साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जायेगा, मिलकर बोझ उठाना…
बिहार में बाढ़ से भारी तबाही हुई है, लोगों के जान-माल को भारी नुकसान पहुंचा हैं, फिलहाल भोजन और रहने के ठिकानों ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है, पर इस भयानक प्राकृतिक आपदाओं के बीच भी मानवीय गुणों का प्रवाहित होता अद्भुत संसार भी दीख रहा हैं। मोतिहारी निवासी वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडेय ने जिस प्रकार से इस प्राकृतिक आपदा को आम जनता और सरकार के बीच रखा, उसी प्रकार उनलोगों पर भी इनकी नजर पड़ीं, जो इस प्राकृतिक आपदाओं में देवदूत बनकर आये और लोगों की सेवा में जुट गये।
इसी बीच कई लोग ऐसे भी हैं, जो इस भयानक प्राकृतिक आपदाओं में भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे, उन्हें अपनी 27 अगस्त की पटना में आयोजित रैली को सफल बनाने में ही ज्यादा ध्यान हैं, जबकि फिलहाल जो लोग अभी प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हैं, उनमें ज्यादातर वे ही लोग हैं, जिनका वे दावा करते हैं कि ये उनके वोटर हैं, सभी दलित-पिछड़ों का समूह बांट जोह रहा हैं कि उनका भाग्य विधाता राजद नेता सब कुछ छोड़कर उनके पास आयेगा, उसकी मदद करेगा, पर इन सबसे दूर राजद के छोटे से लेकर बड़े नेता, राजद की रैली में लगे हुए है, रैली का नाम हैं – भाजपा भगाओ, पर इन्हीं में से कई नेता हैं कि अपनी होर्डिंग्स में भाजपा बचाने की भी बात कर रहे हैं, जरा इस होर्डिंग्स को देखिये, कि कैसे एक लालटेन पकड़नेवाला राजद नेता भाजपा बचाओ की बात कर रहा हैं।
जिन्हें भाजपा बचाना है या भाजपा को भगाना हैं, वे समझे, पर मोतिहारी में बहुत सुंदर ही नजारा देखने को मिल रहा हैं। चंद्रभूषण पांडे अपने फेसबुक के माध्यम से बता रहे हैं कि मोतिहारी में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो निकल पड़ें हैं, सामाजिक दायित्वों का निर्वहण करने के लिए, बहुत सारे ऐसी सामाजिक संगठन हैं जो सारे बंधनों को तोड़कर निकल पड़े हैं, उन लाखों भूखों के बीच भोजन लेकर, जिनकी फिलहाल अंतिम आवश्यकता भोजन प्राप्त करने की हैं।
पटना में रह रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता हरेन्द्र प्रताप भी बिहार के बाढ़-पीड़ित इलाकों में घूम रहे हैं, इधर सरकार ने भी अपनी दायित्व को निभाने में एड़ी-चोटी लगा दी हैं। सुनने में आ रहा हैं कि बिहार के बाहर के लोगों ने भी बिहार के इस स्थिति पर राहत सामग्रियों के साथ बिहार पहुंचने की तैयारी में हैं, सचमुच अभी बिहार को बचाने की जरुरत हैं, इँसानियत को बचाने की जरुरत हैं। आइये मिलकर जो लोग बिहार में बाढ़-पीड़ितों के लिए निकल पड़े हैं, उनका अभिनन्दन करें, मनोबल बढ़ाये।
एक नहीं अनेक संगठन कुद पड़े हैं, बाढ़पीड़ितों के बचाव के लिए, जैसे रोटरी क्लब, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मोतिहारी, सामाजिक शोध एवं विकास केन्द्र मेहसी और सेना के जवानों ने तो गजब ढा दिया हैं, सचमुच भारतीय सेना विश्व की महानतम सेनाओं में से एक हैं, जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा, वहां भी पहुंचकर बाढ़पीड़ितों को बचाने के साथ – साथ भोजन भी उपलब्ध करा दिया।
चंद्रभूषण पांडेय बताते है कि कल रविवार को चॉपर से 8000 राहत भोजन पैकेट पूर्वी चंपारण में गिराया गया। करीब 25 संगठनो ने भी भोजन पॉकेट बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में वितरित किया। थल सेना के 200 जवान वायु सेना और एनडीआरएफ के चार बटालियन राहत कार्यों में पिछले चार दिनों से लगे है।