विपक्ष चाहता है कि झारखण्ड में मुख्यमंत्री के रुप में रघुवर दास बने रहे, ताकि…
झारखण्ड में ज्यादातर विपक्षी नेताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि झारखण्ड में विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री के रुप में रघुवर दास बने रहे, क्योंकि ये जितने दिन मुख्यमंत्री बने रहेंगे, विपक्षी दलों की जीत की प्रतिशतता उतनी ही बढ़ती जायेगी। कल की ही बात है, विधानसभा में विपक्षी दलों के नेताओं के चेहरे खिले हुए थे। जब हमने चेहरे खिलने का राज पुछा तो सभी ने एक स्वर से कहा कि, बस रघुवर की कृपा है, वे चाहते है कि ये जनाब कम से कम विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री के रुप में बने रहे, क्योंकि इनको जो बोली है, इनकी जो कार्यशैली है, इनकी जो अधिकारियों पर कृपा बरसाने का तरीका है, इनका भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए सदन में सरकार तक को दांव पर लगाने का जो जज्बा है, वह अनूठा है, और जनता कितनी इनसे खुश है, वो तो आप भी जानते हैं, इसलिए विपक्षी दलों के सभी नेताओं का चेहरा खिला हुआ है।
विपक्षी दलों के कई नेताओं ने कहा कि वे चाहते है कि केन्द्र यहां के सीएम रघुवर दास पर अपनी कृपा बनाये रखे, और यहां के भाजपा के ही असंतुष्ट 26 विधायकों की एक न सुने, केवल सीएम रघुवर दास की सुनती रहे, भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की जय-जय करती रहे, क्योंकि जब तक ये ऐसा नहीं करेंगे, विपक्षी दल यहां मजबूत कैसे होंगे? सरयू राय द्वारा अपने पद से हटने की इच्छा जाहिर करने, असंतुष्ट विधायकों द्वारा पहले सदन में और फिर पत्र लिखकर स्थानीय व नियोजन नीति पर सरकार को घेरने की बात पर, विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि सत्तापक्ष के विधायकों और मंत्रियों को अब सद्बुद्धि आयी है, विपक्ष तो पहले से ही इन मांगों को लेकर सदन में अपनी बातें रखता आ रहा है, पर किसी ने विपक्ष की जायज मांगों को सहीं नहीं ठहराया और अब जबकि वे अब अपने ही क्षेत्रों में जनता के कोपभाजन बन रहे हैं, उन्हें जनता अपने इलाके में प्रवेश नहीं करने दे रही तो अब दुखड़ा रो रहे हैं, ये और कुछ नहीं, अब जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। सच्चाई यह है कि एक मुख्यमंत्री ने अपने गलत नीतियों और भ्रष्ट अधिकारियों के मनोबलों को बढ़ाकर पूरे राज्य का बेड़ा गर्क कर दिया है।
विपक्षी दलों के नेताओं का कहना था कि पहले ही, विपक्ष ने इस राज्य सरकार को आगाह किया था, पर यह नहीं सुनी। सदन में अपनी बातों को रखा, सरकार नहीं सुनी, अब उनके पास एकमात्र रास्ता बचा है, – जनता के पास जाने का, और अपनी बातें रखने का। विपक्षी दल के नेताओं को दृढ़ विश्वास है कि जनता उनकी सुनेगी और 2019 में इस सरकार की विदाई अवश्य करेगी।
इधर बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद से रघुवर दास को नहीं हटाया तो लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को पूरे झारखण्ड से लेने के देने पड़ सकते हैं, क्योंकि पूरे राज्य में भाजपा धीरे-धीरे नहीं, बल्कि बहुत तेजी से समाप्ति की ओर हैं, सत्तारुढ़ दल के ही 26 विधायकों की स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर सदन में ही सरकार को घेरा जाना, असहमति जताना और उसके बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखना इसे हल्के में लेना, खुद भाजपा के केन्द्रीय नेताओं को महंगा पड़ सकता हैं।
जब विपक्ष का काम रघुबर ही कर दे रहे तो ,फिर क्या चिंता..
विपक्ष तो फुल सपोर्ट एन्ड एन्जॉय के मूड में दीख रही है।