PM महाशय, विकास का असली चेहरा, उड़ता हाथी, भूख से हो रही मौत देखने हेतु झारखण्ड पधारें…
धीरे-धीरे झारखण्ड में हो रहे विकास का पोल खुलता जा रहा है। हाथी उडानेवाले मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी टीम हाल ही में जापान, चेक गणराज्य का दौरा कर के लौटी है, और इधर झारखण्ड में भूख से बेहाल लोग, फेल हो रही सिस्टम के शिकार हो रहे हैं, तथा अनाज नहीं मिलने के कारण भूख से दम तोड़ रहे हैं। कभी उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान इलाहाबाद की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि विकास देखना हो, तो झारखण्ड जाइये। मैं भी कहता हूं कि हां, विकास का असली यानी वीभत्स चेहरा देखना है, तो झारखण्ड आइये। यहां देखिये, कि कैसे एक मुख्यमंत्री कानून की धज्जियां उड़ाता हुआ, बिना हेलमेट के सड़कों पर, वह भी बिना हेलमेट पहने काफिले के साथ जमशेदपुर की सड़कों पर मस्ती कर रहा होता है।
आकर देखिये कि कैसे, सिमडेगा की 11 वर्षीयां संतोषी भात-भात चिल्लाती हुई दम तोड़ देती है। देखिये कि धनबाद में एक रिक्शा चालक दम तोड़ देता है, और उसके घर में एक अनाज का दाना तक नहीं मिलता। देखिये कि कैसे इन सभी घट रही घटनाओं को दबाने के लिए पूरा प्रशासन लग जाता है, इसके लिए वह अखबारों व चैनलों तक को मैनेज करता है। देखिये कि मरने के बाद स्थानीय प्रशासन के उच्चाधिकारी, कैसे मृतक के परिवारों को पचास हजार और बीस हजार रुपये देने का ढोंग करते हुए फोटो खिंचाते है। देखिये कि एक बीपीएल परिवार को कैसे कभी आधार कार्ड के नाम पर, कभी राशन कार्ड नहीं रहने के नाम पर उन्हें अनाज से वंचित कर दिया जाता है। देखिये यहां कैसे एक पिता अपने बच्चे के शव को अपने कंधों पर ढोता है। देखिये, कैसे एक बच्चा केवल एक रुपये की दवा नहीं मिलने के कारण मलेरिया से दम तोड़ देता है। देखिये, कैसे मोबाइल की रोशनी में यहां प्रसव कराया जाता है। देखिये, कैसे एक मां अपने बच्चे को सड़क पर ही जन्म दे देती है और उसे एंबुलेंस तक नहीं मिलती। देखिये कि कैसे एक गरीब डीसी, बीडीओ यहां तक कि रांची स्थित मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र तक जाकर, मुख्यमंत्री के पास घिघियाता है, फिर भी उसकी नहीं सुनी जाती। ये विकास का नमूना है।
देखिये, कैसे संघ और भाजपा के लोग एक व्यक्ति विशेष का चेहरा चमकाने के लिए दूसरे दलों से आये लोगों को, सिर्फ धन और अपनी झूठी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपना जमीर बेच रहे है। सचमुच विकास बहुत तेजी से आगे बढ़ता जा रहा हैं। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और कनफूंकवों का समस्त परिवार तेजी से विकास कर रहा हैं, और राज्य की जनता भूख से बेहाल है, सचमुच विकास के पैमाने में झारखण्ड बहुत तेजी से आगे निकल गया। विकास, झारखण्ड सरकार के विज्ञापनों में खुब दीख रहा है, और जमीन पर किसान आत्महत्या कर रहा है। वाह रे विकास, वाह रे विकास की दुहाई देनेवाले, तुम्हें शर्म तक नहीं आ रही।
विकास को चुनौती देनेवाले संतोषी के परिवार पर हमले तक किये जा रहे है, संतोषी की मां कोयली देवी पर आरोप लगाया जा रहा हैं कि उसने गांव का नाम खराब कर दिया। गांव के दबंग उस पर हमले करवा रहे हैं, पर चलिये खुशी इस बात की है कि इस ज्वलंत मुद्दे पर प्रशासन सजग है, वह कोयली देवी को सुरक्षा देने में कोताही नहीं बरत रही। इधर धनबाद के झरिया में बीमार रिक्शाचालक की मौत हो गयी। घर में उसका अनाज नहीं था। रिक्शाचालक की मौत के बाद, प्रशासन के लोगों ने मृतक के परिवार को 20 हजार रुपये थमाया है, पर यहीं प्रशासन जब रिक्शाचालक जिंदा था, जब वह तीन साल से अपने राशन कार्ड बनवाने के लिए उनके चौखट पर नाक रगड़ रहा था, तब उसकी सुध नहीं ली और न ही राशन कार्ड बनवाया।
मेरा मंतव्य है कि जिस राज्य का मुख्यमंत्री या खाद्य आपूर्ति मंत्री या मुख्य सचिव के शासनकाल में गरीबों, निर्धनों, मजलूमों का ये हाल है, और लोग भूख से मर रहे हो, तब उनका धर्म बनता है कि वे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दें, पर जिनके पास जमीर होता है, वहीं नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देते हैं, बाकी तो यहीं कहते हैं कि गरीब और मौत की तो यारी है, ये तो मरने के लिए ही पैदा होते है और मुख्यमंत्री, खाद्यआपूर्ति मंत्री और मुख्य सचिव तो चांदी की चम्मच हाथ में लेकर पैदा होते हैं। इनका काम है शासन करना, आनन्द लेना, जब तक जिंदा हैं, जनता के पैसे से ऐश करना और गरीब जनता का काम हैं, इनकी जी-हुजूरी करते-करते दम तोड़ते रहना। चलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि विकास देखना है, तो झारखण्ड जाइये, तो भाइयों जो झारखण्ड में है, वो तो विकास देख ही रहे हैं, जो नहीं देखे हैं, उन्हें झारखण्ड बुलवाइये और यथाशीघ्र उन्हें सिमडेगा और धनबाद पहुंचाइये…