राजनीति

2019 में पीएम मोदी की सारी गलतफहमी दूर करने के लिए जनता इस बार तैयार

जो व्यक्ति अपनी ही पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं को सम्मान नहीं देता, जिस व्यक्ति को लाल कृष्ण आडवाणी ने सर्वाधिक सम्मान दिलाया और वह व्यक्ति लाल कृष्ण आडवाणी को ही पग-पग पर अपमान के घूंट पिलाये, डा. मुरली मनोहर जोशी तथा अन्य सुप्रतिष्ठित नेताओं की एक नहीं सुनता, वह राहुल गांधी या विपक्ष को क्या और क्यों सम्मान देगा? कांग्रेस के लोगों या विपक्ष के लोगों ने यह सोच भी कैसे लिया कि वह कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नई दिल्ली के गणतंत्र दिवस समारोह में अग्रिम पंक्ति में स्थान दिलायेगा, ठीक उसी प्रकार जैसे कभी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव गांधी ने भाजपा के पास अपने नेता को राज्यसभा में लाने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी को निर्विरोध राज्य सभा में ससम्मान बुलवाया।

अरे भाई, ये सामान्य सी शिष्टाचार है कि सम्मान वहीं देता है, जो सम्मान के महत्व को समझता हो, वह तो अभी घमंड में फूला है कि वह भारत का प्रधानमंत्री है, उसे तो इस बात का भी घमंड है कि जब भी लोकसभा के चुनाव होंगे तो वहीं सत्ता में आयेगा, ठीक उसी प्रकार जैसे कभी अटल बिहारी वाजपेयी को 2004 में फील गुड हुआ था और जब चुनाव के परिणाम आये तो क्या हुआ? वह सबको पता है।

फिलहाल पूरा देश जान रहा है कि प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में भारी कमी आई है, और उनकी लोकप्रियता में गिरावट बहुत तेजी से हो रही हैं, उन्हें गुजरात के चुनाव ने इस बात का ऐहसास दिला दिया है कि कल तक मोदी-मोदी चिल्लानेवाली भीड़, अब मोदी-मोदी नहीं चिल्लाती, और आनेवाले समय में यही भीड़ पुछेगी कि भइया मोदी, बताओ, काला धन कहा हैं?  बताओ काला धन जमा करनेवालों की लिस्ट कहा है? बताओ कितने लोगों को नौकरी दी? कितनी महंगाई कम की है? विजय माल्या कब तक आयेगा?  टूजी-टूजी चिल्लानेवाले, टूजी का क्या हुआ?  पाकिस्तान को क्या जवाब दिया? डोकलाम में चीन ने निर्माण कैसे कर लिया? धारा 370 का क्या हुआ? राम मंदिर का क्या हुआ? वर्तमान में भारत के विकास दर अब तक के निचले पायदान पर कैसे चला गया, कौन है इसका जिम्मेदार?  और संभव है कि इसका जवाब प्रधानमंत्री के पास नहीं हैं।

इनकी हरकतों से तो सीमा पर तैनात जवान भी हैरान और परेशान है, उसके वेतन में कटौती की जा रही है, चुपके से उसके भोजन पर वार किया जा रहा है, पर इसको इससे क्या मतलब? इन्हें तो अडानी और अंबानी की चिंता हैं, क्योंकि आनेवाले लोकसभा चुनाव में अडानी और अंबानी ही सत्ता की बागडोर सौंपेंगे, जनता तो मूर्ख है, वो तो मोदी-मोदी चिल्लायेगी, पर शायद पीएम मोदी को नहीं पता कि जनता निर्णय ले चुकी है, और 2019 में मोदी की विदाई की तैयारी के लिए कमर कस ली है।

 

रही बात नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में राहुल गांधी को छठी पंक्ति में बैठाकर उन्हें अपमानित करने की, तो बस सवा साल इंतजार करिये, पीएम मोदी को भी यह गुमान खत्म हो जायेगा कि जनता ने उन्हें 2020 में उन्हें किस पंक्ति में बैठाने का निर्णय लिया है।