पंचायत चुनाव के अवसर पर केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से झामुमो नेताओं की नींद उड़ी, प्रेस कांफ्रेस कर इन दौरों पर उठाए सवाल
हालांकि राज्य में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे और न ही झामुमो का पूरे राज्य में जनाधार ही है, फिर भी झामुमो को इस बात को लेकर ऐतराज है कि केन्द्रीय मंत्रियों का दौरा पूरे राज्य में वो भी परिभ्रमण-परिदर्शन के नाम पर क्यों हो रहा है? वे उन मंत्रियों का नाम भी गिनाते हैं, साथ ही कहते है कि ऐसी भी क्या जल्दबाजी हैं, थोड़ी देर और रुक जाते तो क्या हो जाता हैं, पंचायत चुनाव तक अपना कार्यक्रम स्थगित कर देते।
दरअसल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा इन केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से बुरी तरह घबरा गई हैं, उसे लगता है कि अगर इन केन्द्रीय मंत्रियों का दौरा इसी प्रकार चलता रहा, ये यहां आकर राज्य के उपायुक्तों-वरीय आरक्षी अधीक्षकों से इसी प्रकार मिलते रहे, तो उनका जो भी बचा-खुचा जनाधार हैं, हाथ से निकल जायेगा और हम हाथ मलते रह जायेंगे।
शायद इन्हीं बातों को लेकर झामुमो के दो होनहार नेता एक विनोद पांडेय और दूसरे सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस कर दी और प्रेस कांफ्रेस कर भाजपा नेताओं पर ये आरोप लगा दिया कि वे यहां आकर पंचायत चुनाव को प्रभावित करने में लगे हैं।
नेता द्वय का कहना था कि दुनिया जानती है कि जिस दिन से चुनाव की घोषणा हो जाती हैं, उसी दिन से आचार संहिता लागू हो जाती हैं, पर ये भाजपा वाले परिभ्रमण-परिदर्शन के नाम पर आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं। नेताद्वय का कहना था कि अभी तो राज्य में छुट्टियां ही छुट्टियां हैं, पर जैसे ही छुट्टियां समाप्त होगी, वे शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त से मिलेंगे और इनकी लिखित शिकायत करेंगे।
नेता द्वय ने जिन भाजपा नेताओं व केन्द्रीय मंत्रियों का नाम लिया कि वे इन दिनों झारखण्ड के परिभ्रमण-परिदर्शन पर हैं, उनके नाम इस प्रकार है – अन्नपूर्णा देवी, राज कुमार रंजन व पुरुषोतम रुपाला। नेता द्वय ने इन तीनों के परिभ्रमण-परिदर्शन पर सवाल उठाए और कहा कि इन्हें अभी आने की जरुरत क्यों पड़ गई, वह भी तब जबकि राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हैं।
राजनीतिक पंडितों की माने, तो वे साफ कहते है कि जब पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होकर, व्यक्तिगत आधार पर हो रहे हैं तो झामुमो के नेताओं को इसे लेकर सवाल करना, स्वयं में विस्मय को जन्म दे रहा है, मतलब साफ है कि भले ही उपर से व्यक्तिगत चुनाव हो रहे हैं, पर जो राजनीति करते हैं, उनके दलों के नेताओं के मन में खोट पहले से ही भरा हैं, जिसकी शुरुआत आज के प्रेस कांफ्रेस से हो गई।