अपनी बात

अंत-अंत तक भाजपा भक्ति में लीन “प्रभात खबर” ने हेमन्त को नीचा दिखाने, महागठबंधन को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

भाजपा भक्तम्, मोदी प्रियम्, रघुवरसमक्षनतमस्तकम्, भाजपाकार्यकर्तायाः आनन्दवर्द्धनम्, भाजपाभजनगायकम् आदि पर्यायवाची शब्दों से विभूषित रांची से प्रकाशित अखबार “प्रभात खबर” ने चुनाव प्रचार के अंत-अंत तक अपने व्यवहारों से सिद्ध कर दिया कि उसकी भाजपा भक्ति का कोई विकल्प झारखण्ड में नहीं हैं।

इस अखबार ने भाजपा भक्ति के सारे रिकार्ड तोड़ डाले, मोदी-रघुवर के लिए तो इसने अपने हृदय के द्वार खोल कर रखें, पर बाकी विपक्षी दलों के लिए इसने अपने हृदय के कपाट खोलने में कंजूसी दिखाई। यहीं नहीं विपक्षी दलों को नीचा दिखाने तथा भाजपा को शिखर पर रखने में कोई कसर इसने नहीं उठा रखी थी।

उसका जीता जागता प्रमाण है – आज का अखबार। अखबार ने अपने प्रथम पृष्ठ पर हेमन्त सोरेन का बयान छापा है। हेडिंग है – हेमन्त ने मंच पर दिया विवादास्पद बयान, भाजपा ने आयोग से की कार्रवाई की मांग, हेमन्त और प्रियंका दोनों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग। अखबार ने हेमन्त का वह बयान भी छापा है, जिसको लेकर अखबार के द्वारा कहा गया है कि हेमन्त का बयान विवादास्पद है।

हेडिंग है – क्या कहा हेमन्त ने। समाचार जो प्रकाशित है, वह इस प्रकार है – “साहिबगंज जिले के बरहरवा प्रखण्ड क्षेत्र के गुमानी (पाकुड़ विधानसभा  सीट) में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मौजूदगी में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने बुधवार अपने भाषण में कहा, लोगों को मोदी नहीं, रोटी चाहिए। भाजपा और आजसू एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है। उनके पास लूटेरों का गिरोह चल रहा है। आज देश के अंदर बहू-बेटियों को जलाया जा रहा है। हमको पता चला है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी इधर चक्कर लगा रहे हैं। ये वो लोग है, भाजपा के लोग, जो शादी कम करते हैं, लेकिन गेरुआ वस्त्र पहन कर बहू-बेटियों की इज्जत लूटने का काम करते है। यूपी में बलात्कारी अस्पताल में आराम फरमा रहे हैं और पीड़िता को जेल में ठूंसा दिया जा रहा है। क्या ऐसे लोगों को वोट करेंगे, जो बहू-बेटियों की इज्जत लूटते हो।”

हेमन्त का यह बयान, स्पष्ट करता है कि उनका बयान सीधे-सीधे गेरुआ धारी भाजपा नेता एवं पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द तथा ऐसे कई नेता जो भाजपा में शामिल हैं और गेरुआ वस्त्र धारण कर संत-महात्माओं को बदनाम करते हैं तथा ऐसे लोगों का संरक्षण करते हैं, उनके खिलाफ था, पर प्रभात खबर ने क्या किया? अपनी ओर से हेमन्त के बयान को ही विवादास्पद करार दे दिया और रही बात भाजपा की तो उसकी तो आदत सी बन गई हैं, जो उनके खिलाफ हैं, वे सारे देशद्रोही है, जो उन्हें आइना दिखाये, वो भी देशद्रोही हैं, पर इन अखबारों को क्या हो गया, वे सच क्यों नहीं बोल रहे?

एक चैनल का पत्रकार है – नाम है, अर्णब गोस्वामी, जरा उसे देखिये, तेल मिर्च लेकर पिल पड़ा, हेमन्त और प्रियंका पर, और इसे हिन्दू कार्ड की तरह खेलना शुरु किया, भाजपा को लाभ मिले, इसको लेकर अपने चैनल पर चिल्लाना शुरु कर दिया। हिन्दू उभार पैदा करने के लिए, उसने हर प्रकार के हथकंडे अपनाए, तो भाई अर्णब और प्रभात खबर तुम क्या समझते हो कि सारे के सारे हिन्दू महामूर्ख है, या झारखण्ड के लोग मूर्ख हैं, उन्हें यह भी नहीं पता कि देश में क्या हो रहा हैं और कौन गेरुआधारी किस प्रकार की हरकतें कर रहा हैं? सच पूछो तो जो असली गेरुआधारी होता है, उसे राजनीति से क्या मतलब?

वो तो वैराग्य को पाकर आध्यात्मिक सुख में गोते लगाकर स्वयं को सुगंधित करते हुए पूरे वातावरण को आनन्दमय बना देते हैं, ऐसे कई गेरुआधारी तो रांची में ही हैं, जिन्हें इस प्रकार की झूठी दुनिया से कोई मतलब नहीं, और यहां कुछ गेरुआधारी ऐसे भी हैं, जो पहले थे कुछ  और आज जटाजूट बढ़ाकर बन गये संत। हमारे यहां ऐसे ही लोगों के लिए पंक्तियां हैं – “मन न रंगाये, रंगाये जोगी कपड़ा, दाढ़ी बढ़ाई, जोगी बन गये बकरा।” अब कही इस लोकोक्ति को कही उद्धृत करनेवालों को ऐसे अखबार व चैनल ये न कहने लगे कि ये भी विवादास्पद बयान हो गया।

हद हो गई। नाम प्रभात खबर। ध्येय वाक्य – अखबार नहीं आंदोलन और कर रहे हैं क्या तो रघुवर भक्ति, मोदी भक्ति, जो बयान विवादास्पद नहीं हैं, उसे भी विवादास्पद बयान करार दे रहे हैं और विपक्ष को धराशायी करने के लिए तिकड़म भिड़ा रहे हैं, अरे अखबारों और चैनलों को इससे क्या मतलब, सच लिखो, जनता निर्णय करें कि सच क्या है? आप न्यायाधीश क्यों बन रहे हो?

रांची में और भी कई अखबार हैं, उन्होंने भी इस समाचार को स्थान दिया हैं, पर उस प्रकार नहीं, जैसा कि प्रभात खबर ने किया। अखबार-चैनल समाचार प्रदाता ही रहे तो ठीक है, लेकिन झूठी खबरें और मिर्च मसाला लगाकर समाचार जनता के बीच परोसेंगे तो उनकी ही विश्वसनीयता समाप्त होगी, ऐसे भी इनकी विश्वसनीयता है कहां?

सभी को अपनी पत्नी और बच्चों के पालन-पोषण का भय सताता है। ये पराड़कर या विद्यार्थी बनने के लिए थोड़े ही आये हैं। ये तो शुद्ध व्यवसायी भी नहीं हैं, क्या हैं? उन्हें पता है, लेकिन दांत निपोड़ने की कला में महारत इन लोगों से सामान्य जनता मुंह लगाने से बचती है, वह भी यह कहकर की कीचड़ में हम ढेला क्यों फेंके? ऐसे भी प्रभात खबर बताएं कि भाजपा में ही शामिल जो झारखण्ड विधानसभा का चुनाव भी लड़ रहे हैं, शशिभूषण मेहता, ढुलू महतो और विरंची नारायण जैसे लोगों के बारे में क्या ख्याल है?