आदिम जनजाति के लोग आये थे मदद मांगने और मिल गई CM हेमन्त सोरेन की ओर से VVIP ट्रीटमेंट
कल देर रात आदिम जनजातियों का एक प्रतिनिधिमंडल अचानक सीएम आवास पहुंच गया। इस प्रतिनिधिमंडल में रामपृत कोरबा, महेन्द्र कोरबा, नारायण कोरवा, रामचन्द्र कोरवा, और लालमन कोरवा मौजूद थे। ये सभी लोग पारसपानी खुर्द, थाना धुरकी, जिला गढ़वा के रहनेवाले लोग थे। इन लोगों का कहना था कि वन भूमि में रह रहे जमीन की बंदोबस्ती उनके बीच कर दी जाये ताकि उनका जीवन बेहतर ढंग से कट सकें।
वे अपने साथ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम एक पत्र भी लाये थे, जिसमें उन्होंने लिख रखा था कि उनके पूर्वज पारसपानी खुर्द, थाना धुरकी, जिला गढ़वा के रहनेवाले हैं। वे वर्षों से जंगल पहाड़ों के बीच रहकर वनभूमि में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण के साथ-साथ सरकारी जमीन एवं जंगल की देखभाल भी करते आ रहे हैं।
फिलहाल स्थिति यह है कि उनका पूरा समुदाय विलुप्त होने के कगार पर है। राज्य सरकार आदिम जनजातियों की बेहतरी और उनकी संरक्षा के लिए बेहतर काम भी कर रही है, ऐसे में उनके साथ गलत क्यों हो रहा? अतः मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से अनुरोध है कि उनकी पूर्वजों द्वारा जोत-कोड़ कर खेती के लायक किये गये जमीन पर उन्हें खेती करने की जमीन बंदोबस्त की जाये।
लोग बताते है कि जैसे ही आदिम जन जातियों के प्रतिनिधिमंडल का दल सीएम आवास पहुंचा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को इनकी चिन्ता हुई, कि इस ठंड में ये रात कहां बितायेंगे, इनके भोजन-पानी की क्या व्यवस्था की जाय? तभी वहां उपस्थित अधिकारियों सीएम हेमन्त सोरेन की इस चिन्ता को महसूस कर जिला प्रशासन को इनके खाने-पाने और रहने की व्यवस्था, वह भी भीभीआइपी तरीके से करने का आदेश जारी किया, ताकि ठंड के प्रभाव से इन्हें रांची में रहने में कोई दिक्कत न हो। बताया जाता है कि सीएम हेमन्त सोरेन के आदेश से इन्हें सर्किट हाउस में ठहराया गया और सुनिश्चित की गई कि इन्हें कोई दिक्कत नहीं हो, साथ ही उनकी समस्याओं के निराकरण की भी व्यवस्था कर दी गई।
राजनीतिक पंडित बताते है कि अब तक सरकार ने आदिम जन-जाति के बारे में केवल ढपोरशंखी घटनाएं ही की, पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने आदिम जनजातियों के लिए भीभीआइपी ट्रीटमेंट की व्यवस्था की, अगर सचमुच इस प्रकार की सोच डेवलप हो गई, तो समझ लीजिये हेमन्त सोरेन को आनेवाले समय में शायद ही कोई चुनौती दे पायेगा?