अपनी बात

जिसकी कोई औकात नहीं होती, और जब उसे बहुत कुछ मिल जाता है, तब वह झारखण्ड का स्वास्थ्य मंत्री बन जाता है

भाई, मेरा मानना तो साफ है कि जिसकी कोई औकात नहीं होती, और जब उसे बहुत कुछ मिल जाता है, तब वह झारखण्ड का स्वास्थ्य मंत्री बन जाता है और फिर इस राज्य का ऐसा स्वास्थ्य खराब करता है कि पूछिये मत। जब से कोरोना का संक्रमण विश्वव्यापी हुआ और कोरोना ने भारत के विभिन्न राज्यों में पदार्पण करते हुए झारखण्ड में प्रवेश किया, तब से लेकर अभी तक झारखण्ड के अति विद्वान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता छाये हुए हैं।

ऐसे भी झारखण्ड के ज्यादातर नेताओं की यह आदतों में शुमार है कि जहां बूम व कैमरा देखा, बस शुरु हो गये, सवाल कुछ भी रहे, ये बोलेंगे जरुर, इसका क्या असर पड़ेगा, उससे उन्हें कोई मतलब नहीं। उन्हें तो सिर्फ इस बात से मतलब है कि वे टीवी पर आयेंगे, सोशल साइट पर छाये रहेंगे, चाहे भद्द ही क्यों न पीट जाये।

जरा देखिये न आज ही उन्होंने क्या बयान दिया और मीडिया के मूर्धन्य पत्रकारों ने उसे किस रुप में ले लिया। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बयान दिया कि सचिवों को जो विभिन्न योजनाओं के लिए पांच करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, वो नहीं देने चाहिए, क्योंकि सचिवों को क्या पता कि कौन सी योजनाएं किस इलाके के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं, ये तो सिर्फ जनप्रतिनिधियों को मालूम होता है, ऐसा करके तो सरकार ने कार्यपालिका के नियमों का उल्लंघन कर दिया।

अब जरा सोचिये, सचिवों को विभिन्न योजनाओं को मूर्त्तरुप देने के लिए पांच करोड़ दिये गये, उसमें कार्यपालिका का उल्लंघन कैसे इन महाशय को दिख गया, आश्चर्य है। वे आगे बोलते है कि जो अधिकारियों का तबादला हुआ, उसमें भी राज्य सरकार यानी मुख्यमंत्री को गठबंधन में शामिल मंत्रियों से बातचीत करके निर्णय लेना चाहिए था। वे इस संबंध में मुख्यमंत्री से आज ही बात करेंगे।

कमाल है, अब एक छोटा सा सवाल राज्य के अति विद्वान व होनहार स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से, कि उन्हीं के पार्टी के संसदीय कार्य व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने जो रांची से पाकुड़, साहेबगंज और कोडरमा के लिए उपायुक्त से कहकर विशेष बसें जो खुलवा दी थी, जिसको लेकर हाईकोर्ट बार-बार राज्य सरकार से सवाल पूछ रहा हैं, वो क्या मुख्यमंत्री से राय लेकर ऐसा किया गया था क्या?

दरअसल, ये जो नेता होते हैं न, वे बड़े मासूम होते हैं, उन्हें अपनी गलतियां नहीं दिखती, पर दूसरे की अच्छाइयों में भी गलतियां देखने का जो हुनर उनके पास हैं, वो किसी के पास नहीं होता। जरा देखिये न, आजकल जनाब के कैसे-कैसे समाचार आ रहे हैं, वे अखबारों में कैसे छाये हुए है, उनके बयान है – “कोरोना पर राजनीति ना हो, जमात पर केन्द्र फेल रही”। “रांची में फैल रहा कोरोना, हुई है चूक, अब रहेंगे अलर्ट”।

कभी-कभी तो मैं सोचता हूं कि इतने योग्य व होनहार मंत्रियों को उनके विभागीय सचिव कैसे झेलते होंगे, हमे लगता है कि बेचारों की मजबूरियां रहती होगी, नहीं तो वे भी इनसे दूर होने का कोई न कोई उपाय ढूंढने का प्रयास जरुर करते होंगे, जैसे रांची के रिम्स के डायरेक्टर ने ढूंढ लिया, उन्होंने रिम्स से मुक्ति आखिरकार पा ही ली।

अब सवाल उठता है कि जिस प्रकार से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता बयानवीर बन रहे हैं और अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं, क्या उस वक्त ये कर पाते, जब वे विधायक ही नहीं बन पाते। अरे ये तो कमाल है भाजपा के उनके ही जैसा बयानवीर व होनहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का, जिन्होंने जमशेदपुर पश्चिमी सीट से भाजपा का टिकट सरयू राय को मिलने में रोड़ा अटका दिया, अगर जमशेदपुर पश्चिम से सही में सरयू राय भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ जाते तो क्या होता? कभी सपने में भी सोचा है।

ये तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मूर्खता का परिणाम था कि सरयू राय का टिकट कटवाने के फेर में खुद भी विधायक नहीं बन पाये, और सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्व से धमाकेदार जीत दर्ज कर ली और उसका फायदा आपको मिला, आसानी से जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर विजय प्राप्त कर ली। अतः ज्यादा होशियार बनने की जरुरत नहीं, अभी तो छह महीने भी सरकार के नहीं हुए हैं, ज्यादा अक्लमंद बनियेगा तो आपका हाल वही होगा, जो इस लोकोक्ति से चरितार्थ हो जाता है – चौबे गये छब्बे बनने, दूबे बनकर आये।

क्योंकि हेमन्त सरकार का तो कुछ नहीं होगा, आपका कबाड़ा निकल जायेगा, क्योंकि आपको जो मंत्री कांग्रेस कोटे से बनाया गया है, वो आपकी काबिलियत पर नहीं बनाया गया, वो तो कांग्रेस की बहुत सारी राजनीतिक मजबूरियां थी, जिसका लाभ आपको मिल गया, नहीं तो आपसे ज्यादा योग्य लोग कांग्रेस में विधायक के रुप में मारे-मारे फिर रहे हैं।

One thought on “जिसकी कोई औकात नहीं होती, और जब उसे बहुत कुछ मिल जाता है, तब वह झारखण्ड का स्वास्थ्य मंत्री बन जाता है

  • Pankaj kumar

    Sir, जो ख़ुद मानसिक रूप से बीमार हो वो केसे स्वस्थ मंत्री बन जाते है, और अगर बन जाए तो क्या होता है ये आज झारखंड की जनता देख भी रही है और भुगत भी रही है

Comments are closed.