अपनी बात

प्रभात खबर व दैनिक जागरण ने भी ‘महापर्व छठ के अर्घ्य के समय’ को लेकर वही पाप किया है, जो दैनिक भास्कर ने किया

जिन-जिन छठव्रतियों अथवा छठव्रतियों के परिवार के लोगों ने दैनिक भास्कर ही नहीं, प्रभात खबर और दैनिक जागरण को भी पढ़कर कल अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया होगा। विद्रोही24.कॉम का दावा है कि उन सभी का अर्घ्य अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्राप्त नहीं हुआ होगा, क्योंकि कल के दिन यानी 27 मार्च को सूर्यास्त का समय ही 6.02 मिनट था।

ऐसे में जब सूर्य अर्घ्य के समय हमारे समक्ष, थे ही नहीं, तो यह शुभ मुहूर्त अर्घ्य देने का कैसे हो सकता था? हमने कल इसी बात को लेकर दैनिक भास्कर की जमकर खिंचाई की थी। पर आज जब कल यानी 27 मार्च को प्रकाशित दैनिक जागरण और प्रभात खबर अखबार, विद्रोही 24 ने पलटा तो उसमें भी वही गलती मिली, जो दैनिक भास्कर ने की थी।

अब तो रांची से प्रकाशित दैनिक जागरण और प्रभात खबर को भी बताना होगा कि उसके कहने पर जिन लोगों ने 27 मार्च को संध्याकाल में 6.02 मिनट पर अर्घ्य दिया होगा, वो अर्घ्य किसने प्राप्त किया होगा? और इस गलती के लिए, इस महापाप के लिए दोषी कौन है? हम रांची के सभी पाठकों से कहेंगे कि आप रांची से प्रकाशित दैनिक जागरण और प्रभात खबर को भी पलटिये, आप पायेंगे कि दैनिक भास्कर वाली गलती, इन दोनों अखबारों ने भी की हैं। सिर्फ रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार ने कल यानी 27 मार्च और आज यानी 28 मार्च को दिये जाने वाले भगवान भास्कर के अर्घ्य के समय को सही-सही छापा है।

रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर की तरह प्रभात खबर व दैनिक जागरण ने भी अपने अखबारों में जो प्रथम अर्घ्य का समय दिया हैं, वो गलत है। जैसे प्रभात खबर को देखिये, उसने लिखा है – अर्घ का समय – आज 27 मार्च को सूर्यास्त – शाम 6.02 बजे, कल सूर्योदय प्रातः 5.45 बजे। ऐसे में सवाल तो प्रभात खबर से भी पूछे जायेंगे कि जब सूर्यास्त का समय आप स्वयं लिख रहे हो कि 6.02 है तो फिर वो अर्घ देने का समय कैसे हो गया? सूर्योदय तो 28 मार्च को 5.46 पर होना है, तो अर्घ का समय 5.45 कैसे हो गया? यानी सूर्योदय के पहले ही लोग प्रभात खबर के अनुसार अर्घ्य दे दें।

अब दैनिक जागरण को देखिये उसने शुभ मुहूर्त संध्या अर्घ्य का 6.02 बजे दिया है। जबकि यह सूर्यास्त का समय हैं। जब सूर्यास्त ही हो जायेगा तो फिर ये अर्घ्य का समय कैसे हो गया? बाद में फिर वहीं नक्षत्र व योग की बात कर दी हैं, जबकि छठ को नक्षत्र व योग से कोई लेना देना नहीं। फिर सवाल यही उठता है कि जब आज के इस वैज्ञानिक युग में जहां राजधानी रांची में ही मौसम विभाग का कार्यालय कार्य करता है।

उससे भी ये लोग पूछ लेते कि रांची में छठ व्रत को लेकर सूर्यास्त का समय और सूर्योदय का समय क्या है और उसके आधार पर ये कह देते कि सूर्यास्त का समय ये हैं और सूर्योदय का समय ये हैं। अब आप इसके अनुसार आप भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। निश्चय ही जो छठव्रती हैं, वे प्रथम दिन सूर्यास्त होने के पूर्व और दूसरे दिन सूर्योदय होने के बाद अर्घ्य देकर अपना व्रत संपन्न कर लेते। लेकिन यहां तो पता नहीं ये सारे अखबार किस दुनिया में रहते हैं?

सच्चाई यह है कि 27 मार्च को रांची में सूर्यास्त का समय 6.02 था। मतलब छठव्रती 6.02 मिनट के पूर्व भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित कर सकते थे और दूसरे दिन यानी 28 मार्च सूर्योदय का समय 5.46 था यानी छठव्रती 5.46 के बाद कभी भी वे अर्घ्य दे सकते थे।

अंत में एक बार और, आजकल एक फैशन चल गया है कि आज के दिन फलां नक्षत्र, फलां योग है। इससे छठव्रती विशेष पुण्य प्राप्त करेंगे। ऐसा कुछ भी इसमें नहीं हैं। यहां केवल भगवान भास्कर को अर्घ्य देने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का ही विधान है। केवल तिथि ही इसमें प्रभावशाली है। छठ के दिन रोहिणी या मृगशिरा कब खत्म होगा या कब स्टार्ट होगा, उससे इस पर्व का कोई लेना-देना नहीं। फिर भी भ्रांतियों को जन्म देने में कई अखबारों ने लगता है कि अधकचरों की मदद से जनता को भरमाने का ठेका ले रखा है।