अपनी बात

पीएम मोदी ने चीन को दिया नया नाम कहा “विस्तारवादी” चीन ने दी तीखी प्रतिक्रिया, कहा आरोप निराधार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन को इशारों-इशारों में बता दिया कि जिस देश ने भी विस्तारवाद की नीति अपनाई, वो दुनिया से मिट गया। अपनी आदत के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुरी दुनिया को चौंकाया और वे वहां पहुंच गये, जहां किसी ने कल्पना नहीं की थी, यानी 11 हजार फीट की उंचाई पर भारत-चीन सीमा पर स्थित लद्दाख के नीमू में फारवर्ड लोकेशन पर।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नीमू आने और वहां जवानों से मिलने, तथा उनके वहां भाषण देने पर चीन के पसीने छूटे हैं, उसने तीखी प्रतिक्रिया भी दी है, उसका कहना है कि उसके देश को विस्तारवादी देश बताने का कोई आधार नहीं हैं, जबकि सच्चाई यह है कि विश्व के कई देश उसके विस्तारवादी षडयंत्रों के शिकार है, जिसमें कई देश शिकार हैं, कुछ देश तो चीन के कर्ज में इस प्रकार डूब गये हैं कि वे उसके आगे बिछ चुके हैं, उनकी हिम्मत भी नहीं कि वे चीन के आगे उठ सकें, उसी में शामिल हैं पाकिस्तान और श्रीलंका।

इन दोनों देशों ने तो अपने बंदरगाह तक चीन को सौंप दिये हैं, पाकिस्तान ने तो पाक अधिकृत कश्मीर के कुछ इलाके बजाप्ता चीन को गिफ्ट तक कर दिये हैं। चीन चाहता है कि जैसे उसकी घटिया सोच के आगे कुछ देश नतमस्तक हैं, ठीक उसी प्रकार भारत भी उसके आगे नतमस्तक हो जाये। चीन के इस घटिया सोच यानी मनोबल बढ़ाने में भारतीय राजनीतिज्ञों व यहां के व्यवसायियों का भी बड़ा हाथ हैं, क्योंकि इनलोगों ने भारतीयों के पास कोई विकल्प ही नहीं रखा और भारत को चीन के आगे बाजार के रुप में पेश कर दिया।

जिसका फायदा चीन ने उठाया और भारतीयों के पैसों से ही भारतीय सैनिकों के छाती को छलनी करने, साथ ही भारतीय भू-भाग को हड़पने की दिमाग लगा दी, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि इस बार उसका सामना नरेन्द्र मोदी जैसे दिग्गज से हैं, जो अपने साथ, अपने समकक्ष को झूले पर बिठाकर झूलाना जानता हैं तो उसकी सारी दिमाग के फितूर को भी निकालना जानता है, शायद चीन को नहीं पता कि उसने कितनी बड़ी भूल कर दी हैं।

भारत के साथ युद्ध का खाका तैयार करने वाला चीन कितना बड़ा अपना नुकसान अब तक कर चुका है, शायद उसे पता नहीं, आज उसके साथ सिर्फ पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश ही उठक-बैठक करने को तैयार है, जबकि विश्व के कई संपन्न व सामान्य देश फिलहाल भारत के पक्ष में हैं।

इधर नरेन्द्र मोदी के हौसले बुलंद है, क्योंकि कई सालों के बाद देश की जनता चीन को उसकी औकात बताने के लिए बेचैन हैं, वे सदा के लिए चिक-चिक ही बंद करना चाहते हैं, वे बता देना चाहते है कि चीन को किसी भी प्रकार की गलतफहमी नहीं रहना चाहिए। ऐसे भी पिछले दिनों की भारतीय सैनिकों के खाये हाथ चीनी सैनिकों और वहां की सरकार को याद ही होगा।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा कि अब विस्तारवाद नहीं, बल्कि विकासवाद चलेगा और अगर किसी ने विकासवाद को चुनौती दी, तो वह इतिहास के पन्नों से मिटने को भी तैयार रहे। एक तरह से प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को यह संदेश दे दिया कि चीन जैसे देश विश्व शांति के लिए खतरा है। उन्होंने चीन का नाम तो नहीं लिया, पर इशारों में सब कुछ कह दिया और कहा कि अपने हरकतों से बाज आये चीन, नहीं तो इतिहास में सिमटने के लिए तैयार रहे।

उन्होंने अपने भाषण से दुनिया को संकेत में अपने इरादे बता दिये और कहा कि भारत बांसुरीवाले श्रीकृष्ण और सुदर्शन चक्र धारण करनेवाले श्रीकृष्ण दोनों को समान भाव से अपना आदर्श मानता है। उन्होंने जवानों के मनोबल और उत्साह को बढ़ाया और कहा कि आप उसी धरती के वीर हैं, जहां की धरती ने आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पुरी दुनिया ने आपके अदम्य साहस को देखा है, आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर गाई जा रही है, भारत के दुश्मनों ने आपके अंदर की फायर और फ्यूरी दोनों देखी हैं।