कांग्रेस द्वारा महाराष्ट्र चुनाव पर उठाये गये सवालों पर EC ने कहा, प्रतिकूल जनादेश के बाद इस तरह की बातें, कानून का अनादर व राजनीतिक प्रतिनिधियों व लाखों चुनाव कर्मियों को बदनाम व उनके मनोबल को गिरानेवाला
किसी के द्वारा फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को बदनाम और लाखों चुनाव कर्मचारियों का मनोबल को गिराती है। मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है कि यह समझौतावादी है।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बताया गया है कि सभी भारतीय चुनाव कानून के अनुसार होते हैं। भारत में जिस पैमाने और सटीकता के साथ चुनाव होते हैं, उसकी दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है। पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना आदि सहित प्रत्येक चुनाव प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों द्वारा की जाती है और वह भी मतदान केंद्र से लेकर निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में।
किसी के द्वारा फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की भी बदनामी करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों का मनोबल गिराती है जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं। मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है कि यह समझौतावादी है।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए निराधार आरोप को कानून के शासन का अपमान माना है। आयोग द्वारा कांग्रेस के उठाए गए निराधार आरोपों का तथ्यों के आधार पर बिन्दुवार खंडन किया गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने बताया है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केन्द्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए। इन औसत रुझानों के अनुसार, लगभग 116 लाख मतदाताओं ने अंतिम दो घंटों में मतदान किया होगा। इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है।
इसके अलावा, प्रत्येक मतदान केन्द्र पर उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों के सामने मतदान आगे बढ़ा। कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुष्ट आरोप नहीं लगाया है।
महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियां लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं। कानून के अनुसार, या तो चुनावों से ठीक पहले और/या हर साल एक बार मतदाता सूचियों का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है।
महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, कुल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (DM) के समक्ष दायर की गईं और केवल 1 अपील द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (CEO) के समक्ष दायर की गई। इसलिए, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आयोजित करने से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी।
मतदाता सूची के संशोधन के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए, ईआरओ द्वारा नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों द्वारा 1,03,727 बूथ स्तरीय एजेंट भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें कांग्रेस द्वारा 27,099 शामिल थे। इसलिए, महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं। चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे जो ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।
झारखंड में मतदाता सूची में सुधार से संबंधित एक भी अपील नहीं
भारत निर्वाचन आयोग के प्रावधानों के अनुसार हर मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल अधिकारी नियुक्त किया जाता है और हर बूथ पर हर राजनीतिक दल को बूथ लेवल एजेंट नामित करने का अधिकार होता है। देश का हर नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है वह निर्वाचक बन सकता है। इस हेतु नए मतदाता के रूप में नाम जोड़ने के लिए फॉर्म 6, मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए फार्म 7 एवं मतदाता सूची में प्रविष्टि में सुधार या बदलाव करने के लिए फॉर्म 8 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके उपरांत बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा इसका सत्यापन किया जाता है एवं उक्त सूची पर निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआऱओ) द्वार संशोधन करने हेतु अंतिम निर्णय लिया जाता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) के तहत अगर किसी व्यक्ति को निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी के निर्णय पर आपत्ति है तो, वह जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ के समक्ष प्रथम अपील कर सकता है, साथ ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ के निर्णय के विरुद्ध मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील दायर की जा सकती है।
झारखंड में लगभग 2 करोड़ 62 लाख निर्वाचक हैं। राज्य में 29 हजार से भी अधिक बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रमों में घर–घर जाकर मतदाता सूची में पंजीकृत निर्वाचकों को सत्यापित एवं नये निर्वाचकों का पंजीकरण का कार्य किया जाता है। इस दौरान मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंट्स ने भी बूथ स्तर पर इन सूचियों को सत्यापित करने का कार्य किया है। वर्तमान में झारखंड में एक भी जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ या सीईओ कार्यालय के समक्ष मतदाता सूची में संशोधन हेतु कोई भी अपील लंबित नहीं है, जिसका मतलब है कि झारखंड में मतदाता सूची मतदाताओं एवं अन्य सभी के शत प्रतिशत संतुष्टि के करीब है।