अब बासुकिनाथ मंडल में बवाल, भाजपाइयों का बढ़ा आक्रोश, पूरे दुमका जिले में पड़नेवाली किसी भी विधानसभा सीट पर अब भाजपा का अपना जमानत बचा पाना भी मुश्किल
भाजपा दुमका में आग लगी हुई है। लेकिन किसी प्रदेश के नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि दुमका भाजपा में लगी आग को शांत कर सकें। स्थिति ऐसी है कि दुमका के हर मंडलों में ये आग दावानल का रुप ले चुकी है। कोई ऐसा मंडल नहीं, जहां भाजपा के जिलाध्यक्ष गौरवकांत के खिलाफ आक्रोश न हो। वहां के कार्यकर्ता गौरवकांत को देखना पसन्द नहीं कर रहे। लेकिन प्रदेश भाजपा के नेताओं को गौरवकांत में पता नहीं क्या सूझ रहा, आज भी प्रदेशस्तर के नेताओं को गौरवकांत ही प्रिय लग रहा हैं।
अभी कुछ दिन पहले अब बासुकिनाथ नगर मंडल अध्यक्ष को लेकर भी आक्रोश देखा गया। हाल ही में भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष के विरोध में वासुकीनगर मंडल के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने दुर्गा मंदिर प्रांगण में पिछले सोमवार को एक बैठक की। बैठक में सभी वरीय नेताओं ने कहा कि बासुकिनाथ नगर मंडल अध्यक्ष के पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठा देना, जिसने इस वर्ष गोड्डा लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिये कोई कार्य नहीं किया, बताता है कि दुमका जिला में पार्टी ठीक ढंग से काम नहीं कर रही।
पार्टी के वरीय नेताओं का कहना था कि जिस जिलाध्यक्ष गौरवकांत ने शैलेश राव को बासुकिनाथ नगर मंडल का अध्यक्ष बनाया है, उसने पार्टी के वरीय नेताओं से कोई रायशुमारी भी नहीं की। जिसका खामियाजा पार्टी को आज न कल भुगतना ही है। सबसे मजेदार बात यह है कि जिलाध्यक्ष गौरवकांत बासुकिनाथ नगर से ही आते हैं। उनके घर के आस-पड़ोस की बासुकिनाथ नगर पंचायत की नगर अध्यक्ष पूनम देवी, जो यहां लगातार भारी मतों से चुनाव जीती है। जो पूनम देवी दुमका भाजपा जिला की मंत्री भी हैं। वो भी इस बैठक में शामिल थी। भाजपा जिला महिला मोर्चा की महामंत्री मनोरमा देवी भी इस बैठक में शामिल होकर बता दी कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।
राजनीतिक पंडित बताते है कि पिछली बार के लोकसभा चुनाव में जरमुंडी विधानसभा से गोड्डा भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दूबे लगभग 45000 वोटों से लीड किये थे, इस बार यह संख्या लगभग 43000 रही। लेकिन उसके बाद भी पिछली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा जरमुंडी सीट हार गई और यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी बादल पत्रलेख चुनाव जीत गये।
स्थानीय भाजपा नेता बताते हैं कि जरमुंडी विधानसभा से भाजपा के इस हार का कारण भी गौरव कांत और उनके पिता अभयकांत ही थे, जिन्होंने भाजपा का साथ ही नहीं दिया। स्थानीय नेता तो यह भी बताते है कि जब चुनाव प्रचार समाप्त हो गई तो उस वक्त के तत्कालीन संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह जरमुंडी विधानसभा के इस बासुकिनाथ नगर भी आये थे और गौरवकांत के घर भी गये थे।
जहां भाजपा की चुनाव प्रचार सामग्री के बंडल को इनके घरों पर देखा था। तभी धर्मपाल सिंह समझ गये थे कि जरमुंडी सीट से भाजपा हार रही हैं, क्योंकि चुनाव प्रचार सामग्री इस बासुकिनाथ मंडल में इन्होंने किसी भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बांटी ही नहीं थी। उस वक्त धर्मपाल सिंह इनलोगों पर बहुत आक्रोशित भी हुए थे। लेकिन वर्तमान संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी तो इन पर ढले हुए हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो दुमका की सभी सीटों पर भाजपा की हार तय है। उसका मूल कारण गलत लोगों के हाथों में भाजपा की जिला का बागडोर थमा देना तथा उसके कारण पूरे दुमका में भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पनपा गहरा आक्रोश है। अगर इस आक्रोश को नहीं पाटा गया तो भाजपा यहां किसी सीट पर अपना जमानत भी नहीं बचा पायेगी। इसी बीच भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच पनपे गहरे आक्रोश का फायदा उठाने में झामुमो लग चुकी है और उसमें उसे सफलता मिलती भी दिख रही हैं।