दर्द मनरेगा मजदूरों काः जब कल्पना ने मनरेगा मजदूरों की समस्याओं को सदन में उठाया तब पता चला कि झारखण्ड का मनरेगा सामग्री मद में करीब 647 और मजदूरी मद में 484 करोड़ रुपये केन्द्र ने अब तक नहीं दिये
झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र के आज 19 वें दिन सदन 10 मिनट विलम्ब से शुरू हुआ। जिसमें अल्पसूचित प्रश्न दो ही मात्र लिये गये। एक नवीन जायसवाल का और दूसरा कल्पना सोरेन का। नवीन जायसवाल का सवाल पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संबंधित था। नवीन जायसवाल ने सरकार से पूछा कि भारत सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत 31 दिसम्बर 2024 तक हर ग्रामीणों के घर में नल से शुद्ध जल उपलब्ध कराने का उद्देश्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
क्या ये बात सही है कि इसके तहत कुल 62.64 लाख घरों में शुद्ध जल पहुंचाने की योजना है, जिसमें सिर्फ 34.16 लाख घरों तक ही यह योजना पहुंचा और वह योजना पूरा नहीं हो सका। आखिर बचे हुए घरों में यह योजना कब तक साकार रूप ले लेगी। सरकार का कहना था कि अब यह योजना का विस्तार संपूर्ण भारत में दिसम्बर 2028 तक कर दिया गया है।
शेष घरों में पेयजलापूर्ति उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयत्नशील है, तथा जल जीवन मिशन के अंतर्गत योजना को साकार करने के जलापूर्ति योजनाएं निर्माणाधीन है। सरकार का यह भी कहना था कि ये योजना केन्द्र व राज्य के फिफ्टी-फिफ्टी अंशों पर आधारित हैं, चूंकि केन्द्रांश हमें समय पर नहीं मिलता, जिसके कारण इस योजना को पूरा करने में बाधाएं आ रही हैं।
इसके बाद गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन ने राज्यहित में बड़ा ही सुंदर सवाल उठाया, जो चर्चा में रहा। कल्पना सोरेन ने सरकार से पूछा कि सरकार बताए कि मनरेगा के तहत किये गये कार्यों का मजदूरी मद और सामग्री मद में कितने का बकाया है? साथ ही इस भुगतान में हुए विलम्ब के लिए जिम्मेवार पदाधिकारियों पर सरकार कार्रवाई करने का विचार रखती हैं या नहीं?
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह का कहना था कि मनरेगा केन्द्र प्रायोजित योजना है। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मजदूरी तथा सामग्री मद हेतु राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसी बीच कल्पना सोरेन ने कहा कि मनरेगा के तहत पंजाब व हरियाणा के किसानों को ज्यादा मजदूरी दी जाती है, लेकिन झारखण्ड के मजदूरों को वही मजदूरी का भुगतान क्यों नहीं होता?
सरकार का कहना था कि मनरेगा के सामग्री मद में झारखण्ड का करीब 647 करोड़ और मजदूरी मद में 484 करोड़ रुपये केन्द्र के पास बकाया है। हमारे राज्य के पदाधिकारी इस संबंध में कई बार केन्द्र से पत्राचार किया है। लेकिन केन्द्र मनरेगा का पैसा जल्द नहीं देता।
कल्पना सोरेन ने कहा कि अभी पर्व-त्यौहारों का मौसम चल रहा है, तो क्या ऐसे में मजदूरों को पैसों की जरुरत नहीं होती, देर से हुए भुगतान पर क्या उन्हें क्षतिपूर्ति सरकार देगी। इस उत्तर का संतोषजनक उत्तर न तो वित्त मंत्री दे सकें और न ही ग्रामीण विकास मंत्री दे सकीं। लेकिन इतना तो इस प्रश्न से पता चल गया कि झारखण्ड के मनरेगा मजदूरों के साथ केन्द्र की कितनी ज्यादती हो रही हैं।