अब बंगाल नहीं, झारखण्ड का नैरेटिव देश में चल रहा, अपने CM हेमन्त सोरेन ने महिलाओं के बीच मंईयां सम्मान चलाकर इसे सिद्ध कर दिया, तभी तो PM मोदी दिल्ली चुनाव में इस मुद्दे को भुनाने में लग गयेः सुप्रियो
पहले एक नैरेटिव चला करता था कि बंगाल पहले सोचता है, देश बाद में सोचता है। आज इस नैरेटिव को झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बदल कर रख दिया है। आज का नैरेटिव यह है कि झारखण्ड पहले सोचता है और देश बाद में सोचता है। उसका सबसे सुंदर उदाहरण है राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लिया गया फैसला, जो आज हर महिलाओं के खाते में 2500 रुपये प्रत्येक माह देकर उन्हें आर्थिक रुप से मजबूत किया जा रहा है।
आज इसी को देखकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दिल्ली के चुनाव में दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वायदा किया है। अब उन्हें हर महिलाओं को 2500 रुपये देना पड़ेगा। अब वे इस वायदे से मुकर नही सकते। यही फैसला उन्हें 2025 में बिहार की महिलाओं के लिए भी करना होगा, अगर वे बिहार में चुनाव जीतना चाहते हैं।
यहीं नहीं यह मुद्दा 2026 में बंगाल, गुजरात, असम व केरल में भी होगा। 2027 में गुजरात तो 2028 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडू में भी दिखेगा। हमारे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने ठीक ही कहा है कि 2029 तक उनका मुद्दा पूरे देश में दिखेगा। यह बातें आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में कही।
उन्होंने दिल्ली में भाजपा की जीत को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं को बधाई देते हुए कहा कि ये भाजपा, निर्वाचन आयोग, सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त प्रयासों की जीत है। पूरे देश ने देखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार के अधिकारों को लेकर पांच वर्षों में क्या-क्या निर्णय दिये थे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि चुनी हुई सरकार को ही सारे कार्यकारी प्रभाव होते है।
लेकिन सारे लोकतांत्रिक अधिकारों को धत्ता बताते हुए केन्द्र की सरकार ने वहां एलजी को बैठाकर वहीं सारे अधिकार एलजी को थमा दिये। ये सभी कार्यक्रम कर दिल्ली की केन्द्र सरकार ने बता दिया था कि वो दिल्ली के विधानसभा चुनाव को किस दिशा में ले जाना चाहती है। एक अघोषित आपातकाल के अंदर लोकतांत्रिक प्रकियाओं को नकारते हुए, केजरीवाल सरकार को काम करने नहीं दिया गया।
लेकिन अब खुशी की बात है कि अब भाजपा की सरकार बनेगी तो एलजी के प्रभाव अब नहीं दिखेंगे। अब वहां सरकार के प्रभाव दिखेंगे। मोदी सरकार द्वारा किये गये घोषणाओं को कि वे दिल्ली को प्रदुषण मुक्त करेंगे, यमुना के प्रदुषण को भी ठीक करेंगे तथा उसके दस किलोमीटर की रेडियस में बसे दुर्गंधों को भी साफ करेंगे। सुप्रियो ने कहा कि जब 1998 में दिल्ली में पहली सरकार बनी तो मात्र पांच वर्षों में ही दिल्ली में भाजपा के तीन-तीन मुख्यमंत्री दिखे। लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला। पन्द्रह साल के शीला दीक्षित के स्वर्णिम काल और दस साल केजरीवाल के संघर्षपूर्ण सरकार के बीत जाने के बाद आई इस भाजपा सरकार से आशा रखनी चाहिए कि वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलायेगी।