेंकने लगे। पुलिस के मना करने तथा उपद्रवियों पर बल प्रयोग करने पर उपद्रवियों ने पुलिस पर ही पत्थर फेंकने लगे।
इतना ही नहीं बल्कि कुछ उपद्रवियों ने स्ट्रीट लाईट का स्वीच ऑफ कर (मस्जिद के पास एक खंम्बे में स्ट्रीट लाईट का स्विच है) दिया तथा 2 घंटे तक पुलिस पर पथराव किया। इस प्रकार पत्थर की मोटी चादर तैयार हो गई। इसी बीच किसी उपद्रवी ने झोपड़ीनुमा दुकान तथा मोटर साईकिल पर आगजनी कर साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने का कोशिश किया। शरारती तत्वों के द्वारा आधी रात तक शास्त्री नगर के निचले हिस्से (खरकाई नदी के तट पर अवस्थित घरों) पर पत्थरबाजी होता रहा। उपद्रवियों के पत्थरों से 10-12 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए।
यह आश्चर्य का विषय है कि उपद्रवियों को इतने पत्थर कहाँ से मिले मस्जिद के आस-पास के घरों की छतों पर कई दिनों से बड़े पैमाने पर पत्थरों के टूकड़े एकत्रित करने की चर्चा है। अर्थात असामाजिक कतिपय तत्वों के द्वारा साम्प्रदायिक तनाव एवं हिंसा फैलाने की पूर्व से योजना होने की आशंका है। सबसे आश्चर्य की बात है कि इस नियोजित षडयंत्र की जानकारी सरकार के खुफिया विभाग को क्यों नहीं थी?
10 अप्रैल को सबेरे बड़ी संख्या में पुलिस भाजपा नेता तथा पूर्व महानगर अध्यक्ष अभय सिंह के काशीडीह (साकची थाना) स्थित घर पर पहुँची तथा अपराधी की भांति गिरफ़्तार कर उन्हें बिष्टुपुर थाना के हाजत में रखा गया। भाजपा कार्यकर्ताओं तथा लोगों के विरोध करने पर उन्हें हाजत से निकाला गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभय सिंह घटना स्थल पर गये ही नहीं थे। 10 अप्रैल को सुबह पूर्व महानगर अध्यक्ष नंदजी प्रसाद, सुधांशु ओझा समेत कई भाजपा, विहिप एवं अन्य हिन्दू नेताओं के घर पर पुलिस ने गिरफ्तार करने हेतु छापामारी किया।
10 अप्रैल को विश्व हिन्दू परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल वरीय आरक्षी अधीक्षक से मिलने उनके कार्यालय पर पहुँचा। पुलिस ने प्रतिनिधि मंडल को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिवक्ता चंदन चौबे को हथकड़ी पहनाने पर जमशेदपुर न्यायालय के अधिवक्ताओं ने एक दिवसीय हड़ताल भी किया। भाजपा नेता सुधांशु ओझा पुरी (ओड़िशा) गए हुए थे। पुलिस उन्हें अपराधी की तरह गिरफ्तार कर जमशेदपुर लाई तथा उन्हें जेल भेज दिया। गिरफ्तार किए गए तथा पुलिस की प्राथमिकी में दर्ज भाजपा, विहिप एवं अन्य हिन्दू नेता एवं लोग 9 अप्रैल के उपद्रव में शामिल नहीं थे। परन्तु उन्हें गैर जमानती धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर जिला प्रशासन द्वारा जेल भेजा गया।
साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में 9 अप्रैल को कदमा गणेश पूजा मैदान में इफ्तार पार्टी आयोजित करने की अनुमति जिला प्रशासन के द्वारा दिया जाना भी आश्चर्य का विषय है। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जमशेदपुर में श्रीरामनवमी का उत्सव बड़े धूम-धाम से तथा डीजे एवं ट्रेलर पर झांकी के साथ आयोजन होता रहा है जिसमें बड़ी संख्या में लोग उत्साह के साथ महावीर झंडा विसर्जन जूलुस में भाग लेते हैं। इस वर्ष झांकी निकालने हेतु बड़े ट्रेलर (20 चक्का) का उपयोग एवं डी.जे बजाने पर जिला प्रशासन ने रोक लगाया।
30 मार्च, 2023 को साकची स्थित बाल मंदिर अखाड़ा ने जब डी.जे. के साथ झांकी निकाला तो प्रशासन ने डी. जे. तथा ट्रेलर को जब्त कर लिया। प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ एवं डी. जे. तथा ट्रेलर को छोड़ने की मांग को लेकर अखाड़ा समितियों ने 31 मार्च को महावीर झंडा का विसर्जन जूलुस नहीं निकालने एवं 1 अप्रैल को जमशेदपुर बंद का आह्वान किया। अखाड़ा समितियों में काफी नाराजगी होने लगी। 31 मार्च (विसर्जन) को रात्रि 8 बजे जिला प्रशासन एवं अखाड़ा समितियों की वार्ता के बाद गतिरोध समाप्त हुआ तथा 31 मार्च एवं 01 अप्रैल को विसर्जन जूलुस निकला। प्रशासन के रवैये से श्रद्धालुओं में काफी असंतोष पनपा ।
9 अप्रैल के उपद्रव के बाद जिस तरह से निर्दोष भाजपा, विहिप एवं हिन्दू कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई इससे यह प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पक्षपात करते हुए हिन्दू नेताओं पर कारवाई की। जमशेदपुर के कदमा थाना अन्तर्गत शास्त्रीनगर में 9 अप्रैल को हुए उपद्रव तथा साम्प्रदायिक हिंसा की जांच सी.बी.आई. अथवा झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से होना चाहिए ताकि साम्प्रदायिक हिंसा का साजिश रचनेवाले एवं हिंसा में सम्मिलित तत्वों की पहचान कर उन्हें सजा मिले। निर्दोष भाजपा, विहिप एवं हिन्दू संगठनों के नेताओं पर प्रताड़ना करने वाले अधिकारियों की भी पहचान कर कानून के दायरे के बाहर काम करने वाले अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि मंदिर समिति तथा बहुसंख्यक समाज के लोगों ने न तो हिंसा का सहारा लिया और न ही कोई पत्थरबाजी किया। परन्तु साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने के आरोप में गैरजमानती धाराओं के तहत हिन्दू नेताओं को घरों से गिरफ्तार कर जेल भेजने की प्रशासन की मंशा समझ से परे है। प्रशासन द्वारा भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद एवं हिन्दू संगठनों के नेताओं की इस मामले में किए गए गिरफ्तारी से समाज के एक बड़े तबके में आक्रोश है। प्रतिनिधिमंडल ने उपर्युक्त वर्णित तथ्यों के आलोक में महामहिम राज्यपाल से जमशेदपुर के शास्त्री नगर में घटित उपद्रव की जांच उच्च न्यायालय के माननीय न्याधीश अथवा सीबीआई से कराने एवम निर्दोष गिरफ्तार नेताओं को रिहा कराने की मांग की।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने सर्वजन हिन्दू समिति के बैनर तले आंदोलन शुरु की
इधर सर्वजन हिन्दू समिति का कहना है कि जमशेदपुर के भाजपा, विहिप एवं कई निर्दोष हिन्दू युवा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर एवं गलत धारा लगाकर जेल भेजकर हिन्दू जनभावना को ठेस पहुंचाने का काम जिला प्रशासन के द्वारा विगत दिनों किया गया। सर्वजन हिन्दू समिति द्वारा कल दिनांक 20 अप्रैल 2023 गुरुवार को संध्या 05:00 बजे से 08:00 बजे तक छपनभोग मिष्ठान्न भंडार के पास हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
सर्वजन हिन्दू समिति ने लोगों से अपील की है कि वे हस्ताक्षर कार्यक्रम में उपस्थिति होकर अपना विरोध दर्ज कराने की कृपा करें। मतलब साफ है कि जमशेदपुर में भाजपा के कार्यकर्ता अपने ही पार्टी के सिर्फ एक नेता के क्रियाकलापों से इतने खफा है कि उसे अब देखना भी पसन्द नहीं कर रहे हैं। इसका परिणाम निश्चय ही आनेवाले समय में जब कभी चुनाव होंगे। भाजपा को ही भुगतनें पड़ेंगे।
आपकी पारखी नज़र को सादर दंडवत्। आपने ऐसी बारीकी पकड़ा है, जिसपर शायद अन्य किसी की नज़र नहीं जा सकी। वैसे भी आपकी नज़र से कहाँ कोई बचनेवाला है।