नहीं थम रहा पलामू में भाजपाइयों का विरोध, नेताजी जनता को सुना रहे कबीर की पंक्तियां
झारखण्ड में पहली बार देखा जा रहा हैं कि भाजपाइयों का इतना जमकर विरोध हो रहा है, नहीं तो लोग बताते है कि इतना विरोध तो आजतक किसी भी पार्टी या नेता का नहीं हुआ। लोग बताते हैं कि उसका मूल कारण है, पूर्व के नेताओं में चाल-चरित्र का होना, जबकि आज के नेताओं में चाल-चरित्र सब गायब है, एक बार जीत गये तो फिर गायब, फिर अवतरित होंगे चुनाव के समय, तब ऐसे नेताओं का विरोध होना तो लाजिमी है।
हम बात कर रहे हैं पलामू के छतरपुर की, जहां पहुंचे है, भाजपा के मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर ये अपने लोकसभा प्रत्याशी बी डी राम के लिए पलामू की गलियों का खाक छान रहे हैं, कहीं उनकी सुनी भी जा रही हैं तो कही जनता उन्हें ही सुना दे रही हैं, कही-कही लोग इतने गुस्से में है कि रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर रखकर उनका रास्ता जाम कर दे रहे हैं, तथा जो मन आया, नेता जी को सुना दे रहे है।
इधर नेताजी का भी धैर्य जवाब दे रहा है, वे भी जनता को सुना दे रहे हैं, बोल रहे हैं, क्या जी ये पत्थर रखकर तुम बंधक बनाओगे, ये कौन सा तरीका है विरोध करने का, जनता भी यह सब सुनकर भड़क रही हैं और नेताजी को जो मन कर रहा है, वो सुना दे रही हैं, हर जगह का गुस्सा केवल यहीं है, नेताजी एक बार चुनाव जीते, उसके बाद गायब, कभी देखने नहीं आये कि उनके इलाके की जनता किस हाल में रह रही हैं?
दुसरी ओर नेताजी के समर्थकों द्वारा रास्ते में रखे पत्थर को हटाया जाता है, और उधर नेताजी आगे बढ़ते हुए कहते है कि सबसे मार कबीर का, चित्त से दिया उतार, अब समझ में नहीं आ रहा कि नेताजी, जब जनता को ही चित्त से उतार देंगे तो जनता के पास वोट के लिए जा क्यूं रहे हैं? जनता तो कब का उन्हें चित से उतार दी हैं, तभी तो विरोध कर रही है, तभी तो उनसे गुस्से में हैं, ये समझ क्यूं नहीं रहे, अगर यही हाल भाजपा नेताओं का रहा तो पलामू का रिजल्ट एक तरह से क्लियर ही है।