राजनीति

PM मोदी ने पटना में कहा, हम आतंकवाद खत्म करने में लगे और महामिलावटी गठबंधन के नेता उन्हें ही खत्म करने में लगे हैं

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित एनडीए की संकल्प रैली में उमड़े जनसैलाब को देख, जनता की नब्ज पकड़ने में माहिर पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रुप से कह दिया कि वे एक ओर देश से आतंकवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी, कालाधन, कुपोषण, गंदगी को मिटाने में लगे हैं, और महामिलावटी गठबंधन के लोग उन्हें ही खत्म करने में ज्यादा दिमाग लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वे चाहते है कि देश विश्व में नई ऊचाइयों को प्राप्त करें और वे मोदी को ही रास्ते से हटा देने में लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात का आभास है कि बिहार और देश की जनता ने एक बार फिर संकल्प ले लिया हैं कि ऐसे नेताओं और उनकी पार्टियों को एक बार फिर सजा देंगे और फिर से देश में एनडीए का शासन होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व में भारत की धाक हैं, भारत को सम्मान की नजरों से देखा जाता है, उन्होंने जनता से सवालिया लहजे में कहा कि क्या ये गर्व की बात नहीं कि इस्लामिक देशों की बैठक में, वह भी पचास सालों के बाद ऐसा हुआ की भारत को अपनी बात रखने का मौका मिला, क्या ये गर्व, आनन्द और अभिमान का बोध नहीं कराता। पीएम मोदी ने कहा कि क्या इस सवाल का जवाब महामिलावटी गठबंधन के पास है कि उन्होंने इतने सालों में ऐसा गर्व का पल आये, ऐसा काम उन्होंने किया।

उन्होंने जनता के बीच एक प्रमाण दिया, कि हाल ही में सउदी अरब के क्राउन प्रिंस दिल्ली आये, उन्होंने उनसे कहा कि आप हमारे देश के मुस्लिम भाइयों को हज जाने का कोटा बढ़ाइये, आज वह कोटा बढ़कर दो लाख हो गया, क्या ये बात नहीं बताता कि आज भारत की आवाज सुनी जा रही है।

उन्होंने दुसरा प्रमाण दिया कि जब उन्होंने सउदी अरब के क्राउन प्रिंस से ये कहा कि सउदी अरब में जाकर काम करनेवाले ज्यादातर लोग गरीब तथा मुस्लिम परिवारों से आते है, जो सउदी अरब जाकर वहां के कानूनों को नही जानते, जिस कारण छोटीछोटी गलतियों के कारण वे वहां की जेलों में बंद है, आप उन्हें ऐसा करें कि जल्द से उनके केसों को सुनकर, उन्हें रिहा करवाने का प्रबंध करें, सउदी अरब के क्राउन प्रिंस ने उसी दिन शाम को भारत के 850 कैदियों को छोड़ने का ऐलान कर दिया। क्या ये गर्व की बात नहीं।

पीएम मोदी ने कहा कि दरअसल महामिलावटी गठबंधन और कांग्रेस के तमाम लोगों ने अपने या अपने परिवारों के लिए राजनीति की, तथा मोदी को गाली देने में ही सारा समय बिताया, जबकि हमने देश को आगे बढ़ाने में ज्यादा समय बिताया। पीएम मोदी ने देश के उन सभी नेताओं को जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक तथा हाल ही में पुलवामा घटना के बाद बालाकोट, मुजफ्फराबाद में हुए एयर सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने की कोशिश की, उनकी कड़ी आलोचना की तथा जनता से इन सारे नेताओं की शिकायत की।

उनका कहना था कि आज ये सारे नेता पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं, और इनकी बाते पाकिस्तानी चैनलों पर प्रमुखता से दिखाये जा रहे है, क्या ये ऐसा कर हमारी सेना के मनोबल को नहीं तोड़ रहे, जिन भारतीय सेना के जवानों ने आंतकियों के मनोबल को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा जिनसे उन्होंने चुनचुनकर बदला लिया, उन सैनिकों के द्वारा किये गये कार्यों का सबूत मांगना, आखिर क्या बताता है? पर हमारे देश के नेताओं को शर्म नहीं आती, जबकि इस समय देश की मांग एकता थी, हमारे स्वर एक होने चाहिए थे, पर ये यहां भी सैनिकों के मनोबल को तोड़ने में आगे रहे।

उन्होंने कहा कि इस समय जब हमें पूरी तरह से एक होना चाहिए था, देश के विरोधी दल और उनके नेता ऐसी हरकत कर रहे थे, जिससे पाकिस्तान का मनोबल बढ़ रहा था, उनके चैनल इन नेताओं के बयान दिखाकर भारतीय सेना के पराक्रम पर सवाल उठा रहे थे। इसके पूर्व पीएम मोदी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में किये गये कार्यों को जनता के समक्ष रखा, सभा को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी संबोधित किया।

पटना में आयोजित एनडीए रैली में आई भीड़, फिलहाल एक संकेत तो दे चुकी कि यहां बिहार में एनडीए का पलड़ा भारी है, अब आनेवाले समय में महागठबंधन इस रैली का जवाब किस प्रकार देता हैं, राजनीतिक पंडितों का ध्यान, उसी ओर है। फिलहाल, आज की रैली में आई भीड़ को देख, पीएम मोदी जरुर गदगद हो गये होंगे तथा उनके दिल के कोने से ये जरुर आवाज आई होगी, घबराना नहीं मोदी, एक बार फिर दिल्ली की कुर्सी तुम्हारे लिए सुरक्षित है। 

नीतीश कुमार तो पहले से ही गदगद थे, और इसी गदगद में उन्होंने गांधी की सप्त सामाजिक पाप की खूब विवेचना की, पर उनमें से प्रथम, सिद्धांत की राजनीति की बात पर आम जनता से ही आवाज आई, जातिवाद की राजनीति करनेवाले को ये सब बात नहीं बोलनी चाहिए क्योंकि गांधी की आत्मा को दुख होता है, पूर्व में एनडीए को छोड़, लालू के गोद में बैठने की कला सीखकर, गांधी के सिद्धांत की राजनीति की बात करना नीतीश कुमार को शोभा नहीं देता।