एक-एक कर निकल रहे हैं न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप के सारे पाप, अब देवघर कांड से भी बुलावा, जनता में खुशी की लहर
जिस प्रकार से ब्लैकमेलिंग व ठगी के आरोप में धनबाद जेल में बंद न्यूज 11 भारत का मालिक अरुप चटर्जी, जिसे उसके मुट्ठी भर समर्थक (जिसमें भ्रष्ट पत्रकार, विभिन्न राजनीतिक दलों के भ्रष्ट नेता, एक पत्रकार यूनियन से जुड़े भ्रष्ट लोग भी शामिल हैं), तीन दिन पूर्व तक वरिष्ठ पत्रकार कहकर संबोधित कर रहे थे, तीन दिन पहले तक आंदोलन कर रहे थे। ऐसा कर राज्य सरकार तथा झारखण्ड पुलिस को वे लगातार चुनौती भी दे रहे थे। अब देखने में आ रहा है कि इन दिनों इन सबके मुंह पर ताला लग चुका हैं।
शायद ये भी समझ गये है कि राज्य से लेकर केन्द्र तक की सरकार, इस बार ब्लैकमेलिंग व ठगी के आरोप में बंद न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप को सबक सिखाने को तैयार बैठी हैं। इसलिए इनलोगों ने अब गुप्त रुप से अरुप चटर्जी को इस भंवर जाल से निकालने में दिमाग लगाना शुरु कर दिया है। विद्रोही24 को सूचना मिली है कि जल्द ही एक राजनीतिक दल का प्रदेश अध्यक्ष, अपने ही एक पार्टी के नेता के साथ मिलकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेगा और अरुप के चैनल न्यूज 11 भारत को हर समस्या से मुक्त करने का उनसे गुहार लगायेगा।
हालांकि राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि उक्त राजनीतिक दल को अमित शाह से मिलने के बाद, न्यूज 11 भारत के उपर लगे दाग से, न्यूज 11 भारत और अरुप चटर्जी को उन सारे दागों से मुक्ति मिल जायेगी, इसकी संभावनाएं अब दूर-दूर तक नहीं दिखती। यह भी ध्रुव सत्य है, क्योंकि अब सारा मामला न्यायालय के अधीन है और ऐसे भी विधि व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन होता है, विधि व्यवस्था के मामले में फिलहाल हेमन्त सरकार कुछ ज्यादा ही कड़ा रुख अपना चुकी हैं, नहीं तो अरुप चटर्जी के लोग तो मुख्यमंत्री आवास तक गुहार लगा चुके, पर राहत नहीं मिली।
इधर पूरे राज्य में अरुप चटर्जी के खिलाफ एक के बाद एक केस खुलने पर तथा उस पर लगे ब्लैकमेलिंग व ठगी के आरोप से राज्य की जनता भी हैरान है, जनता का कहना है कि एक ऐसा व्यक्ति जिस पर बीस से भी अधिक केस दर्ज हैं, वो इस प्रकार खूलेआम न्यूज 11 भारत नाम से चैनल कैसे चला रहा था? झारखण्ड पुलिस उसे तीन-तीन बॉडीगार्ड, वो भी आर्म्स के साथ कैसे मुहैया कराई हुई थी? इसका जवाब तो स्थानीय पुलिस को भी देना चाहिए।
अरुप के खिलाफ देवघर न्यायालय से भी प्रोडक्शन वारंट जारी
इधर धनबाद में कई कांडों के खुलासे के बाद, बंगाल के एक थाना क्षेत्र से होते हुए मामला देवघर का भी खुल गया है। बताया जा रहा है कि 22.95 लाख रुपये के गबन के मामले में सीजेएम संजीव कुमार वर्मा की अदालत ने अरुप चटर्जी के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया है। यह प्रोडक्शन वारंट नगर थाना पुलिस तथा इस केस से जुड़ी जांच अधिकारी सुमन कुमारी द्वारा न्यायालय को दिये गये आवेदन के आलोक में न्यायालय ने जारी किया है। इस पूरे मामले में 27 जुलाई को अगली तिथि निर्धारित की गई है, जिसमें अरुप को पेश किया जाना है। देवघर नगर थाना में कांड संख्या 11/2014 दर्ज है। अरुप चटर्जी के खिलाफ यह प्राथमिकी बाबा वैद्यनाथधाम कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर मनोज कुमार सिंह ने दर्ज कराई थी।
दूसरी ओर न्यूज 11 भारत चैनल के कार्यालय से जो सामग्रियां पुलिस ने जब्त की थी, उन सारे उपकरणों की पुलिस स्तर पर जांच शुरु हो चुकी है। इन जांचों से ही पता चलेगा कि अरुप चटर्जी के किन-किन लोगों से किस प्रकार के संबंध थे, और कैसे वह ठगी और ब्लैकमेलिंग का काम खुद किया और और अपने रिपोर्टरों व अन्य अधिकारियों से करवाता रहता था। सूत्र तो ये भी बताते है कि झारखण्ड पुलिस के कौन ऐसे अधिकारी नहीं हैं, जिनके पास अरुप चटर्जी के काले अध्याय का ऑडियो-विडियो नहीं हैं, पर पता नहीं वे चुप क्यों बैठे हैं?
अरुप चटर्जी मामले में प्रभात खबर और रांची प्रेस क्लब समेत राज्य के सभी प्रेस क्लबों की प्रशंसा
इधर राज्य की वो जनता, जो न्यूज 11 भारत के मालिक अरुप चटर्जी के ब्लैकमेलिंग व ठगी का शिकार हुई है। अरुप के जेल जाने और उसके चैनल पर लग रहे शिकंजे से बेहद खुशी हैं, तथा राज्य की हेमन्त सरकार को खूले दिल से दुआएँ दे रही हैं, उनका कहना है कि भाजपा सरकार में शामिल लोग तो अरुप चटर्जी के ब्लैकमेंलिग और ठगी के धंधे पर चुप्पी बांधे हुए थे, उस पर कार्रवाई करने/कराने से मना करते थे, पहली बार हेमन्त सरकार आई, जिसने बिना किसी भय व पक्षपात के राज्य की जनता को न्याय दिलाने में लग गई। भ्रष्ट व ब्लैकमेलरों की जमात जो पत्रकार बन कर इधर-उधर घूम रहा था, उसके चेहरे पर भय व दहशत के माहौल कायम हुए हैं।
राज्य की जनता इन दिनों प्रभात खबर से भी खुब प्रसन्न है। कारण कि एक मात्र प्रभात खबर ही ऐसा राज्य में अखबार हुआ, जिसने ब्लैकमेलिंग व ठगी का शहंशाह अरुप चटर्जी पर कलम जमकर चलाई, उससे संबंधित एक-एक हरकतों को प्रमुखता से अपने अखबारों में, वो भी प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया, जबकि कई अखबार केवल इस न्यूज को छू कर निकल गये, मानो ये कोई समाचार ही नहीं, जबकि ये पूरा मामला ब्लैकमेलिंग व राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई लूटने से संबंधित था।
ऐसे भी जनता का कहना है कि जब राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई लूटनेवालों से भी पत्रकारों/अखबारों के मधुर संबंध हो जाये और ये कहें कि वो पत्रकार था, तो फिर हम बुद्धिजीवी किसे कहें? बुद्धिजीवी तो वह होता हैं, जो समाज और देश को अपने हृदय में संजोता हैं और गलत करनेवालों के खिलाफ आवाज बुलंद करता है, जो गलत करनेवालों के खिलाफ आवाज ही न बुलंद करें, वो अखबार या पत्रकार कैसा?
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पहली बार राज्य के सारे प्रेस क्लब, चाहे वो रांची हो या जमशेदपुर या धनबाद या झारखण्ड का कोई और शहर, सभी प्रेस क्लबों से जुड़े लोगों ने अरुप चटर्जी जैसे लोगों की गिरफ्तारी पर चुप्पी साध कर पत्रकारिता को स्वच्छ एवं शुद्ध करने में महती भूमिका निभाई हैं, जो प्रशंसनीय हैं, सम्मानीय हैं, नहीं तो अरुप के समर्थन में खड़े हो जाने से राज्य की जनता और राज्य को बहुत ही नुकसान होता, पत्रकारिता की जो भद्द पीटती, वो अलग।