झारखण्ड विधानसभा बजट सत्र के अंतिम दिन सत्तापक्ष और विपक्ष ने जमकर बवाल काटा, इधर सदन में भारी हंगामे के बीच CM हेमन्त ने कहा 1932 था, है और रहेगा
झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन आज कांग्रेसी विधायकों ने सदन में जमकर बवाल काटा। कांग्रेसी विधायकों द्वारा बवाल काटे जाने पर, झामुमो के विधायकों ने भी सदन में कांग्रेसी विधायकों का खुलकर समर्थन किया। जवाब में भाजपा विधायकों ने जमकर कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ सदन में कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ नारेबाजी की। जिसके कारण सदन को कई बार स्थगित भी करना पड़ा।
अंतिम बार जब सदन अपराह्न साढ़े-तीन बजे प्रारंभ हुआ, तो स्थिति लगभग पूर्व की तरह रही। कभी कांग्रेसी विधायक नारेबाजी करते, तो कभी वेल में ही बैठ जाते। कांग्रेसी विधायक इस बात को लेकर नाराज थे कि उनके नेता राहुल गांधी को कोर्ट ने सजा सुना दी और ये सब भाजपा नेताओं के इशारे पर हुआ। ये लोकतंत्र की हत्या है। विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जा रहा है। सर्वाधिक शोर करते हुए इस दौरान विपक्ष की ओर से प्रदीप यादव दिखे।
इधर भाजपा की ओर से मोर्चा बिरंची नारायण, सीपी सिंह व भानुप्रताप शाही ने संभाला। उसके बाद भाजपा के सभी विधायक वेल में आकर कांग्रेसी विधायकों के शोर का जवाब देने लगे। कांग्रेसी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारा लगा रहे थे, जबकि भाजपा के विधायक राहुल गांधी के खिलाफ नारे लगाकर सदन को बाधित कर रहे थे।
स्थिति ऐसी रही कि सदन में कोई काम-काज नहीं हो सका। सारे विधायी कार्य जैसे-तैसे हंगामें के बीच निबटाये गये और फिर अंत में स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने सदन के नेता मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को अपना वक्तव्य रखने को कह दिया। इधर जैसे ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपनी बातें रखनी शुरु की। भाजपा विधायकों का हल्ला और तेज हो गया। शुरुआत में तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन क्या बोल रहे हैं?
प्रेस दीर्घा में बैठे लोगों को सुनाई ही नहीं दे रहा था। लेकिन जैसे-जैसे शोर कुछ मद्धिम पड़ता। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की बात सुनाई दे जाती। इसी बीच देखने को यह मिला कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपना वक्तव्य दे रहे थे और कांग्रेस के विधायकों का समूह सदन में वेल में बैठ कर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की बात सुन रहा था, जबकि भाजपा विधायकों द्वारा इतना शोर ही हो रहा था कि मुख्यमंत्री की बातें प्रेस दीर्घा तक ठीक से नहीं पहुंच रही थी।
जब भाजपा विधायकों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाक् आउट किया। तब जाकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन क्या बोल रहे हैं। वो प्रेस दीर्घा में बैंठे पत्रकारों को सुनाई देना शुरु हुआ। इसी बीच मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के भाषण के क्रम में अकेले बैठे आजसू विधायक दल के नेता सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री के भाषण के बीच टोका-टोकी की। फिर बाद में उन्होंने भी मुख्यमंत्री के भाषण के बीच में वाक् आउट करके चलते बने।
भाजपा बताएं कि वो 1932 के साथ हैं या 1985 के साथ
इसी बीच मुख्यमंत्री ने नियोजन व स्थानीय नीति पर भाजपा के विधायकों व उनके नेताओं को जमकर घेरा और उनकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने साफ कहा कि अभी तक भाजपा के विधायक ये स्पष्ट ही नहीं कर पा रहे कि वे 1932 के साथ हैं या 1985 के। उन्होंने कहा कि जब-जब उनकी सरकार राज्य के युवाओं के हित में फैसले लेती हैं। विपक्ष तरह-तरह के हथकंडे अपना कर उसे रोकने का प्रयास करता है। उन्होंने इसी क्रम में सदन में भाजपा नेताओं का एक फोटो भी स्पीकर को दिखाया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भाजपा विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि शेर की खाल पहन लेने से सियार शेर नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ऐसी नियोजन नीति तैयार की थी, कि यहां के युवाओं को शत प्रतिशत नौकरी मिलती, पर विपक्ष के लोगों ने उक्त नियमावली की क्या हश्र कर दी। वो सभी को पता है।
उन्होंने कहा कि मरांडी, मुंडा, महतो खुद को कहने से आप झारखण्ड के हितैषी हैं। यह सिद्ध नहीं हो जायेगा। इसके लिए आपको हितैषी होना सिद्ध भी करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दिक्कत यह है कि विपक्ष में भी जो आदिवासी, मूलवासी लोग हैं। वे अपने हितों के लिए आवाज नहीं उठाते, बल्कि उपर से जो आदेश आता हैं। उसी का पालन करते हैं। नतीजा सामने हैं, राज्य के युवाओं का अहित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि हमने जब भी युवाओं के हित के लिए कोई योजनाएं बनाई। विपक्षियों ने अड़ंगा लगाया। मतलब उनकी बेहतरी के लिए कुछ करो तो आफत, नहीं करो तो आफत। दरअसल यहां कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो अपनी सहुलियत की राजनीति करते हैं। मुख्यमंत्री का इशारा सदन में बैठे आजसू के नेता सुदेश महतो की ओर था।
मदर ऑफ डेमोक्रेसी की जगह फादर ऑफ पावर को लाने की तैयारी
हेमन्त सोरेन ने देश में चल रही लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आज जिस देश को मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता था, आज उसे फादर ऑफ पावर में बदलने की कोशिश की जा रही हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आज केन्द्र सरकार से ही पूछा जाये कि इस अमृतकाल में कौन लोग अमृत पी रहे हैं?
उन्होंने कहा कि कल तक डबल इंजन की बात करनेवाले लोग, अब सिंगल इंजन पर आ चुके हैं। आनेवाले समय में ये सिंगल इंजन के लायक भी नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि ये दिग्भ्रमित करनेवाले लोग हैं। ये जो सदन में शोरगुल कर रहे हैं। वे हमारी आवाज को दबाने की कोशिश हैं, पर इन्हें पता नहीं कि ये आवाज अब दबनेवाली नहीं, क्योंकि हमलोग माइक पर बोलनेवाले लोग नहीं, बल्कि दिलों में बसनेवाले लोग है।
हरमू नदी को नाला किसने बनाया और हाथी किसने उड़ाया?
उन्होंने कहा कि भाजपाइयों ने गरीबों की थाली से रोटी, दाल, सब्जी तक गायब कर दी है। भारतीय जीवन बीमा निगम को बर्बाद कर दिया है। रातो-रात इसके कई करोड़ रुपये डूब गये। उन्होंने कहा कि इनके जितने मंत्री आते हैं, चाहे आज की नीतीन गडकरी की यात्रा ही क्यों न हो, हमारे लोगों से सौतेला व्यवहार करते हैं। भाजपा के लोग दीपिका पांडेय जैसी महिला के खिलाफ निंदनीय बयान देते हैं।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इनसे पूछा जाना चाहिए कि गरीबों का कंबल किसने लूटा? उनसे राशन कार्ड किसने छीना? सीएनटी-एसपीटी में बदला किसने किया? वो कौन मंत्री थी जिसने कहा कि झारखण्डियों में नौकरी पाने की योग्यता ही नहीं? अखबार, टीवी, रेडियो सारा का सारा तो इन्हीं का है। यहां तक की हाथी उड़ाने का प्रोग्राम किसने बनाया? हरमू नदी को नाला किसने बनाया? झारखण्ड में सर्वाधिक दिनों तक राज किया पर तपोवन मंदिर की सुध इन्होंने क्यों नहीं ली? आज रांची की सड़कों को बेहतर बनाने की कोशिश कौन कर रहा है? रांची में फ्लाई ओवर शीघ्रातिशीघ्र बनाने का प्रयास कौन कर रहा हैं?
हेमन्त सोरेन ने संदन को संबोधित करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था हमने पुनः लागू कर उन सरकारी कर्मचारियों को बेहतर बुढ़ापा गुजरें, जिन्होंने 30-35 सालों तक राज्य की सेवा की हैं, कार्य किया तो हमें कहा जाता है कि हम गलत कर रहे हैं, तो क्या हम इनके बुढ़ापे की लाठी वाली पैसों को शेयर मार्केट में लूटवा दें। गरीबों को मान सम्मान देना, उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करना क्या रेवड़ियां बांटना होता है?
उन्होंने कहा कि कोई गलतफहमी नहीं पाले, 1932 था हैं और रहेगा। नियोजन नीति आयेगी, समय पर आयेगी। हमने अपने यहां कार्य कर रहे आंगनवाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं व अन्य लोगों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की, तो क्या गलत किया? हमनें विदेशों में पढ़ने के लिए यहां के दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप दे रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं?
पन्द्रह लाख का ऋण शिक्षा के लिए 4-5 प्रतिशत के ब्याज पर उपलब्ध करा दे रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं? किसान पाठशाला के माध्यम से किसानों को बदलते परिवेश में बेहतर किसानी करने की योजना पर बल दे रहे हैं तो क्या गलत है? पिछली इन्हीं की सरकार में साढ़े छह लाख लोगों को इस राज्य में पेंशन दिया जाता था। आज यह बढ़कर 20 लाख 65 हजार हो गई तो क्या ये भी गलत है?