अपनी बात

एक बात समझ में नहीं आई भाजपा के जफर इस्लाम के PC का ड्राफ्ट किसने तैयार किया था और वो किसका डर था जिसके डर से रांची के कई अखबारों ने उस ड्राफ्ट पर कैचियां चला दी

एक बात समझ में नहीं आई कि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम को झारखण्ड के भ्रष्टाचार को लेकर इतनी गहराई से ज्ञान कहां से हो गई? साथ ही एक बात और समझ में नहीं आ रही कि झारखण्ड के चार प्रमुख अखबारों प्रभात खबर, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान व दैनिक भास्कर को किस बात का डर था कि इन चारों अखबारों ने जफर इस्लाम के प्रेस कांफ्रेस पर इस प्रकार से कैंची चला दी, जैसे केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड फिल्मों के कुछ दृश्यों पर चाहे वो आपत्तिजनक हो या न हो, कैचियां चला देता है।

हमें याद है भाजपा के वरिष्ठ नेता, कभी राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भी संभाला, मुरली मनोहर जोशी एक बार बिहार के पूर्व मंत्री स्व. सत्यनारायण दुदानी जी के अमृत महोत्सव काल में धनबाद आये। कार्यक्रम समाप्त हुआ तो वे धनबाद के सर्किट हाउस में पत्रकारों के अनुरोध पर पत्रकारों से मिले। भाजपा के लोगों ने प्रेस कांफ्रेस आयोजित किया था।

वहां उस वक्त हिन्दुस्तान अखबार के एक संवाददाता ने क्षेत्रीय मुद्दों पर कुछ सवाल उनसे पूछे। जानते हैं, मुरली मनोहर जोशी ने क्या जवाब दिया। अरे भाई, अगर क्षेत्रीय सवाल पूछना ही हैं तो यहां के क्षेत्रीय भाजपा नेताओं से पूछो, हमसे पूछना हैं तो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सवाल पूछो। उस प्रेस कांफ्रेस में उस वक्त भाजपा से जुड़े हुए एक नेता भी मौजूद थे। नाम – विजय झा। विजय झा ने जब संवाददाता सम्मेलन खत्म हुआ तो उन्होंने यही कहा कि कृष्ण बिहारी जी आपने यहां के पत्रकारों की इज्जत रख ली, नहीं तो मुरली मनोहर जोशी जी के सामने यहां के पत्रकारों ने तो अपना भद्द पीटवा लिया था।

यह बातें हमनें क्यों लिखी? लिखने का अभिप्राय है, जब मुरली मनोहर जोशी जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेता क्षेत्रीय सवालों के जवाबों से बचना चाहते हैं और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर जवाब देने में ज्यादा रुचि रखते हैं तो फिर जफर इस्लाम जो भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ता है, क्षेत्रीय मुद्दों पर इतना लंबा-चौड़ा बोल के कैसे निकल गये?

उन्होंने राजनीति तो राजनीति, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों पर भी बोले, ये अलग बात है कि यहां के अखबारों ने उन्हीं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अपने अखबार में स्थान दिया, जो या तो जेल में हैं या जिनके बारे में लिखने से अखबारों के सेहत पर कोई असर न होनेवाला था। लेकिन उन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को नाम ही नहीं छापा, जिनसे उनके बुखार छूटने तय थे।

खैर, ये डर होना भी चाहिए, ताकि हम जैसे पत्रकार समय आने पर इन जैसे घटियास्तर के अखबारों के बारे में डंके के चोट पर आनेवाले पीढ़ी को बता सकें कि ये जो अखबार या उसका संपादक अभी पत्रकारिता के मूल्यों पर बयान दे रहा हैं, 27 सितम्बर 2023 को कैसे अपनी भद्द पीटवाया था। डर के मारे इसके प्राण सूख गये थे और वो डरानेवाला भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का नाम फलां-फलां था।

हमें एक बात की ओर खुशी हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपनी कार्यप्रणाली से केवल अपने विरोधियों राजनीतिक दलों को ही नहीं, बल्कि केन्द्रीय एजेंसियों, चिरकूट संपादकों/पत्रकारों को भी डरने पर मजबूर कर दिया है। राजनीतिक युद्ध में जीत व हार तो होती ही है, पर जीत व हार भी कैसे मिली, इसका भी अपना एक इतिहास होता है। कभी अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को पराजित किया था, पर उस पराजय में भी लक्ष्मीबाई ने एक इतिहास तो लिख ही दिया। उनके मरणोपरांत वीर रस की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने उनकी यशोगाथा में लिखा –

अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी।

खुब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसीवाली रानी थी।

आनेवाला समय हेमन्त सोरेन के बारे में भी लिखेगा कि एक शख्स था। जिसके खिलाफ केन्द्र सरकार, एक मजबूत विपक्षी दल भाजपा, केन्द्रीय एजेंसियां, अखबारों का समूह पीछे लगा था। फिर भी उस शख्स यानी हेमन्त सोरेन ने पीठ नहीं दिखाई। शान से लड़ता रहा और अपना इतिहास खुद लिखा। आप लाख हेमन्त सोरेन को गाली दे दीजिये, पर वो भाजपा के अर्जुन मुंडा व बाबूलाल मरांडी की तरह दल-बदलू तो नहीं ही है। उनकी भाषा भाजपा नेताओं की तरह अमर्यादित तो नहीं ही है।

और अब बात जफर इस्लाम के कल के प्रेस कांफ्रेस की। निश्चय ही उनके कल के प्रेस कांफ्रेस को एक टॉप क्लास का मीडिया मैनेजमेंट में पारंगत व्यक्ति ड्राफ्ट किया होगा और वो पारंगत व्यक्ति को भी आज का अखबार देखकर होश उड़ गया होगा कि उसने जो लाम-काम बांधा, हेमन्त सोरेन और उनके प्रशासनिक अधिकारियों के भय ने अखबारों के होठ सील दिये। उनकी हिम्मत नहीं कि वे उस ड्राफ्ट को हु-ब-हू छाप दें। जबकि अखबार को तो नारद की तरह होना चाहिए, ठीक उसी प्रकार जैसे कृष्ण का दरबार हो या कंस का दरबार। नारद तो सभी जगह जाते थे। लेकिन बात वहीं करते, सुनाते वहीं जो जगत के हित में होता। ऐसी नारद जैसी कूबत झारखण्ड में किसके पास हैं भाई?

चलिये, अब लोकसभा का चुनाव नजदीक है। आम जनता को भी मसाला देखने, पढ़ने व सुनने को खुब मिलेगा। विद्रोही24 पढ़ते रहियेगा। इसमें वो होगा, जो कही नहीं होगा। हम आपको आश्वस्त करते हैं। इसमें वहीं चीज देखने/पढ़ने/सुनने को मिलेगा, जो देश व झारखण्ड के हित में होगा। इस आलेख को खत्म करने के पहले एक वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा के कुछ वाक्य आप भी पढ़िये – ‘लगता है कि हेमन्त के भी अच्छे दिन आनेवाले हैं, ऐसे ही और 77 हजार करोड़ के घपले का आरोप मोदी जी ने अजीत पवार पर लगाया और दो दिन बाद डिप्टी सीएम बना दिया।’