रघुवर भक्ति में “प्रभात खबर” ने सभी अखबारों को पछाड़ा, सही समाचारों से राज्य की जनता वंचित
ऐसे तो पूरे झारखण्ड से प्रकाशित हो रहे अखबार सीएम रघुवर भक्ति में लीन हैं, पर इन अखबारों में भी इस बात की होड़ लगी हैं कि रघुवर भक्ति में कौन किसको पछाड़ता हैं, इसमें निःसंदेह प्रभात खबर ने बाजी मार ली है, ऐसे में जब कभी लोकसभा के चुनाव परिणाम आयेंगे, तो इसमें कोई दो मत नहीं, भाजपा गठबंधन को सर्वाधिक सीटे मिले अथवा नहीं मिले, इस रघुवर भक्ति का इनाम झारखण्ड के शहंशाह रघुवर दास की ओर से प्रभात खबर को अवश्य मिलेगा।
प्रमाण आपके सामने हैं, जनाब झारखण्ड के शहंशाह रघुवर दास कल अपने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के लिए रांची के कांके में रोड शो करने के लिए निकले, जैसे ही कांके के साहू टोला के लोगों को पता चला कि सीएम रघुवर दास उनके रास्ते से होकर निकलनेवाले हैं, उस स्थान के सभी युवा, पुरुष, लड़कियां, महिलाएं सड़कों पर आ गई और सीएम के विरोध में नारे लगाने लगी, वे यह भी कह रही थी कि रोड नहीं तो वोट नहीं, रोड नहीं तो वोट नहीं।
इस भारी विरोध का जैसे ही विडियो वायरल हुआ, सीएम रघुवर दास के लोग सक्रिय हो गये, और उन्होंने इस समाचार को दबाने के लिए विशेष प्रयास करने शुरु किये, अखबारों-चैनलों पर दबाब बनाया गया, जिसका असर दिखा भी, रांची से सभी अखबारों ने इस खबर को ऐसा ट्विस्ट कर प्रकाशित किया हैं, जैसे लगता है कि साहू टोला में कुछ हुआ ही नहीं, और रही बात प्रभात खबर की, तो उसने तो सारी सीमाएं ही तोड़ दी, अपने समाचार में सीएम रघुवर का गुणगान किया और अपने चार कॉलम के न्यूज में छपी 38 पंक्तियों के समाचार में कांके के साहू टोला में सीएम रघुवर दास के हुए विरोध, एक महिला द्वारा रास्ता रोककर खड़े होने तथा विरोध की खबर को बड़ी ही बेशर्मी से दबा दिया।
मैंने प्रभात खबर की कटिंग आपके समक्ष रख दी हैं, साथ ही वह फोटो भी लगा दी है, जिसमें एक महिला सीएम के सामने खड़ी होकर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं, अब आप जनता ही निर्णय करे कि क्या ऐसी पत्रकारिता से राज्य का भला होगा? क्या राज्य की जनता को सच जानने का हक नहीं? और ये सच जब अखबारवाले निगल जायेंगे तो फिर इससे किसका भला होगा? अखबार का, मुख्यमंत्री रघुवर दास का या जनता का, ये आप निर्णय करें।