हे ईश्वर, झारखण्ड के CM को सदबुद्धि प्रदान करें, नहीं तो झारखण्ड तबाह हो जायेगा, बर्बाद हो जायेगा
सचमुच, ये झारखण्ड बर्बाद हो जायेगा। जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो से तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए करोड़ों फूंक दिये जाते हो। जहां पांच मिनट का गाना लिखने के लिए राज्य का कला संस्कृति सचिव मनीष रंजन तीन करोड़ रुपये की भुगतान की बात करने के लिए वित्त विभाग को फाइल बढ़ा देता हो। जहां संघ की एक आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह (जिसे सीएम रघुवर दास की पॉकेटी संस्था भी कहा जाता है) उसके कार्यक्रम के लिए विज्ञापन पर करोड़ों बहा दिये जाते हो तथा कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए चार करोड़ रुपये अलग से मुकर्रर किये जाते हो। वह भी उस राज्य में जहां लोग भूख से मर रहे हो, जहां लोग पेट की भूख शांत करने के लिए दिल्ली जैसे महानगरों में खुद को दांव पर लगा रहे हो, जहां मानव तस्करी की शिकार होकर यहां की बेटियां अपनी इज्जत तक गवां दे रही हो। वहां ऐसी हरकत किसी भी प्रकार से जायज है? मैं ये सवाल यहां की जनता से पूछना चाहता हूं।
कल यानी 3 अक्टूबर की बात है, पता चला कि झारखण्ड स्थापना दिवस समारोह के लिए समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा बुलाई गई है। समीक्षा बैठक में बात उठी कि कैलाश खेर मामले में क्या हुआ? ये वहीं कैलाश खेर है, जो इस बार झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस में अपने जलवे बिखरेंगे और इसके लिए इन्हें 35 लाख रुपये का भुगतान किया जायेगा और इनके रहने, खाने-पीने, परम आनन्द की प्राप्ति पर अलग से राशि खर्च होगी। यहीं नहीं इसी कैलाश खेर को एक पांच मिनट का गाना लिखने के लिए तीन करोड़ के भुगतान की भी बात कही गई थी।
जब सीएम ने इस संबंध में कला संस्कृति सचिव मनीष रंजन से वस्तुस्थिति पूछी, तब मनीष रंजन का कहना था कि उन्होंने इस संबंध में कई बार वित्त विभाग को फाइलें भिजवाई पर वित्त विभाग ने इसे लौटा दिया, जिसके कारण परेशानी हो रही है, इसके बाद अपर मुख्य सचिव (वित्त) सुखदेव सिंह को बुलाया गया, जब सुखदेव सिंह को ये पता चला कि उन पर ये आरोप है कि उनके पास कई बार फाइलें भिजवाई गई, पर वे इसमें रुचि नहीं ले रहे, फिर क्या था सुखदेव सिंह (हम आपको बता दें कि सुखदेव सिंह एक ईमानदार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है, जो विभिन्न पदों पर रहते हुए भी अपने कार्यों में ईमानदारी बरती) इस झूठे आरोप से इतने विचलित हुए कि उन्हें क्रोध आ गया।
सुखेदव सिंह का कहना था कि कैलाश खेर के मामले में जो फाइल उनके पास भेजी गई थी, उसमें गाना गाने के लिए बुलाने के साथ ही राज्य के लिए एक गाना बनाने का प्रस्ताव था, इस काम के लिए कैलाश खेर को कुल तीन करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव था, 50 लाख रुपये एकं घंटे के लिए गाना गाने का और 2.50 करोड़ पांच मिनट का एक गाना लिखने का, यह काम कैलाश खेर को नोमिनेशन पर देने की बात थी, फाइल में लिखे वाक्यांशों के आधार पर यह सवाल उन्होंने उठाया कि गाना लिखने के लिए 2.5 करोड़ किस आधार पर दिया जायेगा, फाइल पर आपत्ति करने के बाद उसे लौटाया गया, साथ ही इस संबंध में उन्होंने मनीष रंजन से फोन पर बात भी की थी और आपत्तियों को निराकरण करने के लिए कहा था, यह फाइल दूसरी बार आज उनके पास पहुंची है, ऐसे में ये आरोप लगा देना कि वित्त विभाग फाइलें लटका कर रखा है, पूरी तरह से आपत्तिजनक है।
सुखदेव सिंह के इस आपत्ति पर वहां बैठे सारे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का समूह अवाक रह गया, फिर क्या था, आनन-फानन में कला संस्कृति सचिव मनीष रंजन का तबादला दंडस्वरुप एटीआइ में कर दिया गया।
अब सवाल उठता है कि जिस राज्य के प्रत्येक गांवों में लोक-कलाकारों का समूह रहता हैं, जहां राम दयाल मुंडा जैसे लोगों ने कभी कहा था कि ‘जे नांची से बांची’ वहां कैलाश खेर जैसे कलाकारों को बुलाना, उन पर लाखों-करोड़ों फूंकना, उनके पांच मिनट का गाना लिखवाने के लिए तीन करोड़ का प्रस्ताव स्वीकृत कराने का दबाव, क्या ये नहीं बताता कि झारखण्ड को लूटने और फूंकने की पूरी तैयारी वर्तमान सरकार कर रही हैं।
मैं तो कहता हूं कि क्या जरुरत है झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस समारोह बनाने की, क्या हमारा पड़ोसी राज्य बिहार या ओड़िशा अपना स्थापना दिवस प्रतिवर्ष मनाता है, और उस पर जैसे झारखण्ड में करोड़ों फूंका जाता है, ये राज्य फूंकते हैं? झारखण्ड जैसे गरीब राज्य में इस प्रकार के आयोजन और ऐसे महंगे कलाकारों को बुलाकर, उन्हें रुपये से ढकने का काम बताता है कि कैलाश खेर जैसे लोगों के संबंध भाजपा के वरीय नेताओं से बहुत ही मजबूत है, जिनके इशारों पर कैलाश खेर को यहां बुलाकर, उन्हें रुपयों से ढंकने का काम किया जा रहा है, इस पर कोई अतिश्योक्ति भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जिस प्रकार यहां शासन चल रहा है, उससे यहीं पता लगता है।
झारखण्ड के सीएम रघुवर दास, कोई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जैसे नहीं है, जो अपने बुद्धि से चलते हैं, ये तो वे है, जिन्हें हर कोई चला देता है, कभी संघ के पदाधिकारी, कभी भाजपा के वरीय अधिकारी, कभी पीएमओ, कभी जातिवादी नेताओं का समूह, तो कभी भ्रष्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का समूह और लीजिये चार साल बीतने को आये, विकास का आलम यह है कि कल ही रिम्स में आयुष्मान कार्ड लेकर घूम रही लालपरी देवी से रिम्स के दलालों ने पचास हजार रुपये की मांग कर दी, लालपरी देवी के अनुसार तो उक्त दलाल के बारे में रिम्स के डाक्टर ने ही लालपरी देवी से मिलने को कहा था, अब समझ लीजिये कि यहां क्या हाल है?
जरा जाकर देखिये, इन्होंने रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय खोल दिया और वहां कितने बच्चे पढ़ रहे हैं? और इस विश्वविद्यालय से कितने को रोजगार मिला, मैं तो कहता हूं कि गजब का गोरखधंधा है, इसलिए ईश्वर से बारंबार प्रार्थना है कि हमारे मुख्यमंत्री को सद्बुद्धि प्रदान करें, नहीं तो झारखण्ड का हाल वहीं है, गइल-गइल भइसियां पानी में…