प्रदीप यादव ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से हो रही धांधलियों, बेरोजगार युवाओं के हो रहे शोषण का मुद्दा सदन में उठाया
आज सदन में ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक प्रदीप यादव ने राज्य में बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों में आउटसोर्सिंग माध्यमों से हो रही बहालियों और इनके माध्यमों से हो रहे बेरोजगार युवाओं के शोषण का मामला सदन में उठाया, जिसके कारण सदन में थोड़ी गरमाहट दिखी। जब प्रदीप यादव सदन में ये मुद्दा उठा रहे थे, उस वक्त इस प्रमुख मुद्दे पर सन्नाटा छाया रहा, क्योंकि आउटसोर्सिंग माध्यमों से नौकरी कर रहे युवाओं का दल फिलहाल सकते में हैं।
प्रदीप यादव का कहना था कि उनके पास प्रमाण हैं, उन्होंने उन प्रमाणों को सदन पटल पर रखने की भी कोशिश की, उन्होंने कुछ प्रमाण भी प्रस्तुत किये, एक आउटसोर्सिंग कम्पनी का उन्होंने सदन में नाम भी लिया कि उसने कैसे धांधलियां कर बेरोजगार युवाओं को ठगने की कोशिश की।
प्रदीप यादव ने सरकार से गुहार लगाई कि बेरोजगार युवकों के दर्द को वे समझें, कल हो सकता है कि इसके शिकार हमारे भी बच्चे हो, अतः ऐसे में सरकार को विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि एक ही समान काम के लिए अलग-अलग वेतनमान नहीं होने चाहिए, सभी को उक्त समान काम के लिए समान वेतन दिये जाये, ऐसे में इसी प्रकार का कानून राज्य में क्यों नहीं लागू हो रहा, आखिर इसमें क्या दिक्कत हैं। प्रदीप यादव ने इस दौरान सदन में संविधान के कुछ पन्नों को भी पलटा।
इधर इस मुद्दे पर राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बड़ी गंभीरता से प्रदीप यादव के सवालों को उत्तर दिया और उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की, रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे भी एक जिम्मेदार अधिकारी के पद पर बिहार में सेवा दी हैं, ऐसे में उन्हें मालूम है कि एक ही काम के लिए समान वेतन देने में क्या कठिनाई होती है। मामला यहां अस्थायी व स्थायी से जुड़ा हैं।
प्रदीप यादव ने कहा कि इस राज्य का दुर्भाग्य है कि यहां आउटसोर्सिंग कंपनियां अनुबंधकर्मियों से बहालियों के लिए भी पैसे लेती हैं, और कई महीनों तक काम कराने के बाद उन्हें समय पर उनके वेतन का भुगतान नहीं करती, ताजा मामला तो ऐसा है कि एक कंपनी ने नौ महीनों तक अनुबंधकर्मियों को वेतन नहीं दिये और सरकार से राशियां भी उठा ली।