लोयला सभागार में जनसंगठनों से जुड़े नेताओं ने कहा बिना भाजपा को हराए झारखण्ड का विकास संभव नहीं
रांची के लोयला सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में जन आंदोलन के संयुक्त मोर्चा ने लोकसभा चुनाव 2019 मे भाजपा को हराने के लिए जनता के सवालों पर हिस्सेदारी एवं उम्मीदवारी का दावा विपक्षी महागठबंधन के सामने पेश किया। पिछले 5 वर्षों मे जन संगठनों ने ही भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतर कर संघर्ष किया। भाजपा–आरएसएस की सरकार को शिकस्त देने के लिए, जन– आंदोलनों के बिना कोई भी विपक्षी महागठबंधन झारखंड के संदर्भ में पूरा नहीं होगा।
यदि विपक्षी दल के महागठबंधन मे जन–आंदोलन को जगह नहीं मिलती है, तो पूरे झारखंड में चुनाव की तैयारी का निर्णय लिया गया है। आज के कार्यक्रम में, ईचा–खरकाई बांध,नेतरहाट फील्ड फाइरिंग रेंज, पलामू व्याघ्र परियोजना, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ कोरीडोर,मंडल डैम परियोजना एवं अडानी पावर प्लांट को अविलंब बंद करने का प्रस्ताव पारित किया गया। एक कमेटी का गठन किया गया जिसमे सभी संगठनो के दो प्रतिनधियों का नाम प्रस्तावित हुआ।
दयामनी बारला ने कहा, सीएनटी एक्ट के होते हुए भी आज हमारे झारखंड मे बड़े बड़े भवन बन गए हैं, झारखंड के जमीन के लिए बहुत से लोगों ने शहादत दिये, लेकिन आज उसकी शहादत का उद्देश्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया। अभी हम अकेले अकेले लड़ रहे हैं, लेकिन अब जरूरत है मिलकर साथ लड़ने की। आज भाजपा सरकार स्कॉलरशिप में भी 50% कमी कर दी ताकि हम उच्च शिक्षा नहीं ले सके। आज गो रक्षा के नाम पर बहुत से लोग जेल मे हैं, हमें उनके परिवार की सुधि लेने की जरूरत है।
आज सरकार ने गरीबों के काम करने वाली 88 संस्थाओं का लाइसेंस रद्द कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासियों को तहस नहस करने की कोशिश की, मिशनरी और मुसलमानों को पंगु बनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ा। आज वो हुआ जो सचमुच 60 साल मे भी नहीं हुआ, 60 साल मे कभी गौ के नाम से किसी की हत्या नहीं की गई थी। भाषण मंच पर देने से नहीं होगा, हमें धरातल पर काम करना होगा। केवल आदिवासी–मूलवासी करते रहने से झारखंड आदिवासी राज्य नहीं बनेगा,इसके लिए हमें विधानसभा में बहुमत लाना होगा।
जेरोम गेराल्ड कुजूर (नेतरहाट फील्ड फाइरिंग विरोधी जन–संघर्ष समिति) ने कहा कि राजनीतिक दलों के भरोसे जल–जंगल–ज़मीन को नहीं बचाया जा सकता। हम जन–आंदोलन राजनीतिक दल के महज वोट बैंक नहीं, हमे हमारी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
वीरेंद्र कुमार (झारखंड जनतांत्रिक महासभा) ने कहा कि राजनैतिक परिस्थितियां, जो पिछले पांच सालों मे झारखंड मे पैदा हुई है, यह केंद्र और राज्य सरकार की देन है जैसे मॉब लिचिंग। भाजपा और आरएसएस ने देश मे नंगा नाच मचा दिया है। महागठबंधन आज चुनाव के वक़्त जनांदोलनों को दरकिनार करके चुनाव जीतना चाहता है जो कि संभव नहीं। जनता ही विपक्ष रहा है, असल विपक्ष सदन मे चुप रहा है।
पक्ष और विपक्ष दोनों नाकाम हुआ है, असल लड़ाई जनता आज तक लड़ रही है। पत्थलगड़ी और गोड्डा मे विपक्ष मौन रहा और नाकाम रहा। जनांदोलनों को खुलकर चुनाव मे दावेदारी ठोकने की जरूरत है ताकि विधान सभा और अन्य सदन मे जनता की बात रख पाये। हम लोगों ने सड़कों पर दमन के खिलाफ लड़ा है और इसलिए हमारी हिस्सेदारी है और हमें चुनाव मे अपनी दावेदारी पेश करनी है।
कुमार चंद मार्डी ने कहा कि जनांदोलनों का इलाका छोटानागपुर कोल्हान संथालपरगना,खनिज सम्पदा से भरा है। झारखंड राज्य को भाजपा सरकार ने जनता को अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि एक प्रयोगशाला के रूप मे उपयोग करने के लिए किया।वर्तमान हालत यह बात समझने के लिए काफी है। हमे यह भी सोचना होगा कि अगर गठबंधन सरकार आती हैं तो क्या ये हमारे अधिकार को लागू करेगी?
टाटा झारखंड की जनता का काफी विस्थापन कर चुका है। लोग उषा मार्टिन जैसे कंपनी के विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे है। अभी लोग विस्थापन झेल रहे है। जो विस्थापन हो चुके हैं उनकी पुनर्वास के लिए लड़ाई लड़नी होगी। आज क्या राजनीति दल चुनावी घोषणा पत्र को लागू करेंगे? हमे इन बातों का भी ध्यान रखना होगा। अगर इस बार फिर से ये तानाशाही सरकार सत्ता मे आती है तो निश्चय ही हम अपने अधिकारों को खो देंगे।
फैसल अनुराग (वरिष्ठ पत्रकार) ने कहा कि आपातकाल के दौरान भी लोग संशय में थे कि “क्या इन्दिरा गांधी को हराया जा सकता है, लेकिन फिर भी इन्दिरा की हार हुई। वर्तमान सरकार आदिवासी, दलित एवं पिछड़ों के हित के खिलाफ काम कर रही। इस देश मे ऐसा माहौल बनाया गया कि बहुत से मुसलमानों को गौ के नाम पर हत्या कर दी गई। हमारी सरकार जिस नीति मे चल रही है वो सामान्य बात नहीं है, 13 वी रोस्टर वाली बात कोई सामान्य घटना नहीं है, हमे आज गंभीरता से हर बिन्दु पर पर सोचना होगा।
कार्यक्रम में कोयलकारो जनसंगठन, केंद्रीय जन–संघर्ष समिति लातेहार–गुमला, मुंडारी–खूंटकती–भूइंहर परिषद, आदिवासी–मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, भूमि बचाओ मंच कोलहान,बोकारो विस्थापित साझा मंच, विस्थापन विरोधी एकता मंच पूर्वी सिंहभूम, हाशा–भाषा जोगाओ संगठन गोड्डा, आदिवासी एकता मंच इचागढ़, मुंडा–मानकी संघ पश्चिमी सिंहभूम,गाँव गणराज्य लोकसमिति कोलहान, यूनाइटेड मिली फोरम रांची, झारखंड जनतांत्रिक महासभा, युवा उलगुलान मंच, हटिया–विस्थापित जन–कल्याण समिति के लगभग 300 प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में प्लासीदिउस तोपपो, राजकुमार गोराई, अनिल मनोहर, राजू लोहरा, दीपक रणजीत,सुरेन्द्रनाथ तुडु, सुनील मिंज, स्टैन स्वामी,डेमका सोय, धनिक गुड़िया, रतन तिर्की, सुषमा बिरुली, दीपक बाड़ा, ललित मुरमु, राकेश रोशन कीड़ो, कृष्णा लकड़ा, मुक्ति सोरेंग, विजय संथाल, थियोडोर कीड़ो एवं अन्य लोगों ने भी विचार रखे। मंच संचालन– दीपा मिंज़ ने किया।