झारखण्ड की जनता ने शिबू सोरेन परिवार के एक और सदस्य को राजनीतिज्ञ के रुप में स्वीकारा, कल्पना बनती जा रही लोगों की पसन्द, लोकप्रियता में सभी को पीछे छोड़ा
अब झारखण्ड की जनता ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के परिवार के एक और सदस्य को एक कुशल राजनीतिज्ञ के रुप में स्वीकार कर लिया है। वो सदस्य है – राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन। अब जनता कल्पना सोरेन को सुनना चाहती है। वो उनमें दिलचस्पी भी ले रही है। कल्पना सोरेन के प्रति जनता को सहानुभूति भी है। शायद इसका आभास भारतीय जनता पार्टी के राज्यस्तरीय नेताओं से लेकर दिल्ली में बैठे प्रमुख केन्द्रीय नेताओं को भी हो चुका है।
यही कारण है कि अब भाजपा के राज्यस्तरीय नेता अब कल्पना सोरेन पर हावी होने की तैयारी में लगे हैं। लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो कल्पना सोरेन की सोशल साइट हैंडल करने की कला तथा इसके साथ-साथ आम जनता के प्रति अपनी सरलता व सहजता का प्रकटीकरण उन्हें ज्यादा प्रभावशाली बनाती चली जा रही है, जिसका काट कम से कम भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं में नहीं ही है।
चार मार्च को गिरिडीह की सर्वप्रथम राजनीतिक सभा में जब उन्होंने माइक संभाली और उनके अवरुद्ध कंठ व अश्रुमिश्रित संभाषण से जो शब्द निकले। वो गिरिडीह ही नहीं, बल्कि झारखण्ड की उन सारी जनता को अंदर से हिला दिया, जो किसी न किसी रुप में हेमन्त सोरेन या दिशोम गुरु शिबू सोरेन द्वारा झारखण्ड के लिए किये गये विशेष कार्यों को आदरसहित याद करते हैं। यही उनके सबल होने की पहली सीढ़ी भी थी।
साथ ही भाजपा के लोगों को भी अंदर से हिला दिया कि अगर कल्पना सोरेन ने अपनी राजनीतिक सभा का विस्तार करना शुरु कर दिया तो भाजपा के लिये यह खतरे की घंटी से कम नहीं। लीजिये जल्दी ही दुसरा समय भी आ गया। जब कल्पना साहेबगंज के बरहेट पहुंचकर वहां की जनता के सामने भी अपनी भाषण से लोगों का दिल जीत लिया।
इसके बाद कल्पना सीधे पहुंची मुंबई, जहां ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में लाखों लोगों के सामने अपनी बातें रखी, जो सिर्फ मुंबई ही नहीं, बल्कि रांची समेत देश की अन्य राज्यों की राजधानियों तक पहुंची। एक हमारे पत्रकार मित्र ने कल्पना के इस भाषण पर कहा था कि बहुत तेजी से हेमन्त सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन राजनीति में अपना स्थान बनाती चली जा रही है।
कई लोगों का तो यह भी कहना था कि अगर ये कारवां इसी तरह बढ़ता गया तो कल्पना सोरेन, अपने पति हेमन्त सोरेन के जेल में जाने का बदला, इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का स्वाद चखाकर सूद समेत वसूल सकती है, क्योंकि जब मुंबई में वो जब भाषण दे रही थी तो उनका भाषण हर कोई बहुत ही शांतचित्त भाव से सुन रहा था।
मतलब एक ओर अपने भाषण से अपने विरोधियों का मुंहतोड़ जवाब तथा दूसरे अपने पति हेमन्त सोरेन के सोशल साइट को खुद से हैंडल करते हुए कलम की धार से विरोधियों को कुंद करने के हौसले की तो दाद देनी ही होगी। जब उन्होने लिखा – शासन का मतलब तानाशाही हो गया है, देश का हर कोना, इनके जुल्म का गवाही हो गया है। इन्हें लगता है कि करोड़ों लोगों का नेतृत्व कर रहे जन नेताओं को गिरफ्तार कर ये फिर से गद्दी पर बैठ जायेंगे। देश की स्वाभिमानी निडर जनता इनके भ्रम और अहंकार का मुंहतोड़ जवाब देगी। इंडिया झुकेगा नहीं। – कल्पना सोरेन।
और फिर कल्पना सोरेन पहुंच गई देश की राजधानी दिल्ली। वहां के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में लोकतंत्र बचाओ महारैली को संबोधित किया। वहीं जोरदार ढंग से कल्पना ने आवाज दी। जब झारखण्ड नहीं झुक रहा तो देश कैसे झुकेगा। नारे बुलंद किये – झारखण्ड झुकेगा नहीं, इंडिया झुकेगा नहीं। जिसका सभी ने अभिवादन सहित उक्त नारे को स्वीकार किया।
इसी प्रकार कभी झारखण्ड के हजारीबाग तो कभी रांची स्थित पार्टी कार्यालय, कभी गिरिडीह के गांडेय विधानसभा क्षेत्र में तो कभी अपने ही आवास पर लोगों से मिलने की कला ने कल्पना की लोकप्रियता में वृद्धि कर दी है। इधर 21 अप्रैल को इंडिया गठबंधन की रांची में होनेवाली रैली को लेकर कल्पना सोरेन ने राज्य की जनता से आशीर्वाद मांगा है कि वो इंडिया गठबंधन की उक्त महारैली में शामिल हो।
कल्पना सोरेन का कहना है कि यह महारैली तानाशाही, चंदाखोरों, इलेक्टरोल बॉन्ड के लूटेरों, जल-जंगल-जमीन लूटनेवालों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, युवाओं, किसानों, मजदूर विरोधियों, सरकारी संपत्तियों को बेचनेवालों के खिलाफ आयोजित हो रही है। इसलिए पूरा देश जब उलगुलान की ओर बढ़ रहा है। तो ऐसे में रांची पीछे क्यों रहे, झारखण्ड पीछे क्यों रहे।
फिलहाल 21 अप्रैल को रांची के प्रभात तारा मैदान में होनेवाली इंडिया गठबंधन की इस उलगुलान न्याय महारैली पर सभी की नजर है। अगर यह रैली सफल होती हैं, जो होना ही है। तो इसका सारा श्रेय कल्पना सोरेन को ही जायेगा। इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं, क्योंकि जिस प्रकार से वे अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रही हैं। हेमन्त सोरेन के जेल जाने के बाद उनके कार्यों को धीरे-धीरे गति दे रही है। उससे झामुमो कार्यकर्ता भी दुगने उत्साह से झामुमो को और मजबूत करने तथा बेहतर बनाने में लग चुके हैं।