प्रेस क्लब के चुनाव प्रचार में राजनीतिक दलों को पछाड़ने में लग गये धनबाद के पत्रकार
पत्रकार भी किसी पॉलिटिशियन से कम नहीं हैं, जिस प्रकार पॉलिटिशयन लोकसभा, विधानसभा, नगर निगम, नगर निकाय, पंचायत आदि चुनावों में विभिन्न चुनाव प्रचारों का सहारा लेते हैं, उसी प्रकार धनबाद प्रेस क्लब के लिए हो रहे चुनाव में खड़े विभिन्न पत्रकारों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है। पूरा धनबाद इन पत्रकारों के बैनरों-पोस्टरों से सज गया है। कई पत्रकारों ने विभिन्न राजनीतिक दलों की तरह अपना चुनावी घोषणा पत्र भी तैयार किया है, जिसे वे अपने पत्रकार मित्रों-मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं। खूब सोशल साइट का सहारा लिया जा रहा हैं, और वे अपनी बात जमकर उन तक पहुंचा रहे हैं, जिन तक उन्हें पहुंचानी हैं।
धनबाद में प्रेस क्लब के इस चुनाव को देख कई राजनीतिक दल व कई सामाजिक संगठन भी हैरान है, उनका कहना है कि उन्होंने परिकल्पना भी नहीं की थी, कि प्रेस क्लब के चुनाव में भी ऐसा दृश्य दिखाई देगा, फिर भी लोकतंत्र में ऐसी बातें और परिदृश्य हमें एक नया मार्ग प्रशस्त करती हैं। चूंकि धनबाद प्रेस क्लब के लिए 10 दिसम्बर को चुनाव होने है, और उसी दिन मतगणना भी हो जायेगा। समय कम है, इसलिए सभी विभिन्न पदों पर खड़े प्रत्याशी, अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए भागीरथी प्रयास में लग गये हैं, विभिन्न अखबारों-चैनलों में कार्यरत लोग इस चुनाव को नाक का विषय बना दिया है।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय कुमार झा बताते है कि लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है, प्रेस। समय के साथ-साथ प्रेस की अहमियत भी बढ़ी है, प्रेस की ताकत भी उजागर हुई है। उसने विधायिका, कार्यपालिका, यहा तक की कभी-कभी न्यायपालिका को भी राह दिखाने का काम किया है। आज का दौर सोशल मीडिया का दौर है, जैसे फास्टफुड हर घर तक पहुंच बना लिया है, उसी प्रकार सोशल मीडिया भी हर घर तक पहुंच बना ली है, सोशल मीडिया ने समाचार के प्रति भूख भी पैदा की है, जो पहले नहीं थी। हमारी टोटल जानकारी पहले समाचार पत्र, रेडियो व चैनलों तक सीमित थी पर आज ऐसा नहीं है। इससे पता चलता है कि समाचार से जुड़े लोगों का, चाहे वह जिस पद पर हो, उनका महत्व बढ़ा है। ऐसे में यदि समाचार जगत से जुड़े लोग जागरुक है। ये खुशी की बात है, ये स्वागत योग्य है। अच्छे लोग चुन कर आयेंगे तो इससे प्रेस क्लब ही नहीं, समाज के लोगों की ताकत भी बढ़ेगी। बाकी चुनावों में जो दुर्गुण आ गया है, वह दुर्गुण इसमें नहीं आये, ये चुनाव बाकी चुनावों के लिए नजीर बने, हम यहीं ईश्वर से कामना करते हैं।
झारखण्ड की सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा. लीना सिंह इस पूरे प्रकरण पर कहती है कि हाल ही में, वह आईएमए के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही थी। वहां भी ऐसा ही कुछ परिदृश्य था, हालांकि इन सभी स्थानों पर चुनाव लड़ने से कोई आर्थिक फायदा भी नहीं होनेवाला, फिर भी लोग ऐसा क्यूं करते है, समझ नहीं आता, इस प्रकार के चुनाव प्रचार से उस संस्थान की गंभीरता खत्म हो जाती है, जिसके लिए चुनाव हो रहे हैं। ऐसे भी जो आजकल चुनाव प्रचार के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं, उन हथकंडों से कोई संस्थान या कोई वर्ग अब अछूता नहीं रहा, आप मान लें कि यह एक नियम सा बन गया है, ऐसे में हम और आप क्या कर सकते हैं? हम कह सकते है कि अब चुनाव, चुनाव नहीं होता, मजाक सा बन गया हैं, प्रेस क्लब चुनाव को गंभीरता से लें, इस चुनाव में सभी मर्यादाओं का पालन करें, तो ये सचमुच धनबाद प्रेस क्लब के लिए आनन्द का विषय होगा।
धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा कहते है कि धनबाद प्रेस क्लब का हो रहा चुनाव, विशुद्ध रुप से पत्रकारों का हैं। वे किस प्रकार चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी क्या उपयोगिता है, इस पर हम क्या बोल सकते हैं? समय बदल रहा है, उसका प्रभाव हर जगह दीख रहा है, पत्रकार भी उसमें रंगने लगे हैं, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।