कहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नाराज तो नहीं!
झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को अचानक आज दिल्ली बुलाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुलाकात हो गई है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में चल रही विकासात्मक योजनाओं की रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपी हैं। कुछ दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रांची आये थे, अमित शाह का शाही स्वागत मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कराया था, तथा अमित शाह जहां-जहां और जिससे-जिससे मिले, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐसी व्यवस्था कर दी, कि उनके विरोधियों और सत्य का सहारा लेनेवालों की एक न चली। यहां तक की आरएसएस कार्यालय में भी व्यापारी स्वयंसेवकों को हर प्रकार से संतुष्ट कर रघुवर दास ने अपनी सेंधमारी कर दी।
इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास की आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की बात करें तो कैमरा झूठ नहीं बोलता। मुख्यमंत्री रघुवर दास कुछ ज्यादा ही हंस रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री के चेहरे से हंसी गायब हैं। शायद उन्हें पता चल चुका है कि झारखण्ड उनके हाथ से निकल चुका हैं और सामने बैठा व्यक्ति उन्हें शायद कुछ ज्यादा ही मुर्ख बना रहा है। प्रधानमंत्री के चेहरे पर तमतमाहट और आक्रोश के चिह्न साफ दिखाई पड़ रहे हैं। इस फोटो को देख सामान्य व्यक्ति भी अंदाजा लगा सकता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विश्वसनीयता खो दी है, और इस विश्वसनीयता को पुनः बहाल कर पाना आनेवाले समय में उनके लिए संभव नहीं।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया, पर इतना जरुर किया कि विज्ञापन के नाम पर राजस्व का खुब चूना लगाया। निवेश के नाम पर राज्य में कुछ भी नहीं हुआ और न ही कालांतराल में कोई अच्छी कंपनियां राज्य में निवेश को इच्छुक हैं, पलायन और गरीबी ने आज भी राज्य की जनता का बुरा हाल कर रखा है, जो व्यापार सुगमता सूचकांक में राज्य तीसरे स्थान पर था, अब वह लुढ़क कर सातवें स्थान पर आ गया। विधि व्यवस्था का हाल यह है कि भाजपा के एक नेता का बेटा का अपहरण हो चुका है और पुलिस उसके बेटे को अभी तक अपहरणकर्ताओं से मुक्त नहीं करा पायी हैं। राजधानी रांची में लूट-पाट तो आम बात हो गई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की मुलाकात क्या असर दिखाती हैं? आम जनता देखना चाहेगी। अगर सामान्य जनता की बात करें, तो मुख्यमंत्री के रुप में अब रघुवर दास को झारखण्ड की जनता देखना पसंद नहीं करती, पर राज्य के अखबारों व चैनलों के प्रधान संपादकों और मालिकों की पहली पसंद रघुवर दास ही बन चुके हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इनके रहने से ही उनकी दुकानदारी जमकर चलेगी, इसलिए वे “रघुवर शरणम् गच्छामि” का मूल मंत्र जपने में ज्यादा समय बिता रहे हैं।
Respected babulal g ko vapas laen..bjp..govt..bana legi…