अब पंच ‘परमेश्वर’ नहीं होता, अब पंच ‘दिनेश उरांव’ होता है, जो सत्ता के साथ हमेशा खड़ा होता है
झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने अपना बहुचर्चित एवं बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया हैं। भाजपा से आये और भाजपा की कृपा से स्पीकर बने दिनेश उरांव ने भाजपा धर्म का पालन किया, और अपने हरदिल अजीज मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने फैसले से और मजबूत कर दिया।
शायद यहीं कारण रहता है कि हर दल का मुखिया यहीं चाहता है कि स्पीकर जो भी बने, उसी के दल का बने ताकि वह समय पर अपने पक्ष में उससे ‘हां’ बुलवा लें, बहुत कम ही स्पीकर, लोकसभास्पीकर जी एम सी बालयोगी की तरह होता है जब उसकी परीक्षा की घड़ी आती हैं तो वह सफल ही नहीं, बल्कि कीर्तिमान स्थापित करता है, यहीं मौका आज झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष को भी मिला था, पर उन्होंने कीर्तिमान तो नहीं बनाई पर सफल हुए या नहीं, यह भी हम नहीं बता सकते।
आज पूरे राज्य की जनता की नजर उन पर थी, नजर उस जनता की भी थी, जिसने इन दलबदलुओं को अपना वोट दिया था, ये झाविमो के टिकट पर उस इलाके की जनता से वोट लिये और फिर लालच में आकर दल बदल लिया और भाजपा की शरण में जाकर सत्तासुख का परम आनन्द लिया और ले भी रहे हैं, अगर आप आम जनता की बात करें, तो आम जनता की अदालत में, आज भी ये छः विधायक दोषी है।
जनता मानती है कि उन्होंने उनसे वोट लेकर, पार्टी बदल ली, पर झारखण्ड स्पीकर की अदालत ने जनता की बातों को नजरंदाज कर अपनी बाते सुनाई, शायद वे इन विधायकों के मन की बात को रखने के लिए उन तकनीक को ढूंढ रहे थे, जिनसे भाजपा को कुमकुम–हल्दी प्राप्त हो जाये, और वो तकनीक दिनेश उरांव को हाथ लग भी गया और वे उस तकनीक के सहारे आज फैसला सुना दिया कि छः विधायकों रणधीर सिंह, अमर बाउरी, नवीन जायसवाल, जानकी यादव, गणेश गंझू और आलोक चौरसिया ने दल–बदल नहीं किया, पार्टी का दूसरी पार्टी में विलय हुआ हैं, यह अवैध नहीं है।
जैसे ही दिनेश उरांव के मुखारविन्द से ये बातें सुनाई पड़ी। विधानसभा से सीएमओ भाया प्रोजेक्ट बिल्डिंग तक खुशी की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री रघुवर दास को दस महीने के लिए और निष्कंटक राज्य प्राप्त हो गया। साथ ही यह भी पता चल गया कि अब पंच ‘परमेश्वर’ नहीं होता, अब पंच ‘दिनेश उरांव’ होता है।