भगवान श्रीराम के प्राकट्योत्सव और वासंती नवरात्र के समापन के दिन रांची की सड़कों पर उतरा श्रीराम भक्तों व मां के भक्तों का जनसैलाब, पूरी रांची भगवामय हो उठी, लगे जयश्रीराम के जयकारे
रांची की सड़कें पूरी तरह से भगवामय हो उठी है। जिधर देखों, भगवा ही भगवा। जिधर देखों उधर ही जयश्रीराम के जयकारे। क्या वृद्ध और क्या युवा, क्या महिला और क्या पुरुष सभी के जिह्वा पर भगवान श्रीराम विराजे हैं। कई जगहों पर विशेष तोरणद्वार बनाये गये हैं, जहां से श्रीराम भक्तों पर पुष्पवृष्टि हो रही हैं। कई जगहों पर भगवान श्रीराम के नयनाभिराम झांकियां भी दिखाई पड़ रही है।
कही शरबत तो कही नाश्ते के पैकेट तक बांटे जा रहे हैं। किसी को किसी बात की कोई मलाल नहीं। बस भगवान श्रीराम की कृपा है। सेवा करनी है। यही भाव मन में बसा है। जो सभी के चेहरे को कांतिमय बना दे रही है। कई परिवारों को देखा कि वे अपने बच्चों को श्रीराम तो कोई हनुमान बनाकर घुमा रहा है। ऐसे भी बच्चों को राम और हनुमान ही तो बनाना है, ताकि भारत की शक्ति और भारत की उर्जा अक्षुण्ण रहे।
भारत प्रगति के शिखर पर हमेशा बना रहे। मैं भी अपनी छोटी सी पोती को लेकर चुटिया से तपोवन मंदिर की ओर निकला हूं। सड़कों पर काफी भीड़ है। जिधर देखों भगवा ही भगवा। ज्यादातर हाथों में महावीर पताके, किसी के हाथों में परम्परागत हथियार और सभी के होठों पर जयश्रीराम के नारे। मैं अपनी पोती से पूछता हूं – बेटा कैसा लग रहा है? पोती कहती है – दादाजी, बहुत अच्छा लग रहा है।
जब मैं कहता हूं कि अब बहुत देख लिये, घर चलते हैं। वो कहती है कि अभी नहीं। थोड़ा और देखते हैं। बड़े-बड़े महावीर पताकाओं को देख वो बहुत खुश हो रही है। वो खुद दिखाती भी है – अरे देखिये दादाजी, वहां कितना बड़ा झंडा दिख रहा है। उसमें हनुमान जी भी गदा लेकर अंकित है। पहली बार पोती के संग श्रीराम की झांकी और महावीर पताकाओं का देखने का आनन्द ही कुछ और है।
पूर्व में अपने बच्चों को लेकर निकला करता था। जब वे छोटे थे। आज पोती के संग निकला हूं। सब समय का चक्र है। ईश्वर के द्वारा दिये गये आनन्द को समेटने की कोशिश कर रहा हूं। इधर केतारीबागान से एक विशाल झांकी निकली है। जो चर्चा का केन्द्र है। हनुमान जी एक विशाल गदा लेकर बैठे हैं। अदुभुत सौन्दर्य दिख रहा है। हनुमान जी का। सभी उनकी फोटो अपने-अपने मोबाइल में लेकर संजो रहे हैं। डीजे लगे वाहनों ने हमारी हृदय की गति तेज कर दी है।
मुझे लगता है कि ये डीजे हमें डरा रहा है। डर भी रहा हूं, क्योंकि उसकी तेज गति हमें असहज बना रही है। मैं डीजे लगे वाहनों से आगे निकलना चाहता हूं। लेकिन ये क्या आगे दूसरा डीजे वाहन हमें असहज करने के लिए तैयार बैठा है। लेकिन आप कर ही क्या सकते हैं। हमारे लिए कोई अपना आनन्द तो नहीं प्रभावित कर सकता।
शाम ढल रही है। धीरे-धीरे तपोवन मंदिर की ओर लोग बढ़ रहे हैं। अद्भुत दृश्य है। जैसे सारी नदियां अंततः सागर का शरण लेती है। ठीक उसी प्रकार रांची की सभी रामनवमी के जुलूस, झांकियां व अखाड़ें यही आकर अंतिम विश्राम ले रहे हैं। यहां अच्छी व्यवस्था देखी जा रही है। कई जगहों पर पुलिस बड़ी संख्या में तैनात थे।
लेकिन वे ड्यूटी पर कम दिखे। कई कुर्सी पर अखबारों के पन्ने पढ़ने में मग्न थे तो कई पुलिसकर्मियों को देखा कि वे मोबाइल में रील्स को देखने में ज्यादा दिमाग लगा रहे थे। कई पुलिसकर्मियों को तो गप्पे करने से फुरसत नहीं थी। ये तो रामजी की कृपा थी कि सब कुछ अच्छे ढंग से निकल गया। नहीं तो पुलिस की सुरक्षा तो पुलिसवाले ही जाने।
उधर से लौटते वक्त, पावर हाउस चुटिया में धनकुबेरों द्वारा स्थापित चैती दुर्गा का आनन्द लिया। मां भगवती मुख्य मंच पर विराजमान थी। उनके बगल में राम दरबार और राधा कृष्ण की झांकी भी दिखी। मन को मोहलेनेवाला दृश्य था। यहां भी काफी भीड़ थी। लोग मां का दर्शन कर भावविभोर हो रहे थे। कोई सेल्फी ले रहा था तो कोई प्रार्थना कर रहा था। सभी के अपने-अपने भाव थे।