उधर अमित शाह ने निरंजन राय पर भृकुटि तानी और इधर वो जमामो माता की कसम को भूलकर, खुद ही गाने लगा अमित शाह का भजन, निरंजन के इस हरकत को देख उसके साथ कसमें खानेवाले हजारों भूमिहार रह गये दंग
ना इज्जत की चिन्ता,
ना फिक्र कोई अपमान की,
जय बोलो निरंजन राय की, जय बोलो…
भूमिहारों को बुलवाकर पहले झूठी कसमें खिलवाओ,
जमामो माता की जय कह, हर-हर महादेव चिल्लाओ,
अमित शाह की धमकी मिले, तो भींगी बिल्ली बन जाओ,
राजधनवार की सभा में जाकर, उनके चरणों में गिर जाओ,
और फिर जोर से बोलो, जय अमित शाह भगवान की
जय बोलो निरंजन राय की, जय बोलो…
ये आज के नेता है। ये कब पलटी मारेंगे, कब गुलाटी मारेंगे। कब किसको धोखा देकर, अपनी गोटी सेट कर लेंगे। किसी को पता नहीं होता। इनके गुलाटी मारने, पलटी मारने से संबंधित प्रश्नों का उत्तर हमेशा इनके जेब में रहता है। जैसा प्रश्नकर्ता होता है। वैसा ये जवाब देते हैं। अगर कोई भूमिहार पूछेगा कि आपने हमलोगों को जमामो माता का झूठी कसम क्यों खिलवाया? तो ये कहेगा कि ऐसा है कि हमारा लोग अपहरण कर लिया था, ऐसे में हम क्या करते?
हमारी मजबूरी थी। अगर कोई पत्रकार या उन्हीं के जैसा चरित्र वाला यही सवाल दागेगा तो कहेगा कि हम तो पहले से ही भाजपाई थे। ये तो कुछ लोगों से उनका अनबन हो गया था, इसलिए वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर गये थे। मतलब ऐसा गुलाटी मारेगा ये आदमी कि जानवर भी खुद को जानवर कहने में शरमा जाये। लेकिन इस आदमी को शर्म महसूस नहीं होगा।
सूत्र बताते है कि जिन भूमिहारों ने इसके कहने पर जमामो माता की कसमें खाई। वो गम में डूबे हैं। वे सोच रहे हैं कि किसके कहने पर जमामो माता की हमने कसम खा ली। जिनके पास थोड़ा सा भी जमीर बचा हैं, वे उस पल को याद कर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। लेकिन निरंजन राय को शर्म कहां? वो तो अभी खुश हैं। वो भी इसलिए कि आज के युग के भगवान केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का चरण चूमने का कल उसे मौका मिल गया। ये क्या कोई कम है?
जमामो माता को किसने देखा हैं लेकिन अमित शाह भगवान मतलब आज के धरती के देवता को तो सब लोग जानते हैं। मीडिया के लोग तो उनके चरणों में बलिहारी जाते हैं। आज ही का एक अखबार देख लो, जो उनका इंटरव्यू छापकर स्वयं को कृतार्थ कर रहा हैं। हम तो निरंजन ही ठहरें। इसलिए जमामो माता और अमित शाह भगवान में एक को चूनना था, तो हमने अमित शाह भगवान को चून लिया तो क्या गलत किया? इसलिए हर व्यक्ति को अमित शाह भगवान का भजन गाना चाहिए और कहना चाहिए, जैसे निरंजन गा रहा हैं…
हमारे अमित शाह अवगुण चित न धरौ
समदर्शी है नाम तुम्हारो, जोई सो पार करौ
तुम्ही रवीन्द्र राय को तारे, तुम्ही तारो अरे मुनचुन
अब तुम निरंजन को तारो, हर सुख मुझको दो
हमारे अमित शाह, अवगुण चित न धरौ
मूरख है, जो जमामो माता को माने,
निरंजन माने अमित शाह को,
यही भगवान पार करेंगे, निरंजन और रवीन्द्र को…
कुल मिलाकर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी कल की घटना से बेहद खुश है कि केन्द्रीय गृह मंत्री एवं आधुनिक भगवान अमित शाह के हाथों में विराजनेवाले सोटे की कृपा से निरंजन राय बहुत अच्छी तरह सटक चुके हैं और अब न तो उन्हें जमामो माता याद आ रही हैं और न वे भूमिहार याद आ रहे हैं। जिनको इस निरंजन ने 24 अक्टूबर को जमामो माता की झूठी कसम खिलवाकर स्वयं को भूमिहारों का महानायक बनाने की कोशिश की थी।
इधर गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने सिद्ध कर दिया कि निरंजन राय ही क्या, अगर अमित शाह या नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हो जाये तो ऐसे-ऐसे कितने निरंजन को पानी पीलाना उन्हें भी आता है। पर क्या निरंजन के पाला बदल देने से बाबूलाल मरांडी की मुश्किलें कम हो गई। विद्रोही24 को तो नहीं लगता, क्योंकि अब तो परीक्षा भूमिहारों की है कि क्या उन्होंने जमामो माता की जो कसमें खाई हैं।
उस कसम को पूरी करेंगे या वे भी निरंजन राय की तरह उन कसमों को रद्दी की टोकरी में फेंक कर आधुनिक भगवान अमित शाह की जय-जयकार करेंगे। परीक्षा तो अब उन पांच हजार भूमिहारों की हैं, जिन्होंने 24 अक्टूबर को जमामो माता की कसमें खाई थी। विद्रोही24 की नजर तो अब उन कसम खानेवाले भूमिहारों के उस प्रण पर हैं जिसका परिणाम 23 नवम्बर को धनवार का चुनाव परिणाम बतायेगा।