अपनी बात

रांची से प्रकाशित एकमात्र अखबार ‘प्रभात खबर’ ने अपने अखबार के माध्यम से कह दिया – ‘जोगन बन जाउंगी पीएम मोदी तोरे कारण’, अपनी श्रद्धा व भक्ति को मोदी के चरणों में किया समर्पित

ऐसे तो रांची में कई छोटे-बड़े अखबार प्रकाशित होते हैं। लेकिन इनमें से प्रमुख अखबार हैं – प्रभात खबर, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, आज, सन्मार्ग आदि। लेकिन इनमें से भी चार प्रमुख अखबार ही हमेशा चर्चा में रहते हैं। जिसे लोग अपने पैसे देकर खरीदते हैं। बाकी अखबारों को खरीदनेवालों की संख्या बहुत कम है या वे सिर्फ विज्ञापनों के लिए छपते हैं। ताकि सबकी रोजी-रोजगार चलती रहे। सवाल पेट का जो है।

ऐसे में आज पेट के लिए छपनेवाले अखबारों की बात नहीं करेंगे। आज उनकी बात करेंगे, जिन्होंने अपने शहंशाह के लिए घूंघट को उतारकर फेंक दिया है और वे कह उठे हैं – जोगन बन जाऊँगी सैया तोरे कारण, जोगन बन जाउंगी, पीएम मोदी तोरे कारण …। सचमुच आज प्रभात खबर ने ऐसा ही किया है। पीएम मोदी की चुनाव सभा व रोड शो को इस प्रकार से आज पेश किया है कि कोई भी व्यक्ति जो निरपेक्ष है, जिसे पत्रकारिता की तनिक भी समझ है। जिसे पत्रकारिता के मूल्यों की समझ है। वो यही कहेगा कि प्रभात खबर ने पत्रकारिता के मूल्यों को तार-तार करते हुए, मोदी भक्ति को ही उसने सर्वोपरि रखा है।

रांची में हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर में वो मोदी भक्ति देखने को नहीं मिल रहा, जिस प्रकार की मोदी भक्ति या गोदी – मीडिया के भाव प्रभात खबर को देखने से मिल रहे हैं। सभी अखबारों ने पीएम मोदी के कार्यक्रम को एक से डेढ़ पेजों में समेट दिया है। जबकि प्रभात खबर ने मोदी भक्ति में स्वयं को इतना लीन कर दिया कि उसे पता ही नहीं चला कि वो कितने पेज दिये जा रहा है।

देखते ही देखते उसने चार पेज मोदी जी के चरणों में समर्पित कर दिये और मोदी के प्रति प्रभात खबर की इस श्रद्धा व भक्ति को प्रदेश भाजपा के आत्माओं ने तार लिया और उसके अखबार की भक्ति को कटिंग के माध्यम से अपने सोशल साइट पर लगा दिया। ऐसे भी प्रभात खबर और उसकी भाजपा भक्ति की चर्चा तो हमेशा से ही रही है। इनके यहां काम करनेवाले कई लोग भाजपा से लाभान्वित होते रहे हैं। परम पद को प्राप्त करते रहे हैं।

एक तो आज भी परम पद को प्राप्त किये हुए हैं। उन्हें आशा है कि एक दिन भारत के सर्वोच्च पद पर भी आसीन होंगे। इसलिए वे भक्ति में कोई भी क्षण गंवाना नहीं चाहते। शायद यही भक्ति की धारा वर्तमान के संपादकों व पत्रकारों को भी लग चुकी है, कि जब वे उद्धारित हो सकते हैं तो हम क्यों नहीं। हम भी कहेंगे कि लगे रहना चाहिए और कुछ नहीं तो कम से कम पद्मश्री तो मिल ही जायेगा, आगे चलकर। उसमें कहां कोई किन्तु-परन्तु हैं।

अगर सत्यनिष्ठ रहियेगा तो चले जाइयेगा बूट लादने। इसलिए थोड़ा बहुत समय मिले तो मोदी भक्ति में लगने में कोई बुराई नहीं। नहीं तो जहां सत्यनिष्ठ बनियेगा, ये भाजपाई नेता सब अपना किसी चिरकुट कार्यकर्ता को आपके पीछे लगवाकर एगो केस ठोकवा देगा और फिर आप उलझते-उलझते दम तोड़ दिजियेगा। इसलिए समझदारी यही है कि भाजपा नेताओं की आरती उतारिये, उनसे फायदा लीजिये।

सहजीविता के आधार पर जीवन जिये, इससे आपकी पत्नी और अगर पत्नी नहीं हैं तो प्रेमिका भी खुश, बेटा-बेटी और लगे हाथों पतोहू खुश। नहीं तो बकर-बकर करते रहिये, आपके बकर-बकर करने से उसे क्या होनेवाला है। कट्टर गुजराती है और अभी सारा ग्रह-गोचर गुजरातियों के अधीन है। इसलिए लगे रहना है – मोदी भक्ति में। ऐसे भी मोदीचरितमानस आनेवाले समय में कोई न कोई जरुर लिखेगा और उसमें यह चौपाई जरुर होगा –  मोदी न दूसर सत्य समाना। जो जाना कृतार्थ हो जाना।