झारखण्ड निवासी पंकज यादव ने तीन राज्यों में श्रम कानून में हुए बदलाव के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर की याचिका
विदेशी निवेशकों को भारत लाने के मकसद से श्रम कानून में हुए बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। झारखण्ड के सोशल एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। पंकज कुमार यादव का मानना है कि भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में मजदुर कानून को कमजोर और शिथिल बनाने का अध्यादेश जारी हुआ है।
श्रम कानून में संशोधन तीन महीने से लेकर तीन वर्षो तक अलग-अलग राज्यों में किया गया है। पंकज यादव ने जनहित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की है कि राज्य सरकारों के इन अध्यादेश को रद्द कर श्रम कानून को संरक्षित करें। राज्य सरकारों ने फैक्ट्री एक्ट का संशोधन कर मजदूरों के मूल अधिकारों को हनन करने का प्रयास किया है। आठ घंटे की जगह बारह घण्टे कार्य करवाना तथा निम्नतम मजदूरी से भी वंचित रखना मानवाधिकार का हनन है।
राज्य सरकारों ने श्रम कानून में बदलाव वॉर के दौरान मिलने वाले राज्य सरकार के अधिकारों के आधार पर किया है। जो ना तो राजनीतिक दृष्टि से सही है ना ही नैतिक दृष्टि से। चूंकि लाखों मजदुर अभी भी भयंकर पीड़ा को झेल रहे हैं और लॉक डाउन के बाद जब वो वापस फैक्ट्री में जायेंगे, तो नया अध्यादेश उन्हें अपने फंसे हुए पैसे को निकालने में भी बड़ी अड़चन खड़ा करेगी।
मजदूरों को देश में आज़ादी से पहले से मिलते आ रहे हर वो अधिकार और सुविधा से वंचित करने की यह कोशिश है, जिसका मजदूर वर्ग हमेशा से हक़दार रहा हैं। मजदूर की जान और जमीर के कीमत पर निवेशको को आमंत्रित करना, कही से भी उचित नहीं है। पंकज यादव की तरफ से एडवोकेट निर्मल अम्बष्ठा ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है।