अपनी बात

आजकल झारखण्ड के भाजपाइयों का समूह सिर्फ उगते सूर्य को प्रणाम करता हैं, डूबते सूर्य को नहीं…

पुराने राज्यपाल गये तो गये, इससे हम भाजपाइयों को क्या मतलब, पुराने राज्यपाल कोई पीएम मोदी थोड़े ही थी कि उनके आगे जाकर अपना चेहरा दिखाना जरुरी ही था, नहीं तो पार्टी में टिकना नामुमकिन हो जाता। अरे आपको पता नहीं उपनिषद् कहता है – सर्वे गुणाः कांचनमाश्रयन्ति, ठीक उसी प्रकार आज की खासकर भाजपा की राजनीति कहती है कि – सर्वे गुणाः मोदी महाभागाश्रयन्ति। जैसे सभी गुण सोने का आश्रय लेते हैं, उसी प्रकार भाजपा में रहने पर सभी गुण प्रधानमंत्री मोदी का आश्रय लेते हैं।

तभी तो उधर केन्द्र ने झारखण्ड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से स्वयं को अलग किया और नये राज्यपाल रमेश बैस की घोषणा की, उसके बाद से एक भी भाजपा का प्रदेशस्तरीय नेता जैसे प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश व भाजपा की ओर से घोषित नेता विरोधी दल बाबू लाल मरांडी ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से एक शिष्टाचार भेंट करने की भी जहमत नहीं उठाई, स्वयं को उनसे दूर रखा।

कहने को भाजपाइयों के पास हर बात के बहाने हैं। वे कह सकते है कि भाई द्रौपदी मुर्मू से तो उनके नेता अर्जुन मुंडा मिले और अन्य छोटे- मोटे नेता मिले ही हैं, कोई जरुरी थोड़े ही हैं कि सभी जाकर मिलकर शिष्टाचार भेंट कर ही आये। पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को और भी बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं, जिन्हें निभाना पड़ता हैं, इसे सभी को समझना पड़ेगा।

राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि हो सकता है कि राजभवन ने भाजपा नेताओं को मिलने के लिए भाव ही नहीं दिया हो, लेकिन क्या ये संभव है कि राजभवन केन्द्र से वैर पाल लें, वो भी तब जब जानेवाला राज्यपाल भाजपाई हो। राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि आपको चाहनेवाला असली में कौन हैं, ये तब पता चलता है जब आप गर्दिश में हो, या आपके अस्तित्व पर संकट आ जाये।

यहां के भाजपाई, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के प्रति कितने संवेदनशील थे, वो तो भाजपाइयों ने शिष्टाचार भेंट नहीं कर, अपना चरित्र दिखा दिया और द्रौपदी मुर्मू को भी पता चल गया होगा कि यहां के भाजपाई उन्हें कितना सम्मान देते थे? एक लोकोक्ति हैं – उगते सूर्य को सभी प्रणाम करते हैं, पर लोगों को यह भी मालूम होना चाहिए कि खास समय में हमारे यहां डूबते सूर्य को भी पहले प्रणाम करने की विधि हैं।

जो इस विधि को अपनाता हैं, वहीं सार्थक जीवन व्यतीत बिताने का अधिकार रखता हैं, नहीं तो आप क्या हैं,खुद को पहचानिये। भाजपाइयो को आत्ममंथन करना चाहिए और अगर राज्य की सरकार ने अपना दिमाग लगाया हैं तो इस सरकार को भी मैं कहूंगा कि आप भी महान है। अंततः एम रामा जोइस के बाद द्रौपदी मुर्मू ने निश्चय ही एक लंबी लकीरें खींची हैं।

अब देखना है कि रमेश बैस झारखण्ड में रहकर क्या कर पाते हैं। ऐसे राज्यपाल कोई रहे, विद्रोही24  को क्या मतलब? मजे तो राज्यपाल एवं उनके परिवारों-रिश्तेदारों को ही लेने हैं, दूसरा इस राज्य या अन्य किसी भी राज्यों में कभी जिंदगी में मजे नहीं ले सकता। फिलहाल केन्द्र में भाजपा का शासन हैं, इसलिए जिनका भी मोदी प्रेम में आस्था है, उनकी तो बल्ले-बल्ले हैं, वे परम आनन्द को प्राप्त करें, शुभकामनाएं हैं।