झारखण्ड में जिला स्तर पर पुलिस संगठन खोखले होते जा रहे हैं – पुलिस महानिदेशक
झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक कमल नयन चौबे का मानना है कि पुलिस प्रतिष्ठानों के निरीक्षण का समाप्त हो जाना, पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति एवं परेड का नगण्य हो जाना, बता रहा है कि जिला स्तर पर पुलिस संगठन खोखले होते जा रहे हैं। पुलिस महानिदेशक का यह भी मानना है कि वे विगत कुछ महीनों से झारखण्ड पुलिस से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सेवारत पदाधिकारियों व सेवानिवृत्त पदाधिकारियों से औपचारिक व अनौपचारिक बैठकोपरांत उपर्युक्त निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
उनका कहना है कि सरकार के वैसे उपक्रम तथा संस्थाएं जहां बड़ी तादाद में कर्मी काम करते हैं,वहां वार्षिक निरीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए संबंधित विभाग के वरीयतम पदाधिकारी भी इसे अत्यंत गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने स्वयं रेलवे में, केन्द्रीय बल तथा भारतीय सेना में वार्षिक निरीक्षण की गंभीरता को देखा है। इन निरीक्षणों की बदौलत ही अनुशासन तथा प्रशासन सुचारु रुप से चलता है,तथा विभिन्न संचिकाएं भी अद्यतन रहती है, जो संगठन को मजबूत करती है।
के एन चौबे का कहना है कि उन्होंने निर्णय लिया है कि थाना, पुलिस निरीक्षक, अनुमंडल तथा पुलिस अधीक्षकों के कार्यालयों के निरीक्षण की मृतप्राय व्यवस्था को पूर्णरुपेण जागृत करना है। नक्सल अभियान अथवा अपराध नियंत्रण के नाम पर व्यस्तता दिखाकर निरीक्षणों की अनदेखी नहीं की जा सकती। अगर निरीक्षण जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं की अनदेखी करते रहे तो आनेवाले वर्षों में एक खोखली पुलिस व्यवस्था नई पीढ़ी को विरासत में मिलेगी।
उन्होंने कहा कि उनके अनुरोध पर अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) अनिल पालटा ने पुलिस मैनुअल, पुलिस आदेश, उत्कृष्ट निरीक्षण टिप्पणियों के अध्ययन के पश्चात् विभिन्न संस्थाओं में बदलते हुए अपराधिक गतिविधि तथा आइटी युग में कई रजिस्टरों की उपयोगिता की समाप्ति को भी ध्यान में रखा गया है।
अनिल पालटा के द्वारा तैयार किये गये निरीक्षण संबंधी विस्तृत निर्देश सभी पदाधिकारियों को प्रेषित किये जा रहे हैं। आगामी आहूत पुलिस अधीक्षकों की बैठक में इन निर्देशों पर विस्तृत चर्चा की जायेगी, उसके बाद इसे कार्यान्वित करने के लिए पुलिस मुख्यालय से आदेश निर्गत किया जायेगा।