CM रघुवर दास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तेली बताया तथा मोदी की तुलना चंद्रगुप्त से कर दी
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में तेली समाज द्वारा आयोजित अखिल भारतीय तैलिक साहू महासभा को संबोधित करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि अगर भारत को किसी ने विशेष पहचान दिलाई तो वह तेली समाज में जन्मे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिलवाई। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री की तुलना चंद्रगुप्त तक से कर दी। उनके पूरे भाषण में तेली समाज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस समाज से जुड़ा रहना ही छाया रहा। उन्होंने सभी से कहा कि इस प्रकार का आयोजन केवल राष्ट्रीय स्तर तक ही न हो, बल्कि प्रखण्ड, जिला एवं प्रदेश स्तरीय पर हो, ताकि अपना तेली समाज सर्वश्रेष्ठ समाज बन सकें।
उन्होंने तेली समाज को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप सही मायनों में आरक्षण का लाभ लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने समाज को शिक्षित करिये। हम आपको बता दे कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास तेली समाज से आते हैं, और उनको इस बात का हमेशा से गर्व रहता है कि वो तेली है, इसलिए जहां भी तेली समाज का कार्यक्रम होता है, चाहे यह कार्यक्रम महाराष्ट्र में हो या दिल्ली या छत्तीसगढ़, सभी जगह पहुंचते हैं।
आप सभी को यह भी जान लेना चाहिए कि रघुवर दास ऐसी पार्टी से आते है, जो पार्टी जातिविहीन समाज की पक्षधर रही है, इसके नेता चाहे पं. दीन दयाल उपाध्याय हो, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हो, अटल बिहारी वाजपेयी हो या लाल कृष्ण आडवाणी, सभी इस प्रकार की जाति सूचक रैलियों से स्वयं को अलग रखे। पं. दीन दयाल उपाध्याय तो जातिगत आधार पर चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया था, पर ये अब नई भाजपा है, आज उसके नेताओं को जातिगत रैली में जाने पर गर्व महसूस होता है, यानी कल तक लालू यादव को यादवों के नेता कहनेवाली भाजपा को अब बोलने का नैतिक आधार ही नहीं रहा, क्योंकि उसके नेता अब खुद ही अपने आपको तेली समाज का नेता कहलाने पर गर्व महसूस कर रहे हैं, ऐसे में इस देश का क्या भला होगा? भगवान ही मालिक है।
अतीत के पन्ने उलटिये, हमारे देश के नेताओं ने कभी भी जाति की राजनीति नहीं की, आप बाबा साहेब अंबेडकर को ही ले लीजिये, वे जिस जाति से आते थे, कभी उस जाति की रैली नहीं की, वे तो संपूर्ण दलित समाज के लिए जब तक जिंदा रहे, उस समाज के लिए करते रहे, जिस भामा शाह का नाम लेकर झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास गर्व महसूस करते रहे, शायद उनको नहीं पता कि उस भामा शाह को दूसरे जाति के लोग भी, अपना मानकर उन पर गर्व महसूस करते हैं, जिन भामा शाह ने महाराणा प्रताप की राष्ट्र भक्ति के आगे अपना सर्वस्व लूटा दिया, आज उस भामा शाह को, उस राष्ट्र नायक भामा शाह को तेली समाज से सिर्फ जोड़ देना, क्या उनकी विशालता एवं दानवीरता को कम करना नहीं है।
अब सवाल भाजपा के वरीय नेताओं तथा संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवकों से, क्या आप ऐसा ही समाज बनाना चाहते है, जहां जातिगत रैलियों में आपके नेता जाये, और गर्व महसूस करें, अगर आपने ऐसा शुरु किया है तो फिर लालू प्रसाद यादव पर जाति की राजनीति करने का दोष क्यों लगाते हैं? आप तेली की राजनीति करें तो बढ़िया और लालू प्रसाद, यादवों की राजनीति करें, तो गलत कैसे?
नरेन्द्र मोदी को तेली बताकर गर्व करनेवाले, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास क्या बता सकते है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद को तेली समाज का प्रतिनिधि बताकर देश से 2014 में वोट मांगा था क्या? अगर नहीं तो इस प्रकार की रैली में, नरेन्द्र मोदी को जोड़ना, क्या संकेत देता है? हमारा मानना है कि देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को इस प्रकार की राजनीति से दूर रहना चाहिए, नहीं तो देश जातिवाद के चक्कर में अपनी अस्मिता, अपनी संस्कृति खो देगा।
आइये हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि सत्ता में बैठे, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को सदबुद्धि आये और वे इस प्रकार की राजनीति से दूर होकर, भारत माता के असली लाल कहलाने में ज्यादा गर्व महसूस कर सकें तथा वे अपने कृत्यों से ऐसे समाज की रचना करें, जहां सिर्फ भारतीयता हो, जहां हृदय में भारतीयता के रंग हो, जहां जातीयता का मतलब भारतीयता हो, जहां के नेता भारतीयता की रैली कर गर्व महसूस करते हो।
हमारे देश के वर्तमान नेता जो जातीयता में विश्वास रखते है, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस देश को महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पं. नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे असंख्य भारतीयता से ओत-प्रोत महापुरुषों ने अपने रक्त से सींचा है, इस भारत रुपी बगिया को सुंदर बनाने की कोशिश करें, न कि अपनी गतिविधियों से इस सुंदर बगिया को ही आप विध्वंश कर दें।