राजनीति

केवल मोदी के दस सालों के शासनकाल में ही 41 बार पेपरलीक हो गये, इनकी प्रभावमुक्त सीबीआई और ईडी जांच होनी चाहिए साथ ही मानव संसाधन मंत्री को पदमुक्त भी करना चाहिएः सुप्रियो

आखिर कुलीन वर्गों के बच्चे जिस परीक्षा में शामिल होते हैं, उन परीक्षाओं के पेपर लीक क्यों नहीं होते? ये मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे जिन परीक्षाओं में शामिल होते हैं, उन्ही परीक्षाओं के पेपर लीक क्यों होते हैं? नीट की परीक्षा में जो पेपर लीक हुए हैं और जो धांधलियां देखने को मिली।

उस संपूर्ण घटनाक्रम का प्रभावमुक्त सीबीआई और ईडी जांच होनी चाहिए, क्योंकि जब पेपर लीक हुआ और उसमें रुपये के लेन देन हुए हैं तो उसका धनशोधन भी हुआ होगा, हो सकता है कि पैसे शेयर में भी लगे हो। होना तो यह भी चाहिए कि प्रधानमंत्री अपने मानव संसाधन मंत्री को भी पद मुक्त करें। उपरोक्त बातें आज संवाददाता सम्मेलन में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कही।

उन्होंने कहा कि जिस दिन चार जून को चुनाव परिणाम आ रहा था। उसी दिन नीट के परीक्षा परिणाम भी आ रहे थे। रांची में पता चला कि एक अभ्यर्थी को 720 में 720 अंक मिले हैं। उसी दौरान अचानक फिर नीट की परीक्षा के लीक प्रकरण भी आ गये। कई जगहों पर लोगों के गिरफ्तारी के समाचार भी आ गये। लेकिन ये खबर चुनाव परिणाम की आंधी में कही खो से गये।

23 लाख बच्चे जिनमें 17-18 साल के बच्चे होते हैं। केन्द्र सरकार ने उनके साथ धोखाधड़ी कर दी। भ्रष्टाचार किया। सरकार गठन के बाद जब मामला एचआरडी डिपार्टमेंट के पास गया तो मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ, जबकि उन्हीं के शासित प्रदेशों के पुलिसकर्मियों ने कहा कि पेपर लीक हुए हैं। भ्रष्टाचार हुआ है। सुप्रियो ने कहा कि इनके द्वारा संपोषित दलाल गैंग जो कोचिंग संस्थान चलाते हैं, जिनका तार गुजरात व राजस्थान से जुड़ा है। इस पर कौन जवाब देगा?

सुप्रियो ने कहा कि केवल मोदी के दस वर्षों के शासनकाल में 41 बार पेपर लीक हुए हैं। 17 बार तो केवल यूपी में पेपर लीक हुआ। गुजरात-उत्तराखण्ड में भी पेपर लीक हुए। लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से ये खेल गये। पुलिस/रेल/बैंकिंग आदि परीक्षाओं के भी यही हाल है। ये भारत के युवाओं के साथ भद्दा मजाक कर रहे हैं।