अपनी बात

भाजपा और आजसू के नाम की चुनरी ओढ़े ‘प्रभात खबर’ ने इन दोनों दलों के प्रति फिर दिखाया विशेष प्रेम, भाजपा ने भी प्रभात खबर के निष्ठा व निस्वार्थ भक्ति पर अपना विशेष दुलार बनाये रखने का लिया संकल्प

चार नवम्बर को रांची से प्रकाशित प्रभात खबर को देखिये। आप देखेंगे कि तीन नवम्बर को होटल रेडिशन ब्लू में कारपोरेट ब्रेकफास्ट के साथ आयोजित भाजपा के एक कार्यक्रम, जिसमें देश के गृह मंत्री अमित शाह भाग ले रहे थे। जिनके द्वारा भाजपा का घोषणा पत्र जिसे संकल्प पत्र कहा गया था। उसका लोकार्पण हुआ और इसका समाचार प्रभात खबर ने शानदार ढंग से पेश किया। प्रथम पृष्ठ तो अमित शाह और भाजपा को समर्पित था ही, उसका बैक पेज यानी दूसरा पृष्ठ भी भाजपा के संकल्प पत्र को समर्पित था। मतलब भाजपा के प्रति इतना समर्पण और निष्ठा जिस प्रकार से प्रभात खबर ने दिखाई, वैसी निष्ठा व समर्पण किसी अखबार में नहीं दिखा।

यह बातें विद्रोही24 ने ऐसे ही नहीं लिख दिया। उसके कई प्रमाण भी है। अब जरा देखिये, कल यानी पांच नवम्बर को इंडिया गठबंधन ने अपना घोषणा पत्र प्रस्तुत किया। अब आज यानी छह नवम्बर का प्रभात खबर देख लीजिये। इंडिया गठबंधन के द्वारा जारी घोषणा पत्र के समाचार को इस प्रकार से प्रथम पृष्ठ पर दिया, जैसे वो एक सामान्य घटना हो, लेकिन भाजपा की तरह इंडिया गठबंधन के समाचार को न तो पेश किया और न ही इसके लिए बैक पेज या किसी अन्य पृष्ठों पर विशेष रिपोर्ट लगाई।

यहीं नहीं हाल ही में भाजपा नेता व जमीन दलाल मदन सिंह के स्कूल में जब छापामारी हुई, जहां से एक करोड़ चौदह लाख रुपये बरामद हुए। जिसके खिलाफ नामकुम में आदर्श आचार चुनाव संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई। उस मदन सिंह को भाजपा नेता तक लिखने से इनकार कर दिया, जबकि रांची से प्रकाशित अन्य अखबारों ने मदन सिंह को भाजपा नेता कहकर संबोधित किया। ठीक कल आजसू नेता रामजी यादव के यहां छापामारी हुई। साठ लाख से अधिक नकद व कीमती वस्तुएं बरामद हुए, इस रामजी यादव के खिलाफ चुटिया थाने में आदर्श आचार चुनाव आचार संहिता के तहत प्राथंमिकी भी दर्ज कर ली गई। खुद रामजी यादव कह रहा है कि वो आजसू नेता हैं। लेकिन प्रभात खबर ने उसे आजसू नेता कहकर अपने अखबार में स्थान नहीं दिया।

यही नहीं कल का यानी पांच नवम्बर का ही प्रभात खबर देखिये। भाजपावालों ने प्रभात खबर के प्रथम पृष्ठ पर अपना प्यार लूटाया है। विज्ञापन दिया है और विज्ञापन का असर ये है कि अखबार ने कल के अंक को मोदी विशेषांक के रूप में प्रस्तुत कर दिया है। दो पेज मोदी को प्रस्तुत कर दिये हैं। इस प्रकार प्रस्तुत किये हैं, जैसे कोई महान देवदूत इस धराधाम पर अवतरित हुए हो।

मतलब भाजपा गठबंधन के प्रति इतना समर्पण जिस प्रकार से प्रभात खबर ने दिखाया है। वो उन पत्रकारों या उन संस्थानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। जो पत्रकारिता के माध्यम से अपनी दुकान की सेहत को हृष्ट-पुष्ट करना चाहते हैं या पत्रकारिता की सीढ़ी चढ़कर राज्यसभा में अपना मुकाम बनाना चाहते हैं या झारखण्ड के महत्वपूर्ण नगरों या देश के अन्य शहरों में विशेष सपने संजोने का ख्याल रखते हो।

आश्चर्य है कि यह अखबार अपना ध्येय वाक्य अखबार नहीं आंदोलन बताता है। लेकिन इसकी सारी आंदोलन को भाजपा व उसके गठबंधन के लोगों ने अपने चरणों पर लाकर नतमस्तक ही नहीं करवाया, अपने इशारों पर नचाना भी शुरु कर दिया हैं। लेकिन फिर भी इसे लज्जा नहीं आती। राजनीतिक पंडित ठीक ही कहते हैं कि लज्जा तो उसे आती हैं, जो लज्जा का अर्थ समझता हो। जिसने कब की लज्जा को त्याग दिया और भाजपा व आजसू की चुनरी माथे पर ओढ़ ली। उसको लज्जा कहां दिखाई देती है।

आश्चर्य है कि प्रभात खबर की ही तरह एक और लोकल चिरकूट टाइप का चैनल भाजपा नेताओं की परिक्रमा और उनका गुणानवाद करने में अभी लगा है। भाजपा व आजसू नेता भी उसके घर व उसके संस्थान जाकर भोजनादि ग्रहण कर स्वयं को उपकृत करने में लगे हैं। जबकि एक समय ऐसा था कि देश का गृह मंत्रालय उस चैनल को राष्ट्र के लिए खतरा बताते हुए, उसकी लाइसेंस के नवीनीकरण पर रोक लगा दी थी।

लेकिन समय बदला। गिरे हुए कुछ भाजपा नेता व आजसू के नेताओं ने गृह मंत्री के पास जाकर उसके लिए पैरवी करनी शुरु की। पैरवी काम आया और अब तो भाजपा-आजसू के नेताओं के संग वो चैनल का मालिक बैठकर उनकी राजनीति की रणनीति तय कर रहा हैं। अब जहां ऐसे लोग मीडिया व राजनीति में हो। वहां की राजनीति क्या होगी? कैसी होगी? उस राज्य का भविष्य कैसा होगा? उस राज्य के नेता कैसे होंगे? पत्र और पत्रकारिता कैसी होगी? समझने की जरुरत है। अगर नहीं समझने की कोशिश करेंगे तो आपका देश व राज्य को हाथ से निकलने में कितनी देर लगेंगी। यह भी समझने की जरुरत है।