अपनी बात

सादगी, सत्य, जनता व सदन के प्रतिनिष्ठा रखनेवाले विनोद सिंह को मिलनेवाले सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरस्कार से अब सदन भी होगी आलोकित

22 नवम्बर 2022 को झारखण्ड विधानसभा अपना स्थापना दिवस मनायेगी। इस स्थापना दिवस में भाकपा माले विधायक विनोद सिंह को सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। विनोद सिंह बगोदर विधानसभा से विधायक है। वे बगोदर से तीन बार विधायक चुने गये हैं। जो उनकी लोकप्रियता, ईमानदारी व जनता के प्रति निष्ठा की कहानी कहती है।

विनोद सिंह के पिता महेन्द्र सिंह भी विधायक थे, जिनकी हत्या नक्सलियों ने 16 जनवरी 2005 को कर दी थी, इसके बाद ये माले के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी रहे, बाद में 2009 में भी ये चुनाव जीते, 2014 में इन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 में बगोदर की जनता ने फिर इन्हें अपना लिया। जिस दिन से विनोद सिंह को सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब देने का ऐलान किया गया है, तभी से मेरा माथा ठनका है, क्योंकि मैं विनोद सिंह के पिता महेन्द्र सिंह और विनोद सिंह को बहुत भली-भांति जानता हूं। पहले महेन्द्र सिंह की बात करें लें, क्योंकि बिना महेन्द्र सिंह को जाने, विनोद सिंह की बात करना बेमानी होगी।

मैं आज भी कहता हूं कि अगर सर्वश्रेष्ठ विधायक की बात होगी तो महेन्द्र सिंह से बेहतर इस खिताब का कोई दूसरा हकदार नहीं, पर पता नहीं क्यों सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब देनेवाले समितियों को उनके कार्यकाल के समय महेन्द्र सिंह को सर्वश्रेष्ठ विधायक देने का ख्याल क्यों नहीं आया? ऐसे तो झारखण्ड विधानसभा को बने 22 साल हो गये, और अब तक 22 विधायक सर्वश्रेष्ठ घोषित हो चुके, पर इन 22 सर्वश्रेष्ठ विधायकों में से एक-दो ऐसे भी लोग सर्वश्रेष्ठ विधायक घोषित हो चुके हैं, जिस पर आम जनता भी संशय करती है कि ये सर्वश्रेष्ठ विधायक कैसे हो गये?

झारखण्ड के प्रथम विधानसभाध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी कहते है कि निश्चय ही विनोद सिंह के पिता महेन्द्र सिंह बहुत ही अच्छे इन्सान और मिलनसार प्रवृत्ति के विधायक थे। अगर उनका वश चलता तो वे महेन्द्र सिंह को सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब जरुर दे देते, पर ये काम तो चयन समितियां करती है। वे कहते है कि किसी बात पर महेन्द्र सिंह हमसे उलझ कर, उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा भी दे दिया था, पर मैंने उनकी इस्तीफा नहीं स्वीकारी थी, क्योंकि मैं महेन्द्र सिंह को निकट से जानता था।

इंदर सिंह नामधारी कहते है कि महेन्द्र सिंह उनकी बड़ी कद्र करते थे, एक बार तो वे अपने विधानसभा क्षेत्र में किसी योजना की उद्घाटन के लिए हमें आमंत्रित किया था, वहां जाकर मैंने ही उक्त योजना का उद्घाटन किया, हालांकि भाकपा माले के लोगों को मेरे साथ महेन्द्र सिंह की निकटता अच्छी नहीं लगती थी, फिर भी वे मेरा सम्मान करते थे, मैं भी उनकी सदन के प्रति निष्ठा और जनाकांक्षाओं के अनुरुप सदन में सवाल उठाने की विधा का कायल था।

इंदर सिंह नामधारी कहते है कि ठीक उसी प्रकार का स्वभाव विनोद सिंह का भी हैं, वे जनाकांक्षाओं के अनुरुप सदन में सवाल उठाते हैं, सदन में पूरी तरह से तैयारी करके आते हैं, अपने मित्रों की भी मदद करते हैं, सदन में आज क्या होगा, इसकी तैयारी जैसी महेन्द्र सिंह किया करते थे, ठीक वहीं स्वभाव विनोद सिंह में भी हैं, जो आज के विधायकों से उन्हें अलग करती है।

इंदर सिंह नामधारी बताते है कि सतबरवा में जब हमने अपने बड़े भाई बलवंत सिह नामधारी के नाम पर कॉलेज खुलवाने की कोशिश की तो वहां उनकी प्रतिमा लगवाने के लिए प्रतिमा बनवाने में महेन्द्र सिंह ने बड़ी मदद की। उस प्रतिमा को बनवाने में विनोद सिंह और उनके मित्रों की भूमिका को मैं (इंदर सिंह नामधारी) भूल नहीं सकता।

अब सवाल उठता है कि सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार की घोषणा पर मेरा माथा ठनका? दरअसल वो इसलिए कि जो महेन्द्र सिंह को जानता है और जो विनोद सिंह को जानता है, वो यह भी जानता है कि दोनों में एक बात कॉमन था और हैं, कि ये कभी विधानसभा की ओर से मिलनेवाले उपहार को लेने तो दूर उसे छूने की कोशिश तक नहीं की, तो क्या विनोद सिंह इस पुरस्कार को स्वीकार करेंगे?

इसी बात को लेकर जिस दिन इस बात की घोषणा हुई, मैंने विनोद सिंह को फोन लगाया, हालांकि उन्होंने फोन नहीं उठाया, उसके ठीक दूसरे दिन मैंने फिर विनोद सिंह को फोन लगाया और पूछा कि क्या वे इस पुरस्कार को ग्रहण करेंगे। तब उनका कहना था कि अब ये पार्टी के लोग तय करेंगे, लगता है कि पार्टी ने तय कर लिया, क्योंकि कुछ स्थानों पर पार्टी से जुड़े लोग, जो अन्य संस्थाओं में भी खुलकर काम करते हैं, उनका इस पुरस्कार के लिए नागरिक अभिनन्दन किया, वे नागरिक अभिनन्दन में भाग भी लिये, मतलब स्पष्ट है कि वे पुरस्कार ग्रहण करेंगे।

हमारे विचार से ये पूरे बगोदर की जनता का अभिनन्दन है कि उनका विधायक सर्वश्रेष्ठ विधायक है, ये उन युवाओं के लिए भी एक सबक हैं, जो राजनीति में कदम बढ़ा रहे हैं या कदम रख रहे हैं? आप स्वयं देखिये, झारखण्ड विधानसभा में कई युवा विधायक हैं, पर विनोद सिंह की जो कार्यप्रणाली हैं, उस पर कोई भी दल का विधायक अंगूली नहीं उठा सकता। उनका चरित्र अनुकरणीय है। सादगी, सत्य  जनता और सदन के प्रतिनिष्ठा का मिश्रण देखना हो, तो विनोद सिंह को देखिये। बधाई दिल से इस विधानसभा के चयन समिति को जिसने सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए विनोद सिंह का नाम चुना और बधाई विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो को भी, जिनके कार्यकाल में सर्वश्रेष्ठ विधायक विनोद सिंह चुने गये।