अपनी बात

प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में दिये अपने भाषण से संपूर्ण देशवासियों का दिल जीता

आज संपूर्ण विश्व की नजर, संघ मुख्यालय नागपुर की ओर था। इसका मूल कारण था, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज के दिन संघ मुख्यालय नागपुर में होना। संघ मुख्यालय की ओर से आज के दिन उन्हें उदबोधन के लिए आमंत्रित किया गया था। जिस आमंत्रण को स्वयं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सहर्ष स्वीकार किया था,  हालांकि उनके आमंत्रण स्वीकार करने के बाद, जितने मुंह उतनी ही बातें सुनने को मिली। कांग्रेस पार्टी का एक खेमा तो इसके विरुद्ध था, वह चाहता था कि प्रणब मुखर्जी वहां न जायें, क्योंकि कोई दिन ऐसा नहीं होता, जिस दिन कांग्रेस के लोग यहां तक राहुल गांधी आरएसएस को न कोसते हो। भाजपा तो आरएसएस की एक राजनीतिक इकाई हैं, वो संघ को भला कैसे कोस सकती है?

कांग्रेस एवं तथाकथित धर्मनिरपेक्ष संगठनों ने प्रणब मुखर्जी को नागपुर जाने से रोकने के लिए खुब अभियान चलाया, पर इसके अलग प्रणब मुखर्जी ने सब को एक ही जवाब दिया कि उन्हें जो भी कहना हैं, वे अब नागपुर संघ मुख्यालय में ही कहेंगे। शायद यहीं कारण था कि आज पूरे विश्व की नजर, संघ मुख्यालय पर थी, और प्रणब मुखर्जी ने सभी के मन में उठनेवाले सवालों का सटीक जवाब दे दिया।

प्रणव मुखर्जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है, भारत यूरोप और अन्य दुनिया से पहले ही एक देश था, असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान को धक्का लगता है, भारत के दरवाजे सबके लिए खुले है, इसलिए सभी देश के प्रति निष्ठा रखे, क्योंकि देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है।

प्रणव मुखर्जी ने कहा इस देश पर सैकड़ों वर्षों तक अनेक लोगों ने शासन किया, फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया, बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी आई। उन्होंने कहा कि पांच हजार साल पुरानी हमारी सभ्यता को कोई भी विदेशी आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया। प्रणव मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता। उन्होंने इसी दौरान जोर देकर कहा कि वे आज यहां राष्ट्र और देश भक्ति पर बोलने आये हैं।

प्रणव मुखर्जी ने कहा कि हमें लोकतंत्र उपहार के तौर पर मिला है, बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे समझने की आवश्यकता है। भारत की आत्मा बहुलवाद में बसती है। भारत एक स्वतंत्र समाज रहा है। उन्होंने कहा कि सभी ने कहा है कि हिन्दू बहुत ही उदार धर्म है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की रही है। भेदभाव और नफरत से हमारी पहचान को खतरा पहुंच सकता है। विचारो में समानता के लिए संवाद का होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि बातचीत से ही विभिन्न विचारधारा के लोगों की समस्याओं का समाधान होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है। अतः आज अपने देश को हर तरह की हिंसा से बचने-बचाने की जरुरत हैं चाहे वह मौखिक हो या शारीरिक। उन्होंने संस्कृत के श्लोक के माध्यम से कहा कि जनता की खुशी में ही राजा की खुशी होनी चाहिए।

प्रणव मुखर्जी आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के जन्मस्थान भी पहुंचे तथा उन्हें भारत माता का एक महान सपूत बताया। उन्होंने इसी दौरान विजिटर बुक में लिखा “आज मैं यहां भारत माता के महान सपूत के प्रति अपना सम्मान जाहिर करने और श्रद्धांजलि देने आया हूं”।

इधर प्रणब मुखर्जी के संबोधन के पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संगठित समाज ही भाग्य परिवर्तन की पूंजी है। उन्होंने कहा कि हम सभी भारत माता के पुत्र हैं, मत-मतांतर हो सकते हैं, पर ये भी सच्चाई है कि हम सभी मिलकर ही भारत का भाग्य बदल सकते हैं। उन्होंने संघ के बारे में संदेह रखनेवालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हम सब एक है, ये बाते किसी को खुब समझ में आता है, किसी को समझ में आता ही नहीं, कोई उधेड़बून में रहता है और किसी को मालुम ही नहीं।

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारत पुत्र हैं, और भारत की भक्ति करना इस देश के प्रत्येक भारतीयों का कर्तव्य है, उन्होंने कहा कि सभी लोग ऐसा करते हैं, और लोगों को करना भी चाहिए, संघ इसी बात पर जोर देता है, क्योंकि संघ हिन्दू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि आनेवाले समय में सवाल इस बहुसंख्यक हिन्दू समाज से ही पूछे जायेंगे, किसी अन्य से नहीं।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम केवल संघ के लिए नहीं, ये सबके लिए हैं, इसे देखने के लिए बहुत से लोग आते रहते हैं, और आते रहेंगे, हमने जो पथ तय किया है, उसमें जो उनकी मदद होती है, हम उसे स्वीकार करते हैं, आपस में सदभाव रखकर, प्रमाणिकता के साथ चलें, प्रमाणिकता में धर्म-जाति आड़े नहीं आती, केवल सत्य चलता है। हम सत्य पथ पर चलें, ऐसी हमारी आदत हो, हमारी बुद्धि हो, ऐसा कार्यकर्ता संघ तैयार करता है।

उन्होंने कहा कि आप यहां आइये, देखिये, परखिये, आना-जाना मनमर्जी का काम है, परखकर आप अपना भाव बनाइये, जैसी सोच रहेगी, वैसा भाव आपका बनेगा, पर संघ सबके प्रति सदभाव रखता है, किसी का विरोध नहीं करता, वह देश बनाने का काम करता है, क्योंकि संघ का निर्माण ही इसी के लिए हुआ है।

One thought on “प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में दिये अपने भाषण से संपूर्ण देशवासियों का दिल जीता

  • राजेश

    तो..फिर
    संघम शरणम गच्छामि।।

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